रांची: भारतीय राजनीति में धनकुबेरों की कोई कमी नहीं है और न ही झारखंड इससे अछूता है. लेकिन आज हम यहां ऐसे नेताओं के बारे में बात करेंगे जो राजनीति करते हुए अकूत संपत्ति बनाने के मामले में फिसड्डी रहे. ये इस बार के चुनावी दंगल में किस्मत भी आजमा रहे हैं.
सुनील सोरेन दुमका से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. यहां पिछले तीन बार से बीजेपी दूसरे नंबर पर रह रही है. दो बार लगातार 2009 और 2014 में सुनील सोरने ने शिबू सोरेन से मात खायी है. 2009 में जहां सुनील सोरेन को 18,812 वोट से हार का सामना करना पड़ा. वहीं मोदी लहर यानी 2014 में हार का अंतर बढ़ कर 39,030 हो गया. बता दें कि सुनील सोरेन बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं औप पार्टी ओर संगठन में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है. सुनील सोरेन ने एएन कॉलेज दुमका से इंटर तक की पढ़ाई की है.
2014 के चुनावी हलफनामे के अनुसार सुनील सोरेन14.94 लाख रुपये की संपत्ति के मालिक हैं. इसके अलावा उनके पास 7.80 लाख रुपए की देनदारी भी है.
कुल घोषित संपति -29 लाख 44 हजार 200 रुपये
बैंक में जमा (स्वयं) - 61 हज़ार
पत्नी - 10 हजार रुपये
कुल निवेश - 40 हजार लगभग
वाहन- राजदूत बाईक, सूमो ग्रांड, स्कॉर्पियो
जेवरात - स्वंय और पत्नी मिलाकर - 60 हजार
अचल संपत्ति
कृषि योग्य भूमि - 5 लाख
पैतृक मकान - 13 लाख
कालीचरण मुंडा को कांग्रेस ने खूंटी से प्रत्याशी बनाया है. कालीचरण मुंडा 1992 और 1995 में तमाड़ से विधायक रह चुके हैं. वे शुरू से कांग्रेसी रहे हैं, उनके पिता मुचिराई मुंडा बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. उन्होंने 1966 से 1977 तक खूंटी विधानसभा और1980 से 1992 तक तमाड़ विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया था. उनके भाई नीलकंठ सिंह मुंडा बीजेपी के बड़े नेता हैं और मौजूदा रघुवर सरकार में मंत्री भी हैं. कालीचरण मुंडा 2014 में भी यहां से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं.
2014 के नामांकन पत्र के अनुसार कालीचरण मुंडा के पास कुल 40 लाख 69 हजार रुपये की संपत्ति के मालिक हैं. साथ ही उनके पास 31 हजार 895 रुपये की देनदारी भी है.