रांची,बोकारोः कृषि विधेयक 2022 का विरोध व्यापारियों के द्वारा लगातार किया जा रहा है. इसके अलावा 2 फीसदी अतिरिक्त बाजार समिति टैक्स वापस लेने की मांग की जा रही है. इस विरोध को और धार देते हुए फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ काॅमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने 15 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल के जरिए खाद्यान्न आवक पर रोक लगाने की धमकी दी है.
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चास बोकारो के व्यापारियों ने जुलूस निकालकर राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का पुतला फूंका. इस दौरान व्यापारियों ने राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और इसे काला कानून बताया. चास बाजार समिति के अध्यक्ष अनिल गोयल ने कहा कि कांग्रेस देश में महंगाई की बात करती है लेकिन राज्य में उनके मंत्री महंगाई को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 2 फीसदी बाजार समिति में टैक्स लगाया है. हम इसका विरोध करते हैं और यह दोहरी नीति हम बर्दाश्त नहीं करेंगे.
उन्होंने कहा कि अगर कृषि विधेयक को वापस नहीं लिया गया तो 15 फरवरी से सभी खाद्यान्न और आलू प्याज की दुकानें अनिश्चितकालीन के लिए बंद रहेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से पारित किया गया झारखंड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन विधेयक 2022 न तो राज्य के किसानों के हित में है न व्यापारियों और आम लोगों के लिए हितकर है. जब उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ ही महंगाई पर नियंत्रण के लिए मंडी शुल्क समाप्त कर दिया है, तब झारखंड में इस शुल्क को प्रभावी किया जा रहा है.
जीएसटी के अतिरिक्त डबल टैक्सेशन होगाः इस अतिरिक्त शुल्क से राज्य भर के खाद्यान्न व्यापारियों में आक्रोश है. उन्होंने कहा कि कहा कि शुल्क प्रभावी होने के बाद यहां का व्यापार पड़ोसी राज्यों में शिफ्ट होने लगेगा, जिससे सरकार को जीएसटी के रूप में भारी नुकसान होगा. राज्य में बिक्री के कई माल दूसरे राज्यों से आयात किये जाते हैं. ऐसी वस्तुओं पर कृषि शुल्क लागू होने से यह किसी विपणन व्यवस्था की फीस न होकर सीधे एक टैक्स के रूप में प्रभावी होगा, जो जीएसटी के अतिरिक्त डबल टैक्सेशन होगा.
कांग्रेस अध्यक्ष को पोस्टकार्ड भेजकर हस्तक्षेप की मांगः सोमवार को फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ काॅमर्स एंड इंडस्ट्रीज के आह्वान पर पूरे जिला से खाद्यान्न व्यापारियों, जिला चेंबर ऑफ काॅमर्स, खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों ने कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पोस्टकार्ड भेजा है. जिसमें यह कहा गया कि झारखंड में कृषि शुल्क प्रभावी करने के निर्णय से खाद्य वस्तु की कीमतों में मूल्यवृद्धि के साथ ही कृषि उपज, वन उपज, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के अलावा मत्स्यपालन, पशुपालन, बागवानी, कृषक, फल/सब्जी विक्रेता बुरी तरह प्रभावित होंगे. जिसका प्रतिकूल प्रभाव शहर से लेकर ग्रामीण स्तर तक पड़ेगा. महंगाई पर नियंत्रण के लिए झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2022 को स्थायी रूप से समाप्त करने के लिए हस्तक्षेप करें.
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