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खौफ की कमाई से अपना भविष्य संवार रहे माओवादी, म्यूचुअल फंड में कर रहे निवेश

झारखंड में जमीन और फ्लैट में निवेश करने वाले माओवादी नेताओं ने अब म्यूचुअल फंड में भी निवेश करना शुरू कर दिया है. नोटबंदी के बाद पुराने नोट बरामदगी के एक मामले के जांच के दौरान का खुलासा हुआ है.

एनआईए का लोगो
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Published : Mar 9, 2019, 9:10 AM IST

रांची: झारखंड में अपने दहशत के बल पर करोड़ों रुपये की उगाही करने वाले नक्सली अब म्यूचुअल फंड में निवेश कर अपना भविष्य संवारने की कोशिश में लगे हुए हैं. एनआईए डीआईजी केबी वंदना ने इस संबंध में अपनी एक जांच रिपोर्ट झारखंड पुलिस मुख्यालय और आयकर विभाग को भेजा है. जिसमें यह जिक्र है कि कई बड़े माओवादी नेताओं ने म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश करना शुरू कर दिया है.

नोट बंदी के बाद हुआ खुलासा
झारखंड में जमीन और फ्लैट में निवेश करने वाले माओवादी नेताओं ने अब म्यूचुअल फंड में भी निवेश करना शुरू कर दिया है. नोटबंदी के बाद पुराने नोट बरामदगी के एक मामले के जांच के दौरान का खुलासा हुआ है. झारखंड में 25 लाख के इनामी रहे माओवादी नेता बड़ा विकास ने 26 लाख 50 हजार और 15 लाख के इनामी छोटू खेरवार ने 1.80 लाख का निवेश म्यूचुअल फंड में किया है.

म्यूचुअल फंड में निवेश का विरोध करते थे माओवादी
म्यूचुअल फंड में निवेश करने का विरोध करने वाले माओवादियों और उनके रिश्तेदारों के द्वारा इन कंपनियों में निवेश का यह पहला मामला सामने आया है. माना जा रहा है कि राज्य के एक दर्जन से बड़े माओवादी ने म्यूचुअल फंड में निवेश किया है. सुधाकरण, मिथिलेश,अजय महतो, टीपीसी सुप्रीमो बृजेश गंजू, कोहराम, सुभान मियां, पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप समेत दो दर्जन से अधिक नक्सलियों के रियल स्टेट, जमीन और कंपनियों में निवेश का खुलासा पहले ही हो चुका हैं. झारखंड में एनआईए की टीम ने कोल परियोजनाओं से टीपीसी नक्सलियों के लेवी के पैसे से टेरर फंडिंग का खुलासा भी किया है.

क्या है एनआईए के रिपोर्ट में
एनआईए ने अपने जांच के दौरान यह पाया है कि माओवादियों ने दो कंपनियों के म्यूचल फंड में निवेश किया है. इन कंपनियों के दफ्तर रांची, कोलकाता और इलाहाबाद में हैं. एनआईए की रिपोर्ट में यह भी जिक्र है कि माओवादी बड़ा विकास ने इन कंपनियों में सबसे अधिक पैसों का निवेश किया है. बड़ा विकास ने साल 2016 में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था. सरेंडर करने के बाद से ही वह जेल में बंद है. एनआईए ने निवेश किए गए कंपनियों के निदेशकों की गतिविधियों को भी संदिग्ध बताया है. एनआईए ने राज्य पुलिस को इन म्यूच्यूअल फंड कंपनियों पर कार्रवाई के लिए भी पत्र लिखा है.

रांची: झारखंड में अपने दहशत के बल पर करोड़ों रुपये की उगाही करने वाले नक्सली अब म्यूचुअल फंड में निवेश कर अपना भविष्य संवारने की कोशिश में लगे हुए हैं. एनआईए डीआईजी केबी वंदना ने इस संबंध में अपनी एक जांच रिपोर्ट झारखंड पुलिस मुख्यालय और आयकर विभाग को भेजा है. जिसमें यह जिक्र है कि कई बड़े माओवादी नेताओं ने म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश करना शुरू कर दिया है.

नोट बंदी के बाद हुआ खुलासा
झारखंड में जमीन और फ्लैट में निवेश करने वाले माओवादी नेताओं ने अब म्यूचुअल फंड में भी निवेश करना शुरू कर दिया है. नोटबंदी के बाद पुराने नोट बरामदगी के एक मामले के जांच के दौरान का खुलासा हुआ है. झारखंड में 25 लाख के इनामी रहे माओवादी नेता बड़ा विकास ने 26 लाख 50 हजार और 15 लाख के इनामी छोटू खेरवार ने 1.80 लाख का निवेश म्यूचुअल फंड में किया है.

म्यूचुअल फंड में निवेश का विरोध करते थे माओवादी
म्यूचुअल फंड में निवेश करने का विरोध करने वाले माओवादियों और उनके रिश्तेदारों के द्वारा इन कंपनियों में निवेश का यह पहला मामला सामने आया है. माना जा रहा है कि राज्य के एक दर्जन से बड़े माओवादी ने म्यूचुअल फंड में निवेश किया है. सुधाकरण, मिथिलेश,अजय महतो, टीपीसी सुप्रीमो बृजेश गंजू, कोहराम, सुभान मियां, पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप समेत दो दर्जन से अधिक नक्सलियों के रियल स्टेट, जमीन और कंपनियों में निवेश का खुलासा पहले ही हो चुका हैं. झारखंड में एनआईए की टीम ने कोल परियोजनाओं से टीपीसी नक्सलियों के लेवी के पैसे से टेरर फंडिंग का खुलासा भी किया है.

क्या है एनआईए के रिपोर्ट में
एनआईए ने अपने जांच के दौरान यह पाया है कि माओवादियों ने दो कंपनियों के म्यूचल फंड में निवेश किया है. इन कंपनियों के दफ्तर रांची, कोलकाता और इलाहाबाद में हैं. एनआईए की रिपोर्ट में यह भी जिक्र है कि माओवादी बड़ा विकास ने इन कंपनियों में सबसे अधिक पैसों का निवेश किया है. बड़ा विकास ने साल 2016 में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था. सरेंडर करने के बाद से ही वह जेल में बंद है. एनआईए ने निवेश किए गए कंपनियों के निदेशकों की गतिविधियों को भी संदिग्ध बताया है. एनआईए ने राज्य पुलिस को इन म्यूच्यूअल फंड कंपनियों पर कार्रवाई के लिए भी पत्र लिखा है.

Intro:झारखंड में अपने दहशत के बल पर करोड़ो रूपये की उगाही करने वाले नक्सली अब म्यूचुअल फंड में निवेश कर अपना भविष्य संवारने की कोशिश में लगे हुए हैं। एनआईए डीआईजी केबी वंदना ने इस संबंध में अपनी एक जांच रिपोर्ट झारखंड पुलिस मुख्यालय और आयकर विभाग को भेजा है। जिसमें यह जिक्र है कि कई बड़े माओवादी नेताओं ने म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश करना शुरू कर दिया है।

नोट बंदी के बाद हुआ खुलासा

झारखंड में जमीन और फ्लैट में निवेश करने वाले माओवादी नेताओं ने अब म्यूचुअल फंड में भी निवेश करना शुरू कर दिया है। नोटबंदी के बाद पुराने नोट बरामदगी के एक मामले के जांच के दौरान का खुलासा हुआ है। झारखंड में 25 लाख के इनामी रहे माओवादी नेता बड़ा विकास ने 26 लाख 50 हज़ार और 15 लाख के इनामी छोटू खेरवार ने 1.80 लाख का निवेश म्यूचुअल फंड में किया है।

म्यूचुअल फंड में निवेश का विरोध करते थे माओवादी

म्यूचुअल फंड में निवेश करने का विरोध करने वाले माओवादियों और उनके रिश्तेदारों के द्वारा इन कंपनियों में निवेश का यह पहला मामला सामने आया है ।माना जा रहा है कि राज्य के एक दर्जन से बड़े माओवादी ने म्यूचुअल फंड में निवेश किया है। सुधाकरण, मिथिलेश ,अजय महतो, टीपीसी सुप्रीमो बृजेश गंजू, कोहराम ,सुभान मियां, पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप समेत दो दर्जन से अधिक नक्सलियों के रियल स्टेट ,जमीन और कंपनियों में निवेश का खुलासा पहले ही हो चुका हैं ।झारखंड में एनआईए की टीम ने कोल परियोजनाओं से टीपीसी नक्सलियो के लेवी के पैसे से टेरर फंडिंग खुलासा भी किया है।

क्या है एनआईए के रिपोर्ट में

एनआईए ने अपने जांच के दौरान यह पाया है कि माओवादियों ने दो कंपनियों के म्यूचल फंड में निवेश किया है। इन कंपनियों के दफ्तर रांची ,कोलकाता और इलाहाबाद में है ।एनआईए की रिपोर्ट में यह भी जिक्र है कि माओवादी बड़ा विकास ने इन कंपनियों में सबसे अधिक पैसों का निवेश किया है। बड़ा विकास ने साल 2016 में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था ।सरेंडर करने के बाद से ही वह जेल में बंद है। एनआईए ने निवेश किए गए कंपनियों के निदेशकों की गतिविधियों को भी संदिग्ध बताया है ।एनआईए ने राज्य पुलिस को इन म्यूच्यूअल फंड कंपनियों पर कार्रवाई के लिए भी पत्र लिखा है।




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