रांची: जेवीएम के 6 विधायकों के दलबदल मामले में 20 फरवरी को फैसला सुनाया जाएगा. विधानसभा सचिवालय के न्यायाधिकरण कक्ष में दोपहर 3:30 बजे फैसला सुनाने का समय निर्धारित किया गया है. विधानसभा अध्यक्ष डॉ दिनेश उरांव ने इस बाबत जेवीएम सुप्रीमो सह याचिकाकर्ता बाबूलाल मरांडी को पत्र जारी किया है.
किन 6 विधायकों पर दल बदल का चल रहा था मामला
2014 के झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद झारखंड विकास मोर्चा के 6 विधायक अपनी पार्टी छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए थे. उनके नाम हैं, नवीन जयसवाल, अमर कुमार बाउरी, गणेश गंझु, रणधीर कुमार सिंह, जानकी प्रसाद यादव और आलोक चौरसिया.
भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत दल परिवर्तन के आधार पर इन 6 विधायकों की सदस्यता को अयोग्य करार देने के लिए बाबूलाल मरांडी ने 11 फरवरी 2015 को याचिका दायर की थी. इसी मामले में जेवीएम विधायक प्रदीप यादव ने भी 25 मार्च 2015 को याचिका दायर की थी. विधानसभा अध्यक्ष की कोर्ट में चली लंबी सुनवाई के बाद 12 दिसंबर 2018 को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था.
इनमें से कौन विधायक बने हैं मंत्री
जेवीएम के जो छह विधायक भाजपा में शामिल हुए थे उनमें से अमर कुमार बाउरी और रणधीर कुमार सिंह रघुवर कैबिनेट में मंत्री हैं.
अयोग्य करार देने पर सरकार की सेहत पर पड़ेगा असर ?
सबसे बड़ा सवाल है कि अगर विधानसभा अध्यक्ष संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत इन छह विधायकों की सदस्यता को अयोग्य करार देते हैं तो क्या इससे रघुवर सरकार की सेहत पर कोई असर पड़ेगा. दरअसल, झारखंड विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या 81 है. इस आधार पर बहुमत के लिए सरकार के पास 42 विधायकों का होना जरूरी है.
यदि छह विधायकों को अयोग्य करार दिया जाता है तो विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या 75 रह जाएगी. इस आधार पर सरकार के पास बहुमत के लिए 38 विधायक होने चाहिए. लिहाजा इस फैसले से सरकार की सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि भाजपा के पास 37 विधायक हैं और सहयोगी दल आजसू के चार विधायक हैं. लिहाजा सरकार को कुल 41 विधायकों का समर्थन है.
आजसू की भूमिका हो जाएगी अहम
अगर 6 विधायकों की सदस्यता समाप्त हो जाती है तब सरकार में शामिल आजसू की भूमिका अहम हो जाएगी. अगर आजसु ने समर्थन वापस लिया तो सरकार अल्पमत में आ जाएगी.