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तो ऐसे बच सकती थी पार्थिव की जान, न्यूक्लियस मॉल प्रबंधन ने की मानको की अनदेखी, पढ़ें पूरी खबर

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Published : Jun 29, 2019, 10:48 PM IST

राजधानी रांची के न्यूक्लियस मॉल में हुई बच्चे की मौत के मामले में नया मोड़ आया है. ऊर्जा विभाग की ओर से गठित जांच दल ने भी यह पाया कि न्यूक्लियस मॉल के एस्केलेटर के निर्माण में नियमों का पालन नहीं किया गया.

न्यूक्लियस मॉल प्रबंधन ने की मानको की अनदेखी

रांची: पिछले दिनों न्यूक्लियस मॉल में हुई पार्थिव की मौत मामले में मॉल प्रबंधन चौतरफा घिरता नजर आ रहा है. मानक के मुताबिक मॉल में लगी रेलिंग के किनारे बाहर की तरफ नेट लगा होना चाहिए, जो न्यूक्लियस मॉल में नहीं था. 28 जून को ऊर्जा विभाग की ओर से गठित जांच दल ने भी यह पाया कि न्यूक्लियस मॉल के एस्केलेटर के निर्माण में नियमों का पालन नहीं किया गया.

वीडियो में देखें पूरी खबर

मॉल एक पब्लिक प्लेस होती है, यहां तरह-तरह की मनोवृति के साथ लोग पहुंचते हैं. अवसाद से ग्रसित लोग ऐसी जगहों को सुसाइड प्वाइंट के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं. देश के कई हिस्सों से ऐसी खबरें भी आ चुकी है. इसकी वजह से मॉल में नेट सिस्टम स्थापित करना भी सुरक्षा गाइडलाइन का एक हिस्सा है, जो न्यूक्लियस मॉल में नहीं है.

रांची जिला बार एसोसिएशन सचिव कुंदन प्रकाश ने बताया कि न्यूक्लियस मॉल में जान गंवाने वाले पार्थिव के परिवार को करोड़ों रुपयों का मुआवजा मिलना चाहिए. इसके साथ ही मॉल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, जो अब तक देखने को नहीं मिली. 22 जून को न्यूक्लियस मॉल में हुए इस हादसे के बाद आम लोग भी बच्चों को लेकर मॉल में जाने से घबरा रहे हैं.

रांची: पिछले दिनों न्यूक्लियस मॉल में हुई पार्थिव की मौत मामले में मॉल प्रबंधन चौतरफा घिरता नजर आ रहा है. मानक के मुताबिक मॉल में लगी रेलिंग के किनारे बाहर की तरफ नेट लगा होना चाहिए, जो न्यूक्लियस मॉल में नहीं था. 28 जून को ऊर्जा विभाग की ओर से गठित जांच दल ने भी यह पाया कि न्यूक्लियस मॉल के एस्केलेटर के निर्माण में नियमों का पालन नहीं किया गया.

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मॉल एक पब्लिक प्लेस होती है, यहां तरह-तरह की मनोवृति के साथ लोग पहुंचते हैं. अवसाद से ग्रसित लोग ऐसी जगहों को सुसाइड प्वाइंट के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं. देश के कई हिस्सों से ऐसी खबरें भी आ चुकी है. इसकी वजह से मॉल में नेट सिस्टम स्थापित करना भी सुरक्षा गाइडलाइन का एक हिस्सा है, जो न्यूक्लियस मॉल में नहीं है.

रांची जिला बार एसोसिएशन सचिव कुंदन प्रकाश ने बताया कि न्यूक्लियस मॉल में जान गंवाने वाले पार्थिव के परिवार को करोड़ों रुपयों का मुआवजा मिलना चाहिए. इसके साथ ही मॉल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, जो अब तक देखने को नहीं मिली. 22 जून को न्यूक्लियस मॉल में हुए इस हादसे के बाद आम लोग भी बच्चों को लेकर मॉल में जाने से घबरा रहे हैं.

Intro:पार्थिव की जान बच जाती अगर न्यूक्लियस मॉल में लगा होता नेट, करोड़ों का बनता है मुआवजा

रांची
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आमतौर पर लोग अपने परिवार के साथ मॉल में खुशियां बटोरने जाते हैं। कोई सिनेमा देखता है, कोई खरीदारी करता है, कोई लंच या डिनर करता है। लेकिन इन सबसे अलग बच्चे एस्केलेटर को इंजॉय करते हैं। जाहिर है इस जगह पर विशेष सुरक्षा की जरूरत होती है जो न्यूक्लियस मॉल में नहीं थी और वही पार्थिव की मौत का कारण बन गया। फिलहाल इस पूरे मामले की अलग अलग तरीके से जांच चल रही है लेकिन मॉल में सुरक्षा मानकों के लिहाज से एक ऐसा पॉइंट है जिस पर गौर किया जाना चाहिए। जानकार बताते हैं कि न्यूक्लियस मॉल काफी बड़ा है और इसकी ऊंचाई भी बहुत ज्यादा है। लिहाजा चारों तरफ रेलिंग के बाद बीच के खुले हिस्से में नेट लगा होना चाहिए था। न्यूक्लियस मॉल में अगर बीच के हिस्से में नेट लगा होता तो इस कलेक्टर से गिरने के बाद पार्थिव उसमें फंस कर रह जाता और उसकी जान नहीं जाती । चुकी मॉल एक पब्लिक प्लेस होता है। यहां तरह-तरह की मनोवृति के साथ लोग पहुंचते हैं। अवसाद से ग्रसित लोग ऐसी जगहों को सुसाइड प्वाइंट के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं। देश के कई हिस्सों से ऐसी खबरें भी आ चुकी है। इसी की वजह से मॉल में नेट सिस्टम स्थापित करना भी सुरक्षा गाइडलाइन का एक हिस्सा है जो न्यूक्लियस मॉल में नहीं है। न्यूक्लियस मॉल के स्ट्रक्चर के हिसाब से नेट लगा होना चाहिए था।


Body:रांची जिला बार एसोसिएशन के सचिव कुंदन प्रकाशन ने बताया कि न्यूक्लियस मॉल में जान गंवाने वाले पार्थिव के परिवार को करोड़ों में मुआवजा मिलना चाहिए। साथ ही मॉल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए जो अब तक देखने को नहीं मिली है। 22 जून को न्यूक्लियस मॉल में हुए इस हादसे के बाद आम लोग भी बच्चों को लेकर मॉल में जाने से घबरा रहे हैं। खासतौर से इसके लेटर को देखते ही लोगों की रूह कांपने लगती है।


Conclusion:अब सवाल है कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी अब तक इस गंभीर मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। 28 जून को ऊर्जा विभाग की ओर से गठित जांच दल ने भी यह पाया है कि न्यूक्लियस मॉल के स्क्लेटर के निर्माण में नियमों का पालन नहीं किया गया है।
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