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आसान नहीं था दिनेश उरांव के लिए ये फैसला लेना, डिसीजन सुनाने से पहले शिवाजी महाराज को किया याद - Jharkhand News

झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष दिनेश उरांव के लिए दलबदल मामले को लेकर उनके न्यायाधिकरण में चल रहे मामले में फैसला देना आसान नहीं रहा होगा. फैसला सुनाने से लगभग 3 घंटे पहले उन्होंने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर छत्रपति शिवाजी महाराज का कोटेशन अपडेट किया है.

फेसबुक पोस्ट की तस्वीर
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Published : Feb 20, 2019, 9:18 PM IST

रांची: झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष दिनेश उरांव के लिए दलबदल मामले को लेकर उनके न्यायाधिकरण में चल रहे मामले में फैसला देना आसान नहीं रहा होगा. यह बात स्पीकर उरांव के फेसबुक प्रोफाइल को देखकर और भी स्पष्ट हो जाती है.

दरअसल, दलबदल मामले का फैसला सुनाने से लगभग 3 घंटे पहले उन्होंने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर छत्रपति शिवाजी महाराज का कोटेशन अपडेट किया है. कोटेशन में साफ लिखा है 'आत्मबल सामर्थ्य देता है और सामर्थ्य से विद्या की प्राप्ति होती है. विद्या स्थिरता प्रदान करती है और स्थिरता विजय की तरफ ले जाती है'. बता दें कि मूल रूप से कॉलेज में प्राध्यापक रहे दिनेश उरांव के न्यायाधिकरण में चल रहे इस मामले के दौरान कई बार उन्होंने आरोपी विधायकों को उनके वकीलों के माध्यम से फटकार भी लगाई है.

दलबदल के इस मामले के पुराने पन्नों को पलट कर देखें तो फरवरी 2015 में झाविमो के 6 विधायकों गणेश गंझू, नवीन जायसवाल, रणधीर सिंह, अमर बाउरी, आलोक चौरसिया और जानकी यादव ने बीजेपी का दामन थाम लिया. उसके तुरंत बाद झाविमो के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी और पार्टी के प्रधान महासचिव प्रदीप यादव ने स्पीकर के यहां आवेदन देकर उन छह विधायकों को अयोग्य करार करने की मांग रखी.

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मार्च 2015 में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई और 12 दिसंबर 2018 को सुनवाई पूरी की गई. इस दौरान कुल 97 तिथियां पड़ी. जिनमें से 64 तिथियों पर सुनवाई की गई, साथ ही भाजपा ने 78 गवाहों की लिस्ट दी थी जिनमें से 57 की गवाही हुई और झारखंड विकास मोर्चा की तरफ से आठ लोगों की गवाही दर्ज की गई.

दरअसल, झारखंड विधानसभा में दसवीं अनुसूची के तहत आया यह पहला मामला नहीं है. प्रथम झारखंड विधानसभा के दौरान 2005 में तीन सदस्यों लालचंद महतो, रामचंद्र केसरी और मधु सिंह की सदस्यता तत्कालीन स्पीकर मृगेंद्र प्रताप सिंह ने दसवीं अनुसूची के तहत रद्द कर दी थी. वहीं, इस मामले में शामिल एक और विधायक बच्चा सिंह ने अपनी सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था. वहीं, द्वितीय झारखंड विधानसभा में 6 विधानसभा सदस्यों की मेंबरशिप दसवीं अनुसूची के तहत रद्द की गई, जबकि तृतीय झारखंड विधानसभा में इस तरह के मामले की सुनवाई से पहले ही 5 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था.

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हालांकि बुधवार को चतुर्थ विधानसभा में दसवीं अनुसूची मामले की सुनवाई करते हुए स्पीकर ने छह झाविमो विधायकों के बीजेपी में विलय पर अपनी सहमति प्रदान करते हुए मरांडी और प्रदीप यादव की याचिका को खारिज कर दिया.

रांची: झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष दिनेश उरांव के लिए दलबदल मामले को लेकर उनके न्यायाधिकरण में चल रहे मामले में फैसला देना आसान नहीं रहा होगा. यह बात स्पीकर उरांव के फेसबुक प्रोफाइल को देखकर और भी स्पष्ट हो जाती है.

दरअसल, दलबदल मामले का फैसला सुनाने से लगभग 3 घंटे पहले उन्होंने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर छत्रपति शिवाजी महाराज का कोटेशन अपडेट किया है. कोटेशन में साफ लिखा है 'आत्मबल सामर्थ्य देता है और सामर्थ्य से विद्या की प्राप्ति होती है. विद्या स्थिरता प्रदान करती है और स्थिरता विजय की तरफ ले जाती है'. बता दें कि मूल रूप से कॉलेज में प्राध्यापक रहे दिनेश उरांव के न्यायाधिकरण में चल रहे इस मामले के दौरान कई बार उन्होंने आरोपी विधायकों को उनके वकीलों के माध्यम से फटकार भी लगाई है.

दलबदल के इस मामले के पुराने पन्नों को पलट कर देखें तो फरवरी 2015 में झाविमो के 6 विधायकों गणेश गंझू, नवीन जायसवाल, रणधीर सिंह, अमर बाउरी, आलोक चौरसिया और जानकी यादव ने बीजेपी का दामन थाम लिया. उसके तुरंत बाद झाविमो के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी और पार्टी के प्रधान महासचिव प्रदीप यादव ने स्पीकर के यहां आवेदन देकर उन छह विधायकों को अयोग्य करार करने की मांग रखी.

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मार्च 2015 में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई और 12 दिसंबर 2018 को सुनवाई पूरी की गई. इस दौरान कुल 97 तिथियां पड़ी. जिनमें से 64 तिथियों पर सुनवाई की गई, साथ ही भाजपा ने 78 गवाहों की लिस्ट दी थी जिनमें से 57 की गवाही हुई और झारखंड विकास मोर्चा की तरफ से आठ लोगों की गवाही दर्ज की गई.

दरअसल, झारखंड विधानसभा में दसवीं अनुसूची के तहत आया यह पहला मामला नहीं है. प्रथम झारखंड विधानसभा के दौरान 2005 में तीन सदस्यों लालचंद महतो, रामचंद्र केसरी और मधु सिंह की सदस्यता तत्कालीन स्पीकर मृगेंद्र प्रताप सिंह ने दसवीं अनुसूची के तहत रद्द कर दी थी. वहीं, इस मामले में शामिल एक और विधायक बच्चा सिंह ने अपनी सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था. वहीं, द्वितीय झारखंड विधानसभा में 6 विधानसभा सदस्यों की मेंबरशिप दसवीं अनुसूची के तहत रद्द की गई, जबकि तृतीय झारखंड विधानसभा में इस तरह के मामले की सुनवाई से पहले ही 5 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था.

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हालांकि बुधवार को चतुर्थ विधानसभा में दसवीं अनुसूची मामले की सुनवाई करते हुए स्पीकर ने छह झाविमो विधायकों के बीजेपी में विलय पर अपनी सहमति प्रदान करते हुए मरांडी और प्रदीप यादव की याचिका को खारिज कर दिया.

Intro:रांची। झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष दिनेश उरांव के लिए दलबदल मामले को लेकर उनके न्यायाधिकरण में चल रहे मामले में फैसला देना आसान नहीं रहा होगा। यह बात स्पीकर उरांव के फेसबुक प्रोफाइल को देखकर और भी स्पष्ट हो जाती है। दरअसल दलबदल मामले का फैसला सुनाने से लगभग 3 घंटे पहले उन्होंने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर छत्रपति शिवाजी महाराज का कोटेशन अपडेट किया है। कोटेशन में साफ लिखा है "आत्मबल सामर्थ्य देता है और सामर्थ्य से विद्या की प्राप्ति होती है। विद्या स्थिरता प्रदान करती है और स्थिरता विजय की तरफ ले जाती है। बता दें कि मूल रूप से कॉलेज में प्राध्यापक रहे उरांव के न्यायाधिकरण में चल रहे इस मामले के दौरान कई बार उन्होंने आरोपी विधायकों को उनके वकीलों के माध्यम से फटकार भी लगाई है।


Body:दल बदल के इस मामले के पुराने पन्नों को पलट कर देखें तो फरवरी 2015 में झाविमो के 6 विधायकों-गणेश गंझू, नवीन जायसवाल, रणधीर सिंह, अमर बाउरी, आलोक चौरसिया और जानकी यादव- ने बीजेपी का दामन थाम लिया। उसके तुरंत बाद झाविमो के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी और पार्टी के प्रधान महासचिव प्रदीप यादव ने स्पीकर के यहां आवेदन देकर उन छह विधायकों को अयोग्य करार करने की मांग रखी। मार्च 2015 में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई और 12 दिसंबर 2018 को सुनवाई पूरी की गई इस दौरान कुल 97 तिथियां पड़ी। जिनमें से 64 तिथियों पर सुनवाई की गई। साथ ही भाजपा ने 78 गवाहों के लिस्ट दी थी जिनमें से 57 की गवाही हुई और झारखंड विकास मोर्चा की तरफ से आठ लोगों की गवाही दर्ज की गई।


Conclusion:दरअसल झारखंड विधानसभा में दसवीं अनुसूची के तहत आया या पहला मामला नहीं है। प्रथम झारखंड विधानसभा के दौरान 2005 में तीन सदस्यों लालचंद महतो, रामचंद्र केसरी और मधु सिंह की सदस्यता तत्कालीन स्पीकर मृगेंद्र प्रताप सिंह ने दसवीं अनुसूची के तहत रद्द कर दी थी। वही इस मामले में शामिल एक और विधायक बच्चा सिंह ने अपनी सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था। वहीं द्वितीय झारखंड विधानसभा में 6 विधानसभा सदस्यों की मेंबरशिप दसवीं अनुसूची के तहत रद्द की गई। जबकि तृतीय झारखंड विधानसभा में इस तरह के मामले की सुनवाई से पहले ही 5 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था।
हालांकि बुधवार को चतुर्थ विधानसभा में दसवीं अनुसूची मामले की सुनवाई करते हुए स्पीकर ने छह झाविमो विधायकों के बीजेपी में विलय पर अपनी सहमति प्रदान करते हुए मरांडी और प्रदीप यादव की याचिका को खारिज कर दिया।
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