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Bokaro News: डिमांड में देसी फ्रिज! 50-150 रुपये में मिल रहा हर आकार का सुराही और घड़ा - झारखंड न्यूज

गर्मी से बचाव के लिए लोग कई जतन करते हैं, इसमें सबसे खास और चर्चित उपाय है गर्मी में घड़े के पानी का इस्तेमाल. तापमान बढ़ने के साथ ही बाजार में मिट्टी से बने बर्तन की मांग बढ़ जाती है. इन दिनों बोकारो में मिट्टी के बर्तन की बिक्री भी खूब हो रही है. शहर के विभिन्न बाजार में घड़े और सुराही की मांग काफी है.

sale of clay pots and jugs in Bokaro summer season
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Published : Apr 25, 2023, 12:48 PM IST

बोकारोः गर्मी का मौसम, बेहद बोझिल और शरीर को सूखा देने वाला होता है. लगातार गिरते पसीने से तन गीला और कंठ सूख जाता है. ऐसे में शीत जल की एक बूंद तन मन में तरावट पैदा कर देती है. भले ही घरों में फ्रिज का इस्तेमाल जरूर होता हो लेकिन देसी फ्रिज के पानी के क्या कहने. जी हां, हम बात कर रहे हैं गर्मी के दिनों में मिलने वाले मिट्टी के घड़े और सुराही की. जिसे बोलचाल की भाषा में देसी फ्रिज भी कहा जाता है. जिसका शीतल जल गर्मी के दिनों में तरावट देता है और इसका स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है.

इसे भी पढ़ें- Ranchi News: रांची में बढ़ती गर्मी के बीच महंगाई की मार! मौसमी फलों के दाम में भी हुई वृद्धि

बोकारो में गर्मी सिर चढ़कर बोल रहा है, तापमान का आंकड़ा 42 डिग्री है. इसको लेकर देसी फ्रिज यानी मिट्टी के घड़े और सुराही से शहर का बाजार सज गया है. कई इलाकों में मिट्टी से बने बर्तन की मांग काफी हो रही है. इस गर्मी में लोग अपने घरों के लिए परिवार के अनुसार घड़ा और सुराही की खरीद कर रहे हैं. भले ही फ्रिज, कूलर या एसी की बिक्री बढ़े ना बढ़े लेकिन मिट्टी के घड़े और सुराही की बिक्री खूब हो रही है.

शहर के राम मंदिर, दुंदीबाग और सेक्टर 4 चर्च मोड़ के पास घड़ा, मटका, सुराही की दुकानें सजी हुई है. यहां छोटे और बड़े आकार में मटके उपलब्ध हैं. इसके अलावा कई डिजाइनदार सुराही भी लोगों को खूब आकर्षित कर रहा है. मटका विक्रेता ने बताया कि 120 में बड़ा मटका मिलता है. वहीं छोटे आकार वाले का रेट कम है. इनकी खासियत के हिसाब से दाम निर्धारित है. क्योंकि कई घड़ों में नल लगे हुए हैं तो कइयों में नल नहीं लगाए गए हैं.

50 से 150 रुपये तक है कीमतः गर्मी की शुरूआत के साथ ही कुम्हार मटके, घड़े सुराही बनाने का काम शुरू कर देते हैं. वहीं अब तापमान में तेजी के साथ ही इनकी खरीदारी भी शुरू हो गई है. शहर के कई प्रमुख चौराहों के आसपास सड़क किनारे लगी अस्थायी दुकानों पर छोटे घड़े व मटके 50 रुपये से लेकर 70 रुपए और नल वाले मटके 120 से 150 रुपए प्रति पीस के हिसाब से बिक्री के लिए उपलब्ध है.

लाभकारी है घड़े का पानीः दुकानदारों और ग्राहकों की मानें तो गर्मी के दिनों में घड़े का पानी कई मायनों लाभकारी होता है. क्योंकि इसमें प्राकृतिक तरीके से पानी ठंडा होता है. जिससे इस पानी को पीने से स्वास्थ्य पर इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव भी नहीं पड़ता है. क्योंकि इसका पानी बिजली से चलने वाले फ्रिज की तरह बहुत ज्यादा ठंडा नहीं होता है. क्योंकि गर्मी में सीधे फ्रिज का पानी पीने से कई लोगों को तुरंत जुकाम हो जाता है. लेकिन मिट्टी से बने बर्तनों के पानी को लेकर ऐसा होने की संभावना कम रहती है.

बोकारोः गर्मी का मौसम, बेहद बोझिल और शरीर को सूखा देने वाला होता है. लगातार गिरते पसीने से तन गीला और कंठ सूख जाता है. ऐसे में शीत जल की एक बूंद तन मन में तरावट पैदा कर देती है. भले ही घरों में फ्रिज का इस्तेमाल जरूर होता हो लेकिन देसी फ्रिज के पानी के क्या कहने. जी हां, हम बात कर रहे हैं गर्मी के दिनों में मिलने वाले मिट्टी के घड़े और सुराही की. जिसे बोलचाल की भाषा में देसी फ्रिज भी कहा जाता है. जिसका शीतल जल गर्मी के दिनों में तरावट देता है और इसका स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है.

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बोकारो में गर्मी सिर चढ़कर बोल रहा है, तापमान का आंकड़ा 42 डिग्री है. इसको लेकर देसी फ्रिज यानी मिट्टी के घड़े और सुराही से शहर का बाजार सज गया है. कई इलाकों में मिट्टी से बने बर्तन की मांग काफी हो रही है. इस गर्मी में लोग अपने घरों के लिए परिवार के अनुसार घड़ा और सुराही की खरीद कर रहे हैं. भले ही फ्रिज, कूलर या एसी की बिक्री बढ़े ना बढ़े लेकिन मिट्टी के घड़े और सुराही की बिक्री खूब हो रही है.

शहर के राम मंदिर, दुंदीबाग और सेक्टर 4 चर्च मोड़ के पास घड़ा, मटका, सुराही की दुकानें सजी हुई है. यहां छोटे और बड़े आकार में मटके उपलब्ध हैं. इसके अलावा कई डिजाइनदार सुराही भी लोगों को खूब आकर्षित कर रहा है. मटका विक्रेता ने बताया कि 120 में बड़ा मटका मिलता है. वहीं छोटे आकार वाले का रेट कम है. इनकी खासियत के हिसाब से दाम निर्धारित है. क्योंकि कई घड़ों में नल लगे हुए हैं तो कइयों में नल नहीं लगाए गए हैं.

50 से 150 रुपये तक है कीमतः गर्मी की शुरूआत के साथ ही कुम्हार मटके, घड़े सुराही बनाने का काम शुरू कर देते हैं. वहीं अब तापमान में तेजी के साथ ही इनकी खरीदारी भी शुरू हो गई है. शहर के कई प्रमुख चौराहों के आसपास सड़क किनारे लगी अस्थायी दुकानों पर छोटे घड़े व मटके 50 रुपये से लेकर 70 रुपए और नल वाले मटके 120 से 150 रुपए प्रति पीस के हिसाब से बिक्री के लिए उपलब्ध है.

लाभकारी है घड़े का पानीः दुकानदारों और ग्राहकों की मानें तो गर्मी के दिनों में घड़े का पानी कई मायनों लाभकारी होता है. क्योंकि इसमें प्राकृतिक तरीके से पानी ठंडा होता है. जिससे इस पानी को पीने से स्वास्थ्य पर इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव भी नहीं पड़ता है. क्योंकि इसका पानी बिजली से चलने वाले फ्रिज की तरह बहुत ज्यादा ठंडा नहीं होता है. क्योंकि गर्मी में सीधे फ्रिज का पानी पीने से कई लोगों को तुरंत जुकाम हो जाता है. लेकिन मिट्टी से बने बर्तनों के पानी को लेकर ऐसा होने की संभावना कम रहती है.

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