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कांग्रेस ने रांची में फिर से खेला सुबोधकांत पर दांव, जानिए इनकी शख्सियत

कांग्रेस ने झारखंड के अपने तीन उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी हैं. जिनमें रांची से सुबोधकांत सहाय भी है. जानिए सुबोधकांत सहाय के बारे में.

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Published : Apr 3, 2019, 2:17 AM IST

सुबोधकांत सहाय

रांचीः कांग्रेस ने एक बार फिर राज्य के सबसे हॉट लोकसभा सीट रांची के लिए अपने पुराने प्रत्याशी सुबोधकांत सहाय पर ही भरोसा जताया है. पार्टी ने उन्हें फिर से टिकट दिया है. पार्टी को पूरी उम्मीद है कि वो इसबार मैदान फतह करेंगे.

ये भी पढ़ें-LOKSABHA ELECTION: झारखंड में कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली LIST जारी, 3 प्रत्याशियों के नाम की हुई घोषणा

सुबोधकांत सहाय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. उन्हें सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के काफी करीबी माना जाता है. सुबोधकांत सहाय 14वीं और 15वीं लोकसभा के सदस्य थे. हालांकि पिछला चुनाव वो हार गए थे. पार्टी ने उनपर भरोसा जताते हुए एकबार फिर से टिकट दिया है. पार्टी को पूरी उम्मीद है कि इसबार वो फिर से रांची के दंगल में अव्वल साबित होगे.

सुबोधकांत सहाय का जन्म तत्कालीन बिहार के लातेहार में 1951 में हुआ था. उन्होंने बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई एएन कॉलेज पटना और रांची यूनिवर्सिटी से की है. वो 1978-1989 तक बिहार विधानसभा के अध्यक्ष रहे. 1989 में वो रांची से पहली बार सांसद बने. उस समय वो जनता दल में थे. 1990 में वो भारत सरकार के गृह मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय का राज्य मंत्री बनाया गया.

2004 और 2009 लोकसभा चुनाव में वो फिर से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. 2004 में उन्हें खाद्य प्रसंस्करण विभाग का राज्य मंत्री बनाया गया. 2006 में उन्हें इसी विभाग में कैबिनेट मंत्री बना दिया गया. साल 2011 में उन्हें केंद्रीय पर्यटन मंत्री बनाया गया. 2014 में वो अपनी सीट हार गए.


रांचीः कांग्रेस ने एक बार फिर राज्य के सबसे हॉट लोकसभा सीट रांची के लिए अपने पुराने प्रत्याशी सुबोधकांत सहाय पर ही भरोसा जताया है. पार्टी ने उन्हें फिर से टिकट दिया है. पार्टी को पूरी उम्मीद है कि वो इसबार मैदान फतह करेंगे.

ये भी पढ़ें-LOKSABHA ELECTION: झारखंड में कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली LIST जारी, 3 प्रत्याशियों के नाम की हुई घोषणा

सुबोधकांत सहाय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. उन्हें सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के काफी करीबी माना जाता है. सुबोधकांत सहाय 14वीं और 15वीं लोकसभा के सदस्य थे. हालांकि पिछला चुनाव वो हार गए थे. पार्टी ने उनपर भरोसा जताते हुए एकबार फिर से टिकट दिया है. पार्टी को पूरी उम्मीद है कि इसबार वो फिर से रांची के दंगल में अव्वल साबित होगे.

सुबोधकांत सहाय का जन्म तत्कालीन बिहार के लातेहार में 1951 में हुआ था. उन्होंने बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई एएन कॉलेज पटना और रांची यूनिवर्सिटी से की है. वो 1978-1989 तक बिहार विधानसभा के अध्यक्ष रहे. 1989 में वो रांची से पहली बार सांसद बने. उस समय वो जनता दल में थे. 1990 में वो भारत सरकार के गृह मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय का राज्य मंत्री बनाया गया.

2004 और 2009 लोकसभा चुनाव में वो फिर से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. 2004 में उन्हें खाद्य प्रसंस्करण विभाग का राज्य मंत्री बनाया गया. 2006 में उन्हें इसी विभाग में कैबिनेट मंत्री बना दिया गया. साल 2011 में उन्हें केंद्रीय पर्यटन मंत्री बनाया गया. 2014 में वो अपनी सीट हार गए.


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रांचीः कांग्रेस ने एक बार फिर राज्य के सबसे हॉट लोकसभा सीट रांची के लिए अपने पुराने प्रत्याशी सुबोधकांत सहाय पर ही भरोसा जताया है. पार्टी ने उन्हें फिर से टिकट दिया है. पार्टी को पूरी उम्मीद है कि वो इसबार मैदान फतह करेंगे.

 

सुबोधकांत सहाय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. उन्हें सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के काफी करीबी माना जाता है. सुबोधकांत सहाय 14वीं और 15वीं लोकसभा के सदस्य थे. हालांकि पिछला चुनाव वो हार गए थे. पार्टी ने उनपर भरोसा जताते हुए एकबार फिर से टिकट दिया है. पार्टी को पूरी उम्मीद है कि इसबार वो फिर से रांची के दंगल में अव्वल साबित होगे.



सुबोधकांत सहाय का जन्म तत्कालीन बिहार के लातेहार में 1951 में हुआ था. उन्होंने बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई एएन कॉलेज पटना और रांची यूनिवर्सिटी से की है. वो 1978-1989 तक बिहार विधानसभा के अध्यक्ष रहे. 1989 में वो रांची से पहली बार सांसद बने. उस समय वो जनता दल में थे. 1990 में वो भारत सरकार के गृह मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय का राज्य मंत्री बनाया गया.



2004 और 2009 लोकसभा चुनाव में वो फिर से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. 2004 में उन्हें खाद्य प्रसंस्करण विभाग का राज्य मंत्री बनाया गया. 2006 में उन्हें इसी विभाग में कैबिनेट मंत्री बना दिया गया. साल 2011 में उन्हें केंद्रीय पर्यटन मंत्री बनाया गया. 2014 में वो अपनी सीट हार गए.

 




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