बोकारो: कोरोना संक्रमण के नौ मरीजों को ठीक कर उनके घर भेज देने से बोकारो ने राहत की सांस ली है. एक और जहां देश में कोरोना विस्फोटक रूप लेते जा रहा है. वहीं, बोकारो में कोरोना पर काबू के लिए जिला प्रशासन की खूब तारीफ हो रही है, तो देश में बोकारो मॉडल की भी चर्चा शुरु हो गई है. इस पर जिले के उपायुक्त मुकेश कुमार से ईटीवी भारत की खास बातचीत की.
बोकारो उपायुक्त मुकेश कुमार जो जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पासआउट हैं वे ना केवल कोरोना को हराने के लिए निर्णय लिए बल्कि उन्होंने कोरोना काल में लोगों को रोजगार दिलाने से लेकर जरूरी चीजों की आपूर्ति पर भी ध्यान दिया.
बोकारो जिला प्रशासन के सराहनीय काम
- स्माइलिंग बोकारो सेनेटाइजर, बाजार में बहुत ही सस्ते कीमत में उपलब्ध
- घर-घर तक सब्जी पहुंचना
- लोगों के लिए लोगों की सहायता से लोगों तक खाना पहुंचना
- लॉकडॉउन में फेसबुक पेज से 10 हजार से ज्यादा बच्चों को ट्यूशन
अब दूसरे प्रदेशों से आए लोगों में संक्रमण ना हो और ना फैले ये प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है. बोकारो डीसी का मानना है जिले को राहत लेने का अवसर जरूर मिला है. लेकिन लॉकडाउन के कारण बाहर फंसे बोकारो के छात्रों और मजदूरों की घर वापसी ने प्रशासन को खुलकर अपनी कामयाबी पर जश्न मनाने से रोक रखा है. क्योंकि लौट रहे प्रवासी मजदूर और छात्रों में संक्रमण का खतरा हो सकता है और प्रशासन को खास ख्याल रखने की जरूरत है.
प्रशासन की मानें तो बाहर से आनेवालों की वजह से कई तरह की चुनौतियां हैं और उनका सामना करने के लिए प्रशासन की टीम अलर्ट मोड में है, तो वहीं उनका मानना है कि सकारात्मक सोच से बड़ी से बड़ी बाधाओं से पार पाया जा सकता है. बस जरूरत धैर्य और लगातार मेहनत करते रहने की है.