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सिविल जज जूनियर डिविजन परीक्षा पर रोक लगाने की याचिका को झारखंड हाई कोर्ट ने किया खारिज

झारखंड लोक सेवा आयोग के द्वारा सिविल जज जूनियर डिविजन की नियुक्ति को लेकर विज्ञापन निकाला गया है. इस विज्ञापन को विकास उरांव ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. याचिका के माध्यम से उन्होंने कोर्ट को बताया कि सिविल जज जूनियर डिविजन का जो पद दिया गया है. उसमें आरक्षण जो एसपी को दिया गया है वह सही नहीं है और ना ही पद का आकलन ही सही है इस बिंदु पर अदालत में ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद सुनवाई होगी

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Published : May 18, 2019, 11:41 PM IST

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रांची: सिविल जज जूनियर डिविजन की परीक्षा पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. इसके बाद जेपीएससी द्वारा निर्धारित समय से ली जा रही प्रारंभिक परीक्षा का रास्ता साफ हो गया है.

सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि जेपीएससी द्वारा निकाले गए विज्ञापन में कई खामियां हैं. जिसके कारण इस परीक्षा पर रोक लगाएं या ली जा रही परीक्षा का परिणाम ना निकाला जाए. प्रार्थी के अधिवक्ता की दलील पर जेपीएससी की ओर से पक्ष रखते हुए संजय पेपर वालों ने विरोध करते हुए कहा कि प्रार्थी की मांग सही नहीं है. जिस पर अदालत ने जेपीएससी के आग्रह को स्वीकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है.

गौरतलब है कि झारखंड लोक सेवा आयोग के द्वारा सिविल जज जूनियर डिविजन की नियुक्ति को लेकर विज्ञापन निकाला गया है. इस विज्ञापन को विकास उरांव ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. याचिका के माध्यम से उन्होंने कोर्ट को बताया कि सिविल जज जूनियर डिविजन का जो पद दिया गया है. उसमें आरक्षण जो एसपी को दिया गया है वह सही नहीं है और ना ही पद का आकलन ही सही है इस बिंदु पर अदालत में ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद सुनवाई होगी

रांची: सिविल जज जूनियर डिविजन की परीक्षा पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. इसके बाद जेपीएससी द्वारा निर्धारित समय से ली जा रही प्रारंभिक परीक्षा का रास्ता साफ हो गया है.

सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि जेपीएससी द्वारा निकाले गए विज्ञापन में कई खामियां हैं. जिसके कारण इस परीक्षा पर रोक लगाएं या ली जा रही परीक्षा का परिणाम ना निकाला जाए. प्रार्थी के अधिवक्ता की दलील पर जेपीएससी की ओर से पक्ष रखते हुए संजय पेपर वालों ने विरोध करते हुए कहा कि प्रार्थी की मांग सही नहीं है. जिस पर अदालत ने जेपीएससी के आग्रह को स्वीकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है.

गौरतलब है कि झारखंड लोक सेवा आयोग के द्वारा सिविल जज जूनियर डिविजन की नियुक्ति को लेकर विज्ञापन निकाला गया है. इस विज्ञापन को विकास उरांव ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. याचिका के माध्यम से उन्होंने कोर्ट को बताया कि सिविल जज जूनियर डिविजन का जो पद दिया गया है. उसमें आरक्षण जो एसपी को दिया गया है वह सही नहीं है और ना ही पद का आकलन ही सही है इस बिंदु पर अदालत में ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद सुनवाई होगी

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रांची

सिविल जज जूनियर डिविजन के परीक्षा पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दी जिसके बाद जेपीएससी द्वारा निर्धारित समय से ली जा रही प्रारंभिक परीक्षा का रास्ता साफ हो गया है
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस और न्यायाधीश बीबी मंगल मूर्ति की अदालत में बिरसा उरांव द्वारा सिविल जज जूनियर डिविजन की प्रारंभिक परीक्षा पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत से बताया कि जेपीएससी द्वारा निकाले गए विज्ञापन में कई खामियां हैं जिसके कारण इन परीक्षा पर रोक लगाएं या लिए जा रहे परीक्षा की परीक्षा फल ना निकाला जाए Body:प्रार्थी की अधिवक्ता के दलील पर जेपीएससी की ओर से पक्ष रखते हुए संजय पेपर वालों ने विरोध करते हुए कहा कि प्रार्थी किया मांग सही नहीं है प्रार्थी की यह मांग और संवैधानिक है प्रार्थी की आई है याचिका को खारिज की जानी चाहिए जिस पर अदालत ने जेपीएससी की आग्रह को स्वीकार करते हुए आइए याचिका को खारिज कर दिया है अब मामले में उनके द्वारा दायर की गई मूल याचिका पर सुनवाई हो गई जिसमें जेपीएससी द्वारा निकाले गए विज्ञापन की खानी बताई गई है
Conclusion:बता दें कि झारखंड लोक सेवा आयोग के द्वारा सिविल जज जूनियर डिविजन की नियुक्ति को लेकर विज्ञापन निकाला गया है इसी विज्ञापन को विकास उरांव ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है याचिका के माध्यम से उन्होंने कोर्ट को बताया है कि सिविल जज जूनियर डिविजन का जो पद दिया गया है उसमें आरक्षण जो एसपी को दिया गया है वह सही नहीं है और ना ही पद का आकलन ही सही है इस बिंदु पर अदालत में ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद सुनवाई होगी
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