बोकारो: जिले में दृष्टिबाधित आईएएस अधिकारी राजेश कुमार सिंह को राज्य की हेमंत सरकार ने बोकारो का उपायुक्त बनाया है. राजेश कुमार सिंह देश के पहले दृष्टिबाधित उपायुक्त बने हैं. उपायुक्त राजेश कुमार से अपनी जिंदगी समेत कई मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत के संवाददाता से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने कई सवालों का जवाब बेबाकी से दिया.
आशीर्वाद और प्रेरणा से मिली कामयाबी
उपायुक्त राजेश सिंह ने बताया कि सभी के आशीर्वाद और प्रेरणा से ही मैंने इस मुकाम को हासिल करने में कामयाबी पाई है, जीवन में समस्याएं बहुत सारी आती और जाती रहती है, लेकिन उसको चुनौती के रूप में लेते हुए हमें आगे बढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि आंखों की रोशनी चले जाने के बाद मैंने अपने घर वालों के सहयोग से अपनी पढ़ाई को पूरी करते हुए यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की है.
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उपायुक्त ने ईटीवी भारत से कहा कि वर्तमान समय में छात्र लगातार आत्महत्या कर रहे हैं. उन्होंने छात्रों से अपील करते हुए कहा कि असफलता से उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है, वह जिस तरह से आत्महत्या कर मौत को गले लगा रहे हैं, उससे उनके माता-पिता बात कर उन्हें समझाएं. उन्होंने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता जिले के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने की है. उपायुक्त ने कहा कि इस कोरोना महामारी से हम सभी को मिलकर लड़ना है, बोकारो की स्थिति काफी बेहतर है इसीलिए यहां किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है. जिले में गरीबी को लेकर पूछे गए सवालों पर उन्होंन कहा कि लोग जो भी समस्या लेकर आएंगे अगर वह जरूरी होगी तो उसका तत्काल निदान किया जाएगा, राज्य सरकार ने जो जिम्मेदारी दी है उस जिम्मेदारी को बखूबी निभाने का काम करेंगे, ताकि सरकार के विश्वास पर हम खरा उतर सके.
बिहार के रहने वाले हैं राजेश कुमार सिंह
राजेश कुमार सिंह देश के पहले दृष्टिबाधित आइएएस हैं जिन्हें किसी जिले का डीसी बनाया गया है. राजेश कुमार सिंह दृष्टिबाधित दिव्यांग हैं. कठिन चुनौतियों को पार करते हुए वो आइएएस बने. इसके लिए उन्हें कानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़ी. राजेश कुमार सिंह पटना जिले के धनरुआ के रहने वाले हैं. साल 2007 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास की थी. परीक्षा पास करने के बाद नियुक्ति के लिए उन्हें लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी. सुप्रीम कोर्ट की दो जजों के बेंच जिसमें जस्टिस अल्तमस कबीर और जस्टिस अभिजीत पटनायक शामिल थे, उन्होंने उनके हक में फैसला सुनाया था. जिसके बाद उनकी नियुक्ति हो पाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने उस समय अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि आइएएस बनने के लिए दृष्टि नहीं दृष्टिकोण का होना जरूरी है. एक डीसी के रूप में राजेश कुमार सिंह की यह पहली पोस्टिंग है.
2007 में पास की यूपीएससी
राजेश कुमार सिंह ने 2007 में यूपीएससी की परीक्षा पास की थी. साल 2011 में उनकी नियुक्ति हुई थी. उन्होंने देहरादून मॉडल स्कूल से स्कूलिंग की. फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी और जेएनयू से अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की. झारखंड सरकार ने मंगलवार को राज्य में 18 आइएएस अफसरों का तबादला किया. इसी के तहत उच्च तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास विभाग में विशेष सचिव राजेश सिंह को बोकारो का डिप्टी कमिश्नर बनाया गया है.