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बाबूलाल को 'गच्चा' देकर बीजेपी में चले गए थे ये 6 विधायक, फैसले के बाद विपक्ष पस्त और BJP मस्त

तकरीबन 4 साल के इंतजार के बाद बुधवार को ये फैसला आ ही गया, जिस पर झारखंड के सभी राजनीति दलों की नजर थी. लंबी सुनवाई के बाद विधानसभा के स्पीकर दिनेश उरांव ने बागी विधायकों के लिए राहत भरा फैसला सुनाया. उन्होंने जेवीएम के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़कर जीते 8 विधायकों में से 6 बागी विधायकों के बीजेपी में विलय को सही करार दिया.

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Published : Feb 21, 2019, 12:22 PM IST

रांची: 2014 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद फरवरी 2015 में झारखंड विकास मोर्चा के 6 विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. उन विधायकों में आलोक चौरसिया, अमर बाउरी, रणधीर सिंह, जानकी यादव, गणेश गंझू और नवीन जयसवाल के नाम शामिल है. इनमें से दो मौजूदा सरकार में मंत्री हैं. इसी दलबदल मामले में आज फैसला आया है. स्पीकर ने जेवीएम के बागी विधायकों के बीजेपी में विलय को सही करार देते हुए जेवीएम की याचिका को खारिज कर दिया है.

जैसे ही विधानसभा अध्यक्ष ने ये फैसला सुनाया झारखंड की राजनीति का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया. विपक्षी दलों के विधायक फैसले पर सवाल उठाने लगे. जेवीएम को पहले से ही इस बात का अंदेशा था कि फैसला उनके खिलाफ आने वाला है, लिहाजा विधानसभा न्यायाधिकरण में ना तो बाबूलाल ही पहुंचे और ना ही प्रदीप यादव दिखे. जेवीएम ने अब हाई कोर्ट जाने की बात कही है.

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इधर, जेवीएम से बीजेपी में आए विधायक जानकी यादव ने कहा कि इस फैसले से सबकुछ साफ हो गया है, प्रदीप यादव अब निर्दलीय विधायक कहलाएंगे. उन्होंने कहा कि वो चुनाव आयोग से जेवीएम का चुनाव चिन्ह रद्द करने की अपील करेंगे. दलबदल के इस मामले में स्पीकर के फैसले से ये तो साफ हो गया है कि जेवीएम का बीजेपी में विलय हो गया है लेकिन ऐसे में सवाल ये उठता है कि बाबूलाल की स्थिति क्या है, वो कहां है और उनकी पार्टी जेवीएम का क्या होगा?

रांची: 2014 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद फरवरी 2015 में झारखंड विकास मोर्चा के 6 विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. उन विधायकों में आलोक चौरसिया, अमर बाउरी, रणधीर सिंह, जानकी यादव, गणेश गंझू और नवीन जयसवाल के नाम शामिल है. इनमें से दो मौजूदा सरकार में मंत्री हैं. इसी दलबदल मामले में आज फैसला आया है. स्पीकर ने जेवीएम के बागी विधायकों के बीजेपी में विलय को सही करार देते हुए जेवीएम की याचिका को खारिज कर दिया है.

जैसे ही विधानसभा अध्यक्ष ने ये फैसला सुनाया झारखंड की राजनीति का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया. विपक्षी दलों के विधायक फैसले पर सवाल उठाने लगे. जेवीएम को पहले से ही इस बात का अंदेशा था कि फैसला उनके खिलाफ आने वाला है, लिहाजा विधानसभा न्यायाधिकरण में ना तो बाबूलाल ही पहुंचे और ना ही प्रदीप यादव दिखे. जेवीएम ने अब हाई कोर्ट जाने की बात कही है.

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इधर, जेवीएम से बीजेपी में आए विधायक जानकी यादव ने कहा कि इस फैसले से सबकुछ साफ हो गया है, प्रदीप यादव अब निर्दलीय विधायक कहलाएंगे. उन्होंने कहा कि वो चुनाव आयोग से जेवीएम का चुनाव चिन्ह रद्द करने की अपील करेंगे. दलबदल के इस मामले में स्पीकर के फैसले से ये तो साफ हो गया है कि जेवीएम का बीजेपी में विलय हो गया है लेकिन ऐसे में सवाल ये उठता है कि बाबूलाल की स्थिति क्या है, वो कहां है और उनकी पार्टी जेवीएम का क्या होगा?
Intro:रांची। लगभग 4 साल से झारखंड असेंबली में झाविमो के दल बदल करने वाले विधायकों के मामले पर फैसला आ गया है। स्पीकर दिनेश उरांव ने इस मामले में झाविमो के छह विधायकों के बीजेपी में विलय को सही ठहराया है। स्पीकर उरांव ने झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी और पार्टी के प्रधान महासचिव प्रदीप यादव की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन विधायकों के खिलाफ दसवीं अनुसूची के आधार पर कार्रवाई की मांग की गई थी।
स्पीकर ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद यह फैसला लिया गया है।
बीजेपी की तरफ से वकील विनोद कुमार साहू ने कहा कि छह विधायकों के विलय के दावे को सही माना है।
वहीं झाविमो के वकील आर एन सहाय में कहा कि पार्टी नेताओं से विमर्श कर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर झाविमो का विलय बीजेपी में ही गया है तो ऐसे में बाबूलाल मरांडी किस दल में हैं।
वही पार्टी के केंद्रीय महासचिव खालिद ने कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है।



Body:दरसल 2014 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद फरवरी 2015 में झारखंड विकास मोर्चा के 6 विधायको ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। उन विधायकों में आलोक चौरसिया, अमर बाउरी, रणधीर सिंह, जानकी यादव, गणेश गंझू और नवीन जयसवाल के नाम शामिल है। इनमें से दो मौजूदा सरकार में मंत्री हैं जबकि 3 अलग अलग बोर्ड और निगम में शीर्ष पद पर तैनात है। वही अन्य एक को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है।


Conclusion:
क्या क्या हुआ हूं इस मामले में अबतक
दलबदल मामले को शुरुआत से देखें तो 2015 में ही इन विधायकों के खिलाफ झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने स्पीकर के यहां शिकायत दर्ज कराई। साथ जी उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की। जून 2017 तक इस मामले में गवाही पूरी हुई और 12 दिसंबर 2018 को इस मामले की सुनवाई पूरी हुई थी।
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