बोकारोः जब मन में हौसला हो और आंखों में कुछ कर गुजरने का सपना तो कोई काम असंभव नहीं रहता. बोकारो के तिलैया गांव के रहने वाले कुलदीप ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया है. दिव्यांग होने के बावजूद भी कुलदीप अपनी पढ़ाई से कोई समझौता नहीं करते. जब वह हाथ से लिखने में सक्षम नहीं हो पाए, तो उन्होंने अपने पैरों से ही लिखना शुरू कर दिया.
सड़क हादसे में कुलदीप की कमर ने भी दे दिया जवाब
शहर की चकाचौंध से दूर सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में भी रहने के बावजूद कुलदीप ने अपनी इंटर तक की पढ़ाई पूरी की, लेकिन शायद किस्मत को भी कुछ और मंजूर था. बचपन से वह दिव्यांग थे, लेकिन किसी तरह वह अपने पैरों और हाथों से थोड़ा बहुत काम कर लेते थे. इसी बीच उनके साथ एक और हादसा घटित हुआ. जब वह ग्रेजुएशन के पहले साल की परीक्षा देकर अपने चाचा के साथ लौट रहे थे तो एक बाइक से वह गिर गए, जिसमें उनकी कमर भी टूट गई. कमर टूट जाने के वजह से अब वह उठ-बैठ भी नहीं पाते. उन्हें घिसट कर चलने लगे हैं. उन्हें असहनीय दर्द से हर रोज गुजरना पड़ रहा है.
सरकारी मदद की है मांग
इन मुश्किलों के बावजूद भी कुलदीप का आत्मविश्वास नहीं डगमगाया. वह अपने पसंदीदा विषय हिंदी के टीचर बनना चाहते हैं. कुलदीप के मां-बाप की मौत के बाद वह अपनी बूढ़ी दादी के साथ रहते हैं. कुलदीप की दादी का कहना है कि कब तक कोई उसका सहारा बनेगा. डॉक्टर उसका किसी भी तरह के ऑपरेशन करने से डरते हैं. सरकारी मदद के नाम पर कुलदीप को एक व्हील चेयर भी नहीं दी गई. वह इतनी मुसीबतों के बाद भी पढ़ना चाहता है. उन्होंने कहा कि भले ही वह अपने पैरों से लिखता हो, लेकिन वह पढ़ने में तेज है. अगर उसे सरकारी मदद मिलेगी तो वह बेशक अपने शिक्षक बनने के सपने को पूरा कर पाएगा.
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बेरमो विधायक करेंगे हर संभव मदद
वहीं, दूसरी ओर बेरमो विधायक योगेश्वर महतो बाटुल का कहना है कि कुलदीप उनके जिले की शान है. उन्होंने कुलदीप को रिमोट व्हील चेयर और बाइक भी उपलब्ध कराने की बात कही है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कुलदीप की वह हर संभव मदद करने को तैयार हैं.