रांची/हैदराबाद: भारत ने जैश ए मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को तबाह करने लिए एयर स्ट्राइक किया है. कहा जा रहा है कि इसमें जैश के कई टॉप कमांडर मारे गए हैं. साथ ही पीओके में चल रहे टेरर कैंप को बर्बाद कर दिया गया है.
दरअसल, पुलवामा हमले के बाद से पाकिस्तान पर कार्रवाई की मांग उठ रही थी. हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सीआरपीएफ जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी. कई चुनावी सभाओं में भी इस बात को दोहराया था कि हम बदला लेंगे. सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर हम आपको बताते हैं कि इस पूरे ऑपरेशन के कैसे अंजाम दिया गया.
पुलवामा हमले के बाद पीएम मोदी सेना प्रमुखों के साथ बैठक की थी. 15 फरवरी को वायुसेना प्रमुख बीरेंद्र सिंह धनोआ एयर स्ट्राइक का प्रजेंटेशन दिया. इस प्रस्ताव को सरकार ने मंजूर कर लिया.
16 से 20 फरवरी भारतीय वायु सेना और आर्मी हेरॉन ड्रोन के साथ एलोसी पर हवाई निगरानी की. 20 से 22 फरवरी को इंडियन एयरफोर्ट और खुफिया एंजेंसियों ने अटैक के लिए संभावित ठिकानों पर अपने टारगेट सेट किए.
21 फरवरी को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के समक्ष एयर स्ट्राइक की संभावित ठिकानों की सूची रखी गई कि इन जगहों पर हमले किए जा सकते हैं.
22 फरवरी को IAF के एक स्क्वाड्रन 'टाइगर्स' और 7 स्क्वाड्रन 'बैटल एक्सिस' एयर स्ट्राइक के लिए सक्रिय हुए. 12 जेट के लिए दो मिराज स्क्वाड्रन नामित किए गए.
24 फरवरी को मध्य भारत में इसका ट्रायल किया गया. जिसमें जेट का भटिंडा एयरबेस और हवा में ईंधन भरने के लिए आगरा में ट्रायल हुआ.
25-26 फरवरी को ऑपरेशन की शुरुआत हुई. 12 मीराज 2000 इसके लिए ग्वालियर एयरबेस से उड़ान भरी. ये हथियारों और लेजर गाइडेड बम से लैस थे.
इसके साथ ही खतरने से निपटने के लिए भटिंडा एयरबेस और हवा में ईंधन भरने के लिए आगरा एयरपोर्ट से उड़ान भरी थी. इसके साथ हेरॉन ड्रॉन भी सीक्रेट एयर फिल्ड से नजर बनाए हुए था.
मिराट के पायलट अपने लक्ष्य के फिर से जांचते हैं और कमांड मिलते ही इसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए बढ़ जाते हैं. उसके बाद मुजफ्फराबाद के पास स्थित एलोसी तक नीचले लेवल पर उड़ते हैं. लेजर पॉड के जरिए टारगेट को साधते हैं और बम गिरा देते हैं.
इस पूरे मिशन को भोर में 3.20 से लेकर 3.30 के बीच में अंजाम दिया गया. उसके बाद सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने पीएम मोदी को पूरे ऑपरेशन की जानकारी दी.