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बोकारो: महज चंद वर्षों में अस्पताल की इमारत हुई जर्जर, एक भी मरीज का नहीं हो सका इलाज

ऑक्सीजन उत्पादन और स्टील प्लांट के लिए मशहूर बोकारो में इन दिनों पेटरवार प्रखंड का एक अस्पताल दम तोड़ रहा है. महज कुछ वर्षों के अंदर ही ये अस्पताल जर्जर इमारत में तब्दील हो गया है. बरसात के दिनों में अस्पताल तालाब में बदल जाता है.

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Published : Jun 11, 2021, 4:13 PM IST

Updated : Jun 11, 2021, 7:27 PM IST

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अस्पताल बनी जर्जर इमारत

बोकारो: झारखंड राज्य बनने के बाद यहां भवनों का निर्माण तेज गति से होता रहा लेकिन न इसमें गुणवत्ता का ख्याल रखा गया और ना ही इसके इस्तेमाल का. ऐसा ही एक भवन पेटरवार प्रखंड में है. मातृ शिशु केंद्र के नाम पर बना हुआ है जिसमें ना तो आज तक मरीज का इलाज ही हुआ और ना ही अस्पताल ही शुरू हो सका. बिना इसके इस्तेमाल हुए भवन का निर्माण इतना घटिया तरीके से किया गया कि 8 वर्ष में ही पूरे भवन में पानी टपक रहा है.

ये भी पढ़े- बोकारो: विधायक अमर कुमार बाउरी ने उपायुक्त कार्यालय में दिया धरना, अस्पताल के उद्घाटन में नहीं बुलाने नाराज

स्थानीय मुखिया ने क्या कहा

स्थानीय मुखिया ने बताया कि जब इसका निर्माण हो रहा था तब तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही का ठेकेदार पर ऐसा हाथ था कि इसकी शिकायत करने पर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया.

परिणाम यह है कि आज पूरे भवन में पानी टपक रहा है. हालांकि वर्तमान में गोमिया के आजसू विधायक डॉ. लंबोदर महतो भी इस अस्पताल में पानी टपकने और बिना इस्तेमाल के जर्जर होने की बात स्वीकार करते हैं. उन्होने भी स्वास्थ्य सचिव और मुख्य सचिव से इसकी शिकायत करने की बात कही है.

चंद वर्षों में अस्पताल बना जर्जर भवन

26 नवंबर 2008 से भवन बनना हुआ था शुरू

जानकारी के मुताबिक 26 नवंबर 2008 को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही ने पेटरवार प्रखंड मुख्यालय में महिला और शिशु के बेहतर इलाज के लिए 100 बेड का शिशु केंद्र बनाने की आधारशिला रखी थी. अस्पताल को बनाने में लगभग तीन करोड़ खर्च करने की बात कही गई. निर्माण भी यहां धीरे-धीरे होता रहा. इस दौरान मंत्री के संरक्षण में ठेकेदार घटिया गुणवत्ता के साथ काम को करता रहा. अब अस्पताल बनने के बाद यह भवन सिर्फ शोभा की वस्तु बनकर रह गया है.

अस्पताल भवन में पानी ही पानी

यहां कभी किसी का इलाज होने की बात तो छोड़ दीजिए. अब तक यह अस्पताल शुरू ही नहीं हुआ. इस दौरान अस्पताल की खिड़की, दरवाजे अपने आप टूटकर गिरने लगे है. जैसे-जैसे वक्त बीता घटिया निर्माण की पोल धीरे धीरे खुलती रही.

आज हालत यह है कि बिना इस्तेमाल हुए अस्पताल में पानी टपक रहा है. ऐसा कोई गलियारा और कमरा नहीं है जहां पानी टपक ना रहा हो. स्थानीय मजदूर जो इस अस्पताल में मिले उनका भी कहना है बरसात में पानी इस कदर यहां टपकता है कि पूरा अस्पताल पानी से लबालब भर जाता है.

खंडहर में हो रहा तब्दील

हालांकि कोरोना संक्रमण काल को देखते हुए यहां 50 बेड का कोविड-19 केयर बनाया गया है लेकिन पानी का टपकना बदस्तूर जारी है. हम कह सकते हैं कि भवन निर्माण के नाम पर सिर्फ पैसे की लूट की गई और नतीजा यह है कि इस अस्पताल को देखकर आप खुद ही विभाग मंत्री और अधिकारियों की कार्यशैली का अंदाजा लगा सकते हैं.

बोकारो: झारखंड राज्य बनने के बाद यहां भवनों का निर्माण तेज गति से होता रहा लेकिन न इसमें गुणवत्ता का ख्याल रखा गया और ना ही इसके इस्तेमाल का. ऐसा ही एक भवन पेटरवार प्रखंड में है. मातृ शिशु केंद्र के नाम पर बना हुआ है जिसमें ना तो आज तक मरीज का इलाज ही हुआ और ना ही अस्पताल ही शुरू हो सका. बिना इसके इस्तेमाल हुए भवन का निर्माण इतना घटिया तरीके से किया गया कि 8 वर्ष में ही पूरे भवन में पानी टपक रहा है.

ये भी पढ़े- बोकारो: विधायक अमर कुमार बाउरी ने उपायुक्त कार्यालय में दिया धरना, अस्पताल के उद्घाटन में नहीं बुलाने नाराज

स्थानीय मुखिया ने क्या कहा

स्थानीय मुखिया ने बताया कि जब इसका निर्माण हो रहा था तब तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही का ठेकेदार पर ऐसा हाथ था कि इसकी शिकायत करने पर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया.

परिणाम यह है कि आज पूरे भवन में पानी टपक रहा है. हालांकि वर्तमान में गोमिया के आजसू विधायक डॉ. लंबोदर महतो भी इस अस्पताल में पानी टपकने और बिना इस्तेमाल के जर्जर होने की बात स्वीकार करते हैं. उन्होने भी स्वास्थ्य सचिव और मुख्य सचिव से इसकी शिकायत करने की बात कही है.

चंद वर्षों में अस्पताल बना जर्जर भवन

26 नवंबर 2008 से भवन बनना हुआ था शुरू

जानकारी के मुताबिक 26 नवंबर 2008 को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही ने पेटरवार प्रखंड मुख्यालय में महिला और शिशु के बेहतर इलाज के लिए 100 बेड का शिशु केंद्र बनाने की आधारशिला रखी थी. अस्पताल को बनाने में लगभग तीन करोड़ खर्च करने की बात कही गई. निर्माण भी यहां धीरे-धीरे होता रहा. इस दौरान मंत्री के संरक्षण में ठेकेदार घटिया गुणवत्ता के साथ काम को करता रहा. अब अस्पताल बनने के बाद यह भवन सिर्फ शोभा की वस्तु बनकर रह गया है.

अस्पताल भवन में पानी ही पानी

यहां कभी किसी का इलाज होने की बात तो छोड़ दीजिए. अब तक यह अस्पताल शुरू ही नहीं हुआ. इस दौरान अस्पताल की खिड़की, दरवाजे अपने आप टूटकर गिरने लगे है. जैसे-जैसे वक्त बीता घटिया निर्माण की पोल धीरे धीरे खुलती रही.

आज हालत यह है कि बिना इस्तेमाल हुए अस्पताल में पानी टपक रहा है. ऐसा कोई गलियारा और कमरा नहीं है जहां पानी टपक ना रहा हो. स्थानीय मजदूर जो इस अस्पताल में मिले उनका भी कहना है बरसात में पानी इस कदर यहां टपकता है कि पूरा अस्पताल पानी से लबालब भर जाता है.

खंडहर में हो रहा तब्दील

हालांकि कोरोना संक्रमण काल को देखते हुए यहां 50 बेड का कोविड-19 केयर बनाया गया है लेकिन पानी का टपकना बदस्तूर जारी है. हम कह सकते हैं कि भवन निर्माण के नाम पर सिर्फ पैसे की लूट की गई और नतीजा यह है कि इस अस्पताल को देखकर आप खुद ही विभाग मंत्री और अधिकारियों की कार्यशैली का अंदाजा लगा सकते हैं.

Last Updated : Jun 11, 2021, 7:27 PM IST
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