रांची: 2019 चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है. सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुट गई है. झारखंड में भी चुनाव सरगर्मी तेज है. जीताऊ उम्मीदवारों के नामों पर माथापच्ची जारी है. इस बार भी मुकाबला बीजेपी वर्सेज कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों के बीच है.
हम आपको झारखंड गठन के बाद से अब तक हुए लोकसभा चुनावों में सभी पार्टियों की क्या स्थिति रही है. वो चुनाव दर चुनाव के आंकड़े के आधार पर समझाएंगे. लेकिन हर लोकसभा चुनाव में बीजेपी मजबूत होते गई है और कांग्रेस कमजोर.
सबसे पहले बात 2014 लोकसभा चुनाव की कर लेते हैं. झारखंड के 14 सीटों में से 12 सीट भाजपा जीती हैं और 2 सीट जेएमएम जीती है. जबकि कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई. कुल मिलाकर 2014 में कांग्रेस के एक भी उम्मीदवार लोकसभा नहीं पहुंच पाए.
वोट शेयरिंग की बात करें तो 2014 के चुनाव में बीजेपी को 40.7 फीसदी वोट मिला. कांग्रेस को 13.5 फीसदी, जेवीएम को 12.3 फीसदी, जेएमएम को 9.4 फीसदी, आजसू को 3.8 फीसदी और अन्य को 20.3 फीसदी वोट मिले. 2014 में कुल 1 करोड़ 29 लाख 82 हजार 940 मतदाताओं ने वोट किए थे.
इसके साथ ही अगर 2009 लोकसभा चुनाव की बात करें तो झारखंड के 14 सीटों में से बीजेपी को 8, जेएमएम को 2, कांग्रेस को 1, जेवीएम को 2 और 2 निर्दलीय को मिले थे.
वहीं, 2009 में वोट शेयर को देखें तो झारखंड में भाजपा को महज 27.5 फीसदी वोट मिले थे. कांग्रेस को 15 फीसदी, जेएमएम को 11.7 फीसदी, जेवीएम को 10.5 फीसदी, आरजेडी को 5.3 फीसदी और अन्य को 30 फीसदी वोट मिले.
झारखंड गठन के बाद लोकसभा के पहली बार चुनाव 2004 में ही हुआ था. चुनाव के नतीजे बताते हैं कि उस वक्त कांग्रेस मजबूत थी. 2004 में झारखंड से कांग्रेस 6 सांसद जीतकर लोकसभा गए थे. जबकि बीजेपी एक ही सीट पर चुनाव जीत पाई थी. वहीं, जेएमएम के 4, आरजेडी के 2 और सीपीआई के एक उम्मीदवार चुनाव जीते थे.
वहीं, वोट शेयरिंग की बात करें तो 2004 में बीजेपी को 33 फीसदी, कांग्रेस को 21.4 फीसदी, जेएमएम को 16.3 फीसदी, सीपीआई को 3.8 फीसदी, जेडीयू को 3.8 फीसदी और अन्य को 21.7 फीसदी वोट मिले थे.
इन आंकड़ों से साफ होता है कि 2014 के चुनाव में 2 सीट जीतने वाली जेएमएम के तुलना में कांग्रेस के वोट ज्यादा थे. लेकिन यह विनिंग वोट में तब्दील नहीं हो पाया. हालांकि बीजेपी की तुलना में बहुत कम था. हर चुनाव के नतीजों को देख यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस यहां कमजोर होती गई है.
झारखंड बनने के बाद हर लोकसभा चुनाव में 'बाहुबली' बनती गई भाजपा, कांग्रेस होती रही 'साफ' - बीजेपी
झारखंड गठन के बाद राज्य में पहली बार 2004 में लोकसभा चुनाव हुए थे. इस चुनाव में कांग्रेस के पास 6 सीटें थी लेकिन 2014 में कांग्रेस को झारखंड से एक भी सीट नहीं मिली. पढ़िए पूरी रिपोर्ट
रांची: 2019 चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है. सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुट गई है. झारखंड में भी चुनाव सरगर्मी तेज है. जीताऊ उम्मीदवारों के नामों पर माथापच्ची जारी है. इस बार भी मुकाबला बीजेपी वर्सेज कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों के बीच है.
हम आपको झारखंड गठन के बाद से अब तक हुए लोकसभा चुनावों में सभी पार्टियों की क्या स्थिति रही है. वो चुनाव दर चुनाव के आंकड़े के आधार पर समझाएंगे. लेकिन हर लोकसभा चुनाव में बीजेपी मजबूत होते गई है और कांग्रेस कमजोर.
सबसे पहले बात 2014 लोकसभा चुनाव की कर लेते हैं. झारखंड के 14 सीटों में से 12 सीट भाजपा जीती हैं और 2 सीट जेएमएम जीती है. जबकि कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई. कुल मिलाकर 2014 में कांग्रेस के एक भी उम्मीदवार लोकसभा नहीं पहुंच पाए.
वोट शेयरिंग की बात करें तो 2014 के चुनाव में बीजेपी को 40.7 फीसदी वोट मिला. कांग्रेस को 13.5 फीसदी, जेवीएम को 12.3 फीसदी, जेएमएम को 9.4 फीसदी, आजसू को 3.8 फीसदी और अन्य को 20.3 फीसदी वोट मिले. 2014 में कुल 1 करोड़ 29 लाख 82 हजार 940 मतदाताओं ने वोट किए थे.
इसके साथ ही अगर 2009 लोकसभा चुनाव की बात करें तो झारखंड के 14 सीटों में से बीजेपी को 8, जेएमएम को 2, कांग्रेस को 1, जेवीएम को 2 और 2 निर्दलीय को मिले थे.
वहीं, 2009 में वोट शेयर को देखें तो झारखंड में भाजपा को महज 27.5 फीसदी वोट मिले थे. कांग्रेस को 15 फीसदी, जेएमएम को 11.7 फीसदी, जेवीएम को 10.5 फीसदी, आरजेडी को 5.3 फीसदी और अन्य को 30 फीसदी वोट मिले.
झारखंड गठन के बाद लोकसभा के पहली बार चुनाव 2004 में ही हुआ था. चुनाव के नतीजे बताते हैं कि उस वक्त कांग्रेस मजबूत थी. 2004 में झारखंड से कांग्रेस 6 सांसद जीतकर लोकसभा गए थे. जबकि बीजेपी एक ही सीट पर चुनाव जीत पाई थी. वहीं, जेएमएम के 4, आरजेडी के 2 और सीपीआई के एक उम्मीदवार चुनाव जीते थे.
वहीं, वोट शेयरिंग की बात करें तो 2004 में बीजेपी को 33 फीसदी, कांग्रेस को 21.4 फीसदी, जेएमएम को 16.3 फीसदी, सीपीआई को 3.8 फीसदी, जेडीयू को 3.8 फीसदी और अन्य को 21.7 फीसदी वोट मिले थे.
इन आंकड़ों से साफ होता है कि 2014 के चुनाव में 2 सीट जीतने वाली जेएमएम के तुलना में कांग्रेस के वोट ज्यादा थे. लेकिन यह विनिंग वोट में तब्दील नहीं हो पाया. हालांकि बीजेपी की तुलना में बहुत कम था. हर चुनाव के नतीजों को देख यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस यहां कमजोर होती गई है.
रांची: 2019 चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है. सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुट गई है. झारखंड में भी चुनाव सरगर्मी तेज है. जीताऊ उम्मीदवारों के नामों पर माथापच्ची जारी है. इस बार भी मुकाबला बीजेपी वर्सेज कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों के बीच है.
हम आपको झारखंड गठन के बाद से अब तक हुए लोकसभा चुनावों में सभी पार्टियों की क्या स्थिति रही है. वो चुनाव दर चुनाव के आंकड़े के आधार पर समझाएंगे. लेकिन हर लोकसभा चुनाव में बीजेपी मजबूत होते गई है और कांग्रेस कमजोर.
सबसे पहले बात 2014 लोकसभा चुनाव की कर लेते हैं. झारखंड के 14 सीटों में से 12 सीट भाजपा जीती हैं और 2 सीट जेएमएम जीती है. जबकि कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई. कुल मिलाकर 2014 में कांग्रेस के एक भी उम्मीदवार लोकसभा नहीं पहुंच पाए.
वोट शेयरिंग की बात करें तो 2014 के चुनाव में बीजेपी को 40.7 फीसदी वोट मिला. कांग्रेस को 13.5 फीसदी, जेवीएम को 12.3 फीसदी, जेएमएम को 9.4 फीसदी, आजसू को 3.8 फीसदी और अन्य को 20.3 फीसदी वोट मिले. 2014 में कुल 1 करोड़ 29 लाख 82 हजार 940 मतदाताओं ने वोट किए थे.
इसके साथ ही अगर 2009 लोकसभा चुनाव की बात करें तो झारखंड के 14 सीटों में से बीजेपी को 8, जेएमएम को 2, कांग्रेस को 1, जेवीएम को 2 और 2 निर्दलीय को मिले थे.
वहीं, 2009 में वोट शेयर को देखें तो झारखंड में भाजपा को महज 27.5 फीसदी वोट मिले थे. कांग्रेस को 15 फीसदी, जेएमएम को 11.7 फीसदी, जेवीएम को 10.5 फीसदी, आरजेडी को 5.3 फीसदी और अन्य को 30 फीसदी वोट मिले.
झारखंड गठन के बाद लोकसभा के पहली बार चुनाव 2004 में ही हुआ था. चुनाव के नतीजे बताते हैं कि उस वक्त कांग्रेस मजबूत थी. 2004 में झारखंड से कांग्रेस 6 सांसद जीतकर लोकसभा गए थे. जबकि बीजेपी एक ही सीट पर चुनाव जीत पाई थी. वहीं, जेएमएम के 4, आरजेडी के 2 और सीपीआई के एक उम्मीदवार चुनाव जीते थे.
वहीं, वोट शेयरिंग की बात करें तो 2004 में बीजेपी को 33 फीसदी, कांग्रेस को 21.4 फीसदी, जेएमएम को 16.3 फीसदी, सीपीआई को 3.8 फीसदी, जेडीयू को 3.8 फीसदी और अन्य को 21.7 फीसदी वोट मिले थे.
इन आंकड़ों से साफ होता है कि 2014 के चुनाव में 2 सीट जीतने वाली जेएमएम के तुलना में कांग्रेस के वोट ज्यादा थे. लेकिन यह विनिंग वोट में तब्दील नहीं हो पाया. हालांकि बीजेपी की तुलना में बहुत कम था. हर चुनाव के नतीजों को देख यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस यहां कमजोर होती गई है.
Conclusion: