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दुमका में एकबार फिर आमने-सामने होंगे गुरु-शिष्य, जानिए कौन हैं शिबू सोरेन

झारखंड की उपराजधानी दुमका में एकबार फिर गुरु-शिष्य आमने-सामने होंगे. देखना दिलचस्प होगा कि क्या इसबार चेला अपने शिष्य को हरा पाएंगे या फिर शिबू सोरेन अपना रिकॉर्ड बरकरार रखेंगे.

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Published : Apr 3, 2019, 6:18 PM IST

Updated : Apr 4, 2019, 1:41 PM IST

शिबू सोरेन(फाइल फोटो)

रांचीः जेएमएम झारखंड में 4 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है. पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है. पार्टी सुप्रीमो एकबार फिर दुमका से चुनावी मैदान में हैं. यहां उनका एकक्षत्र राज रहा है. पिछली बार भी उन्होंने शानदार जीत दर्ज की थी.

दुमका से जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन एकबार फिर चुनावी दंगल में किस्मत आजमा रहे हैं. शिबू सोरेन अपने 75 वसंत देख चुके हैं. उनका जीवन काफी संघर्ष भरा रहा है. झारखंड अलग राज्य के लिए उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी. हालांकि वो राज्य के पहले मुख्यमंत्री नहीं बन पाए. लेकिन वो तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने.

शिबू सोरेन का जन्म रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में 11 जनवरी, 1944 को हुआ. तब वे स्कूल में पढ़ते थे, जब उनके पिता सोबरन मांझी की महाजनों ने हत्या कर दी थी. उसके बाद शिबू ने संघर्ष का रास्ता चुन लिया. उन्होंने महाजनों के खिलाफ धान काटो आंदोलन चलाया.

1977 में शिबू सोरेन सियासत की तरफ मुड़े, लेकिन टुंडी से चुनाव हार गये. जिसके बाद उन्होंने दुमका को अपनी सियासी कर्मभूमि बनायी. 1980 में दुमका से लोकसभा चुनाव जीता और झारखंड मुक्ति मोर्चा के पहले सांसद बने. वो यहां से 8 बार सांसद रह चुके हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी के सुनील सोरेन को हराकर वो यहां से सांसद बने थे.

रांचीः जेएमएम झारखंड में 4 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है. पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है. पार्टी सुप्रीमो एकबार फिर दुमका से चुनावी मैदान में हैं. यहां उनका एकक्षत्र राज रहा है. पिछली बार भी उन्होंने शानदार जीत दर्ज की थी.

दुमका से जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन एकबार फिर चुनावी दंगल में किस्मत आजमा रहे हैं. शिबू सोरेन अपने 75 वसंत देख चुके हैं. उनका जीवन काफी संघर्ष भरा रहा है. झारखंड अलग राज्य के लिए उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी. हालांकि वो राज्य के पहले मुख्यमंत्री नहीं बन पाए. लेकिन वो तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने.

शिबू सोरेन का जन्म रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में 11 जनवरी, 1944 को हुआ. तब वे स्कूल में पढ़ते थे, जब उनके पिता सोबरन मांझी की महाजनों ने हत्या कर दी थी. उसके बाद शिबू ने संघर्ष का रास्ता चुन लिया. उन्होंने महाजनों के खिलाफ धान काटो आंदोलन चलाया.

1977 में शिबू सोरेन सियासत की तरफ मुड़े, लेकिन टुंडी से चुनाव हार गये. जिसके बाद उन्होंने दुमका को अपनी सियासी कर्मभूमि बनायी. 1980 में दुमका से लोकसभा चुनाव जीता और झारखंड मुक्ति मोर्चा के पहले सांसद बने. वो यहां से 8 बार सांसद रह चुके हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी के सुनील सोरेन को हराकर वो यहां से सांसद बने थे.

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Last Updated : Apr 4, 2019, 1:41 PM IST
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