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JVM के अस्तित्व पर बीजेपी ने उठाया सवाल, कांग्रेस ने कहा- BJP बदले अपना नाम

मिशन 2019 की उलटी गिनती शुरू हो गई है. ऐसे में जेवीएम छोड़ बीजेपी में गए 6 विधायकों पर स्पीकर के फैसले के बाद प्रदेश की सियासत तेज हो गई है. बीजेपी जहां जेवीएम के अस्तित्व पर सवाल खड़े कर रही तो जेवीएम ने कहा बीजेपी को बाबूलाल मरांडी से डर लग रहा है.

स्पीकर के फैसले पर राजनीति तेज.
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Published : Feb 23, 2019, 12:14 PM IST


रांची: झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष दिनेश उरांव के द्वारा झारखंड विकास मोर्चा के 6 विधायकों के बीजेपी में विलय पर सहमति मिलने के बाद राज्य में सियासत तेज हो गई है. अब 8 विधायकों वाली पार्टी का विधानसभा में स्ट्रेंथ दो विधायकों तक सीमित हो गया है. सत्तारूढ़ बीजेपी ने झाविमो के अस्तित्व पर सवाल खड़ा करना शुरू कर दिया है.

स्पीकर के फैसले पर राजनीति तेज.

पार्टी के प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश ने कहा कि जब झाविमो बीजेपी में विलय कर चुका है. तो ऐसे में उस दल और उसके पार्टी के नेताओं का अस्तित्व समाप्त ही समझा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब झाविमो का नामोनिशान ही मिट गया है तो ऐसे में उसके नेता ही कहां बचे.

वहीं, बीजेपी के इस बयान को लेकर विपक्षी दलों ने भी पलटवार किया है. कांग्रेस ने कहा कि जब झाविमो का विलय बीजेपी में हो गया है तब बीजेपी को प्रदेश में अपना नाम झारखंड विकास मोर्चा कर लेना चाहिए. उनकी यह पहचान उन्हें और बेहतर पॉलटिकल रिजल्ट लाने में मददगार साबित होगी.


वहीं, झारखंड विकास मोर्चा ने कहा कि दरअसल बीजेपी झारखंड विकास मोर्चा सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी के डर से आतंकित है. उन्होंने कहा कि राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी को सबसे बड़ा खतरा झाविमो सुप्रीमो से लगता है, यही वजह है कि उसके नेता इस तरह के स्टेटमेंट दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि 2009 का विधानसभा चुनाव हो या 2014 का दोनों विधानसभा चुनावों में झाविमो का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है, साथ ही 2009 में तो पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भी अपनी जीत दर्ज कराई थी. ऐसे में बीजेपी जेवीएम को लेकर डरी हुई है.

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हालांकि, बीजेपी ने राज्य में मुख्य चुनाव पदाधिकारी से मुलाकात कर झाविमो द्वारा उसके चुनाव चिन्ह के उपयोग करने पर पाबंदी लगाने की मांग की है. जानकारी के अनुसार इस पर कोई भी निर्णय दिल्ली स्थित इलेक्शन कमीशन लेगी और उसी के दिशा निर्देश के अनुसार झारखंड विकास मोर्चा के अस्तित्व का फैसला होगा.


रांची: झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष दिनेश उरांव के द्वारा झारखंड विकास मोर्चा के 6 विधायकों के बीजेपी में विलय पर सहमति मिलने के बाद राज्य में सियासत तेज हो गई है. अब 8 विधायकों वाली पार्टी का विधानसभा में स्ट्रेंथ दो विधायकों तक सीमित हो गया है. सत्तारूढ़ बीजेपी ने झाविमो के अस्तित्व पर सवाल खड़ा करना शुरू कर दिया है.

स्पीकर के फैसले पर राजनीति तेज.

पार्टी के प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश ने कहा कि जब झाविमो बीजेपी में विलय कर चुका है. तो ऐसे में उस दल और उसके पार्टी के नेताओं का अस्तित्व समाप्त ही समझा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब झाविमो का नामोनिशान ही मिट गया है तो ऐसे में उसके नेता ही कहां बचे.

वहीं, बीजेपी के इस बयान को लेकर विपक्षी दलों ने भी पलटवार किया है. कांग्रेस ने कहा कि जब झाविमो का विलय बीजेपी में हो गया है तब बीजेपी को प्रदेश में अपना नाम झारखंड विकास मोर्चा कर लेना चाहिए. उनकी यह पहचान उन्हें और बेहतर पॉलटिकल रिजल्ट लाने में मददगार साबित होगी.


वहीं, झारखंड विकास मोर्चा ने कहा कि दरअसल बीजेपी झारखंड विकास मोर्चा सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी के डर से आतंकित है. उन्होंने कहा कि राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी को सबसे बड़ा खतरा झाविमो सुप्रीमो से लगता है, यही वजह है कि उसके नेता इस तरह के स्टेटमेंट दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि 2009 का विधानसभा चुनाव हो या 2014 का दोनों विधानसभा चुनावों में झाविमो का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है, साथ ही 2009 में तो पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भी अपनी जीत दर्ज कराई थी. ऐसे में बीजेपी जेवीएम को लेकर डरी हुई है.

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हालांकि, बीजेपी ने राज्य में मुख्य चुनाव पदाधिकारी से मुलाकात कर झाविमो द्वारा उसके चुनाव चिन्ह के उपयोग करने पर पाबंदी लगाने की मांग की है. जानकारी के अनुसार इस पर कोई भी निर्णय दिल्ली स्थित इलेक्शन कमीशन लेगी और उसी के दिशा निर्देश के अनुसार झारखंड विकास मोर्चा के अस्तित्व का फैसला होगा.

Intro:रांची। झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष दिनेश उराँव के द्वारा झारखंड विकास मोर्चा के 6 विधायकों के बीजेपी में विलय पर सहमति मिलने के बाद राज्य में सियासत तेज हो गई है। इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद 8 विधायको वाली पार्टी का विधानसभा में स्ट्रेंथ 2 विधायकों तक सीमित हो गया है। इतना ही नहीं अब सत्तारूढ़ बीजेपी ने झाविमो के अस्तित्व पर सवाल खड़ा करना शुरू कर दिया है। पार्टी के प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश ने कहा कि जब झाविमो बीजेपी में विलय कर चुका है तो ऐसे में उस दल और उसके पार्टी के नेताओं का अस्तित्व समाप्त ही समझा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब झाविमो का नामोनिशान ही मिट गया है तो ऐसे में उसके नेता ही कहाँ बचे।


Body:वहीं बीजेपी के इस कथन को लेकर विपक्षी दलों ने भी पलटवार किया है। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर ने कहा कि जब झाविमो का विलय बीजेपी में हो गया है तब बीजेपी को प्रदेश में अपना नाम झारखंड विकास मोर्चा कर लेना चाहिए। उनकी यह पहचान उन्हें और बेहतर पॉलीटिकल रिजल्ट लाने में मददगार साबित होगी। वहीं झारखंड विकास मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता योगेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि दरअसल बीजेपी झारखंड विकास मोर्चा सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी के भय से आक्रांत है। उन्होंने कहा की राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी को सबसे बड़ा खतरा झाविमो सुप्रीमो से लगता है, यही वजह है कि उसके नेता इस तरह के स्टेटमेंट दे रहे हैं।


Conclusion:उन्होंने कहा कि 2009 का विधानसभा चुनाव हो या 2014 का दोनों विधानसभा चुनावों में झाविमो का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। साथ ही 2009 में तो पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भी अपनी जीत दर्ज कराई थी। ऐसे में बीजेपी जेवीएम को लेकर डरी हुई है। इसलिए पार्टी के नेता इस तरह का स्टेटमेंट दे रहे हैं।
हालांकि बीजेपी ने राज्य में मुख्य चुनाव पदाधिकारी से मुलाकात कर झाविमो द्वारा उसके चुनाव चिन्ह के उपयोग करने पर पाबंदी लगाने की मांग की है। जानकारी के अनुसार इस पर कोई भी निर्णय दिल्ली स्थित इलेक्शन कमीशन लेगा और उसी के दिशा निर्देश के अनुसार झारखंड विकास मोर्चा के अस्तित्व का फैसला होगा।
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