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नारी सशक्तिकरण की मिसाल, साइबर कैफे संचालिका से तय किया पंचायत प्रमुख तक का सफर

बोकारो जिले के चंदपुरा की प्रमुख अनिता गुप्ता एक तेज तर्रार महिला नेता के रूप में पहचानी जाती हैं. ये उस धारणा से बिल्कुल अलग हैं, जिसमें महिला जनप्रतिनिधि के पति मुखिया पति, प्रमुख पति, जिला परिषद पति के रूप में शासन चलाते हैं. अनिता गुप्ता बैठकों में शामिल होती हैं, वहां मुखर होकर बोलती हैं, जनता की समस्याओं को उठाती हैं.

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Published : Mar 8, 2019, 12:58 PM IST

Updated : Mar 8, 2019, 1:03 PM IST

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बोकारो: झारखंड का एक ऐसा जिला है जहां पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं का बोलबाला है. यहां कुल 60 प्रतिशत से भी ज्यादा महिलाएं प्रतिनिधि हैं. बोकारो जिले में कुल मुखिया में 60 प्रतिशत से ज्यादा सदस्य मुखिया महिला हैं. इसके साथ ही 31 में से 19 जिला परिषद सदस्य महिलाएं हैं. जिले की जिला परिषद अध्यक्ष भी महिला है. वहीं, जिले के 9 प्रखंड में 6 प्रखंड की प्रमुख महिलाएं हैं.

बोकारो जिले के चंदपुरा की प्रमुख अनिता गुप्ता एक तेज तर्रार महिला नेता के रूप में पहचानी जाती हैं. ये उस धारणा से बिल्कुल अलग हैं, जिसमें महिला जनप्रतिनिधि के पति मुखिया पति, प्रमुख पति, जिला परिषद पति के रूप में शासन चलाते हैं. अनिता गुप्ता बैठकों में शामिल होती हैं, वहां मुखर होकर बोलती हैं, जनता की समस्याओं को उठाती हैं. आज से करीब 10 साल पहले अनिता गुप्ता और उनके पति ने मिलकर साइबर कैफे की शुरुआत की, जिसके बाद इलाके में पहचान बनी. लोगों ने चुनाव लड़ने को सुझाव दिया. इसके बाद पंचायत समिति का चुनाव लड़ा और जीती. फिर प्रमुख बनी.

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अनिता गुप्ता महिलाओं की आवाज को जोरदार तरीके से उठाती हैं. महिलाओं को रोजगार दिलाने के लिए काम करती हैं. इसके साथ ही उन्हें शिक्षित बनाने की भी पूरी कोशिश कर रही हैं. इनका कहना है कि लोग कहते हैं कि राजनीति गंदी है. चलो मान लिया गंदी है, तो फिर इसे साफ करने के लिए किसी ना किसी को तो उतरना पड़ेगा. अगर आप आगे नहीं बढ़ते हैं, तो आपको कोई अधिकार नहीं है नेताओं को गाली देने का.

बोकारो: झारखंड का एक ऐसा जिला है जहां पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं का बोलबाला है. यहां कुल 60 प्रतिशत से भी ज्यादा महिलाएं प्रतिनिधि हैं. बोकारो जिले में कुल मुखिया में 60 प्रतिशत से ज्यादा सदस्य मुखिया महिला हैं. इसके साथ ही 31 में से 19 जिला परिषद सदस्य महिलाएं हैं. जिले की जिला परिषद अध्यक्ष भी महिला है. वहीं, जिले के 9 प्रखंड में 6 प्रखंड की प्रमुख महिलाएं हैं.

बोकारो जिले के चंदपुरा की प्रमुख अनिता गुप्ता एक तेज तर्रार महिला नेता के रूप में पहचानी जाती हैं. ये उस धारणा से बिल्कुल अलग हैं, जिसमें महिला जनप्रतिनिधि के पति मुखिया पति, प्रमुख पति, जिला परिषद पति के रूप में शासन चलाते हैं. अनिता गुप्ता बैठकों में शामिल होती हैं, वहां मुखर होकर बोलती हैं, जनता की समस्याओं को उठाती हैं. आज से करीब 10 साल पहले अनिता गुप्ता और उनके पति ने मिलकर साइबर कैफे की शुरुआत की, जिसके बाद इलाके में पहचान बनी. लोगों ने चुनाव लड़ने को सुझाव दिया. इसके बाद पंचायत समिति का चुनाव लड़ा और जीती. फिर प्रमुख बनी.

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अनिता गुप्ता महिलाओं की आवाज को जोरदार तरीके से उठाती हैं. महिलाओं को रोजगार दिलाने के लिए काम करती हैं. इसके साथ ही उन्हें शिक्षित बनाने की भी पूरी कोशिश कर रही हैं. इनका कहना है कि लोग कहते हैं कि राजनीति गंदी है. चलो मान लिया गंदी है, तो फिर इसे साफ करने के लिए किसी ना किसी को तो उतरना पड़ेगा. अगर आप आगे नहीं बढ़ते हैं, तो आपको कोई अधिकार नहीं है नेताओं को गाली देने का.

Intro:बोकारो जिला झारखंड का एक ऐसा जिला है जहां पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं का बोलबाला है। यहां कुल 60 प्रतिशत से भी ज्यादा महिला जान प्रतिनिधि हैं। बोकारो जिले में जहां कुल मुखिया में 60 प्रतिशत से ज्यादा सदस्य मुखिया महिला हैं। तो 31 में से 19 जिला परिषद सदस्य महिला है। जिले की जिला परिषद अध्यक्ष भी महिला है। तो वहीं जिले के 9 प्रखंड में से 6 प्रखंड की प्रमुख महिला है। ये आंकड़े बताता है पंचायती राज्य व्यवस्था में बोकारो में महिला शशक्तिकरण कितना शशक्त है


Body:बोकारो के चंदपुरा की प्रमुख हैं अनिता गुप्ता। अनिता गुप्ता एक तेज तर्रार महिला नेता के रूप में पहचानी जाती हैं। ये उस धारणा जिसमें महिला जनप्रतिनिधि के पति मुखिया पति, प्रमुख पति, जिला परिषद पति के रूप में शासन चलाते हैं। प्रतिनिधि रबर स्टाम्प मात्र बनकर रह जाती हैं। से बिल्कुल अलग हैं। बैठकों में शामिल होना। वहां मुखर होकर बोलना। जनता की समस्याओं को उठाना। ये सब किसी पुरूष जनप्रतिनिधि की तरह करती हैं। आज से करीब 10 साल पहले अनिता गुप्ता और उनके पति ने मिलकर सायबर कैफे की सुरुवात की थी। जिसके बाद इलाके में पहचान बनी। लोगों ने चुनाव लड़ने कहा। जिसके बाद पंचायत समिति का चुनाव लड़ा जीती और फिर प्रमुख बनी। अनिता गुप्ता लगातार सक्रिय है। वो महिलाओं की आवाज़ को जोरदार तरीके से उठती हैं। महिलाओं को रोजगार दिलाने के लिए काम करती हैं। साथ ही उन्हें शिक्षित बनाने की भी पूरी कोशिश कर रही हैं।इनका कहना है कि लोग कहते हैं राजनीति गंदा है। चलो मान लिया गंदा है। तो फिर इसे साफ करने के लिए किसी ना किसी को तो उतारना पड़ेगा। अगर आप आगे नहीं बढ़ते हैं तो आपको कोई अधिकार नहीं है नेताओँ को गाली देने का।


Conclusion:एक जनप्रतिनिधि का जीवन व्यस्त होता है। तो वहीं महिलाओं को घर परिवार की भी जिम्मेदारी होती है। अनिता गुप्ता इस जिम्मेदारी को भी बखूबी निभा रही है। एक ओर जहां जनता से जुड़े काम वो पूरी ईमानदारी से करती हैं वहीं। दूसरी अपने bachon को भी पूरा समय देती हैं। घर का कामकाज संभालती हैं तो पति को उनके काम में भी साथ देती हैं।
Last Updated : Mar 8, 2019, 1:03 PM IST
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