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बोकारो: संवेदक संघ ने ठेकेदारी में आरक्षण का किया विरोध, कहा- यह सरकार का दमनकारी नीति है - बोकारो में ठेकेदार संघ ने हेमंत सरकार का विरोध किया

हेमंत सोरेन सरकार ने भवन निर्माण विभाग के सभी उपभागों में 25 करोड़ तक आरक्षित करने की नियमावली बनाई है, जिसका जिला संवेदक संघ ने विरोध किया है. जिला संवेदक संघ ने विरोध जताते हुए कहा कि यह भारतीय संविधान का घोर उल्लंघन है, क्या सवर्ण वर्गों को व्यवसाय करने की भी छूट नहीं है, हम सभी संवेदक सरकार के इस दमनकारी नीति का पुरजोर विरोध करते हैं.

Contractors union opposes reservation in contract in bokaro
संवेदक संघ ने किया हेमंत सरकार का विरोध
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Published : Jul 17, 2020, 4:46 PM IST

बोकारो: झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार ने भवन निर्माण विभाग के सभी उपभागों में 25 करोड़ तक की निविदा को आरक्षित करने की नियमावली बनाई है, जिसका बोकारो जिला संवेदक संघ ने विरोध किया है. संवेदकों ने कहा कि भारतीय संविधान में व्यवसाय वर्ग में जातिगत आधार पर आरक्षण नहीं दिया गया है, लेकिन मुख्यमंत्री व्यवसाय वर्ग में भी शत-प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान कर रहे हैं, जो किसी भी दृष्टिकोण से न्याय संगत नहीं है.

देखें पूरी खबर

जिला संवेदक संघ ने विरोध जताते हुए कहा कि यह भारतीय संविधान का घोर उल्लंघन है, क्या सवर्ण वर्गों को व्यवसाय करने की भी छूट नहीं है, हम सभी संवेदक सरकार के इस दमनकारी नीति का पुरजोर विरोध करते हैं, अगर यह निर्णय वापस नहीं लिया गया तो हम न्यायालय के शरण में जाने के लिए बाध्य होंगे.

इसे भी पढे़ं:- हादसे के शिकार प्रवासियों को नहीं मिला मुआवजा, दर-दर भटक रहे परिजन

जिस तरह से सरकार के बनाए गए नियमावली का विरोध अभी से ही ठेकेदार करना शुरू कर दिए हैं. ऐसे में सरकार के लिए एक मुश्किल खड़ी हो सकती है.

बोकारो: झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार ने भवन निर्माण विभाग के सभी उपभागों में 25 करोड़ तक की निविदा को आरक्षित करने की नियमावली बनाई है, जिसका बोकारो जिला संवेदक संघ ने विरोध किया है. संवेदकों ने कहा कि भारतीय संविधान में व्यवसाय वर्ग में जातिगत आधार पर आरक्षण नहीं दिया गया है, लेकिन मुख्यमंत्री व्यवसाय वर्ग में भी शत-प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान कर रहे हैं, जो किसी भी दृष्टिकोण से न्याय संगत नहीं है.

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जिला संवेदक संघ ने विरोध जताते हुए कहा कि यह भारतीय संविधान का घोर उल्लंघन है, क्या सवर्ण वर्गों को व्यवसाय करने की भी छूट नहीं है, हम सभी संवेदक सरकार के इस दमनकारी नीति का पुरजोर विरोध करते हैं, अगर यह निर्णय वापस नहीं लिया गया तो हम न्यायालय के शरण में जाने के लिए बाध्य होंगे.

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