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खतरे में पड़ी महिला तो घर वाले और पुलिस हो जाएंगे अलर्ट, डिवाइस बनाने के लिए छात्रा का पुरस्कार के लिए चयन - झारखंड न्यूज

घर से बाहर बिटिया के जाते ही आप चिंतित हो जाते हैं तो आपके लिए राहत भरी खबर है. एक डिवाइस आपको बिटिया की सुरक्षा को लेकर बाखबर करता रहेगा. मुसीबत में पड़ने पर आप उस तक आसानी से पहुंच जाएंगे. यह डिवाइस बनाने के लिए डीपीएस बोकारो की नौवीं कक्षा की छात्रा (Girls Security Device Of DPS Student) का चयन इंस्पायर अवार्ड मानक योजना (Inspire Award Yojana) के तहत पुरस्कार के लिए हुआ है. छात्रा ने इस डिवाइस का नाम ऑटोमैटिक कॉलिंग वाच दिया (Girls Safety Automatic Calling Watch) है.

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ऑटोमैटिक कॉलिंग वाच बनाने वाली छात्रा
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Published : Nov 18, 2022, 8:24 PM IST

बोकारो: डीपीएस बोकारो की एक मेधावी छात्रा अंजलि शर्मा ने अनूठा सुरक्षा उपकरण तैयार किया है. यह उपकरण एक खास किस्म की घड़ी है, जिसे उसने गर्ल्स सेफ्टी ऑटोमैटिक कॉलिंग वॉच नाम दिया (Girls Safety Automatic Calling Watch) है. इस घड़ी की मदद से मुश्किल में फंसीं महिलाएं या लड़कियां बस एक बटन दबाकर अपनी हिफाजत के लिए मदद मांग सकेंगी. घड़ी का बटन दबाते ही सीधे उसके परिजनों और पुलिस को फोन चला जाएगा. फोन के साथ-साथ खतरे में होने का एसएमएस भी चला जाएगा.

ये भी पढ़ें-Home Guard Recruitment Khunti 2022: पहले दिन 1080 युवाओं की तकदीर का टेस्ट, कतार में छह हजार से अधिक दावेदार

घड़ी में जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) की मदद से परिजन या पुलिस सीधे उस तक पहुंच सकते हैं. इस नवोन्मेष के लिए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से इंस्पायर अवार्ड मानक योजना (Inspire Award Yojana) के लिए अंजलि का चयन किया गया है. प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए प्राथमिक स्तर पर उसे 10 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि भी मिल चुकी है.

देखें क्या कहती है छात्रा और उसके प्रिंसिपल



कैसे काम करती है गर्ल्स सेफ्टी ऑटोमैटिक कॉलिंग वॉचः एमसीयू (माइक्रोकंट्रोलर यूनिट) आधारित इस वॉच में सेंसर, दो पुश बटन, एलसीडी स्क्रीन, एलईडी ग्लो, वाई-फाई युक्त जीएसएम (ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन) मॉड्यूल, सिम-कार्ड आदि की जरूरत होती है. एक एम्बेडेड सिस्टम में एमसीयू मुख्य घटक है जो सर्किट बनाता है. इसमें एक प्रोसेसर इकाई, मेमोरी मॉड्यूल और कम्युनिकेशन इंटरफेस लगा होता है. एमसीयू में लगी चिप में कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की मदद से वो नंबर फीड किए जाते हैं, जिस पर फोन किया जाना है.

आपातकाल में घड़ी में लगे बटन को दबाते ही सेंसर काम करने लगता है, जो माइक्रोकंट्रोलर को सूचित करता है, उसमें लगे सिम के जरिये सीधे कंफिगर किए मोबाइल नंबर पर फोन चला जाता है. एक स्विच से घर, तो दूसरे से पुलिस को फोन जा सकता है. एलईडी ग्लो वाले सेंसर से कॉल कनेक्ट होने का पता चलता है, जबकि, इंटरनेट की मदद से जीपीएस के जरिये फोन रिसीव करने वाले के फोन में उसका लोकेशन भी पहुंच जाता है.


मां के साथ हुई घटना के बाद बनाया वाचः डीपीएस बोकारो में 9वीं कक्षा की छात्रा अंजलि ने बताया कि एक बार उसकी मां राखी गौरव बस से सफर कर रहीं थीं. इसी बीच उनके साथ कुछ बदमाशों ने अनहोनी करने का प्रयास किया, उस वक्त उनकी मदद को कोई भी सहयात्री नहीं आगे आया. किसी प्रकार पुलिस को सूचित किया तो मदद मिली. इस घटना ने ही उसे यह सेफ्टी कॉलिंग वॉच बनाने के लिए प्रेरित किया.

क्या कहते हैं स्कूल के प्रधानाचार्यः डीपीएस बोकारो के प्रधानाचार्य एएस गंगवार ने बताया कि उनके स्कूल की कक्षा नौ की छात्रा ने ऑटोमैटिक कॉलिंग वाच बनाया है. इस वाच में दो कॉलिंग बटन है, इनको पुश करते ही खतरे का अलर्ट पुलिस और घरवालों को मिल जाएगा. महिला को लोकेशन भी उन्हें मिल जाएगा. यह भविष्य में महिला सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम हो सकता है.

बोकारो: डीपीएस बोकारो की एक मेधावी छात्रा अंजलि शर्मा ने अनूठा सुरक्षा उपकरण तैयार किया है. यह उपकरण एक खास किस्म की घड़ी है, जिसे उसने गर्ल्स सेफ्टी ऑटोमैटिक कॉलिंग वॉच नाम दिया (Girls Safety Automatic Calling Watch) है. इस घड़ी की मदद से मुश्किल में फंसीं महिलाएं या लड़कियां बस एक बटन दबाकर अपनी हिफाजत के लिए मदद मांग सकेंगी. घड़ी का बटन दबाते ही सीधे उसके परिजनों और पुलिस को फोन चला जाएगा. फोन के साथ-साथ खतरे में होने का एसएमएस भी चला जाएगा.

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घड़ी में जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) की मदद से परिजन या पुलिस सीधे उस तक पहुंच सकते हैं. इस नवोन्मेष के लिए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से इंस्पायर अवार्ड मानक योजना (Inspire Award Yojana) के लिए अंजलि का चयन किया गया है. प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए प्राथमिक स्तर पर उसे 10 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि भी मिल चुकी है.

देखें क्या कहती है छात्रा और उसके प्रिंसिपल



कैसे काम करती है गर्ल्स सेफ्टी ऑटोमैटिक कॉलिंग वॉचः एमसीयू (माइक्रोकंट्रोलर यूनिट) आधारित इस वॉच में सेंसर, दो पुश बटन, एलसीडी स्क्रीन, एलईडी ग्लो, वाई-फाई युक्त जीएसएम (ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन) मॉड्यूल, सिम-कार्ड आदि की जरूरत होती है. एक एम्बेडेड सिस्टम में एमसीयू मुख्य घटक है जो सर्किट बनाता है. इसमें एक प्रोसेसर इकाई, मेमोरी मॉड्यूल और कम्युनिकेशन इंटरफेस लगा होता है. एमसीयू में लगी चिप में कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की मदद से वो नंबर फीड किए जाते हैं, जिस पर फोन किया जाना है.

आपातकाल में घड़ी में लगे बटन को दबाते ही सेंसर काम करने लगता है, जो माइक्रोकंट्रोलर को सूचित करता है, उसमें लगे सिम के जरिये सीधे कंफिगर किए मोबाइल नंबर पर फोन चला जाता है. एक स्विच से घर, तो दूसरे से पुलिस को फोन जा सकता है. एलईडी ग्लो वाले सेंसर से कॉल कनेक्ट होने का पता चलता है, जबकि, इंटरनेट की मदद से जीपीएस के जरिये फोन रिसीव करने वाले के फोन में उसका लोकेशन भी पहुंच जाता है.


मां के साथ हुई घटना के बाद बनाया वाचः डीपीएस बोकारो में 9वीं कक्षा की छात्रा अंजलि ने बताया कि एक बार उसकी मां राखी गौरव बस से सफर कर रहीं थीं. इसी बीच उनके साथ कुछ बदमाशों ने अनहोनी करने का प्रयास किया, उस वक्त उनकी मदद को कोई भी सहयात्री नहीं आगे आया. किसी प्रकार पुलिस को सूचित किया तो मदद मिली. इस घटना ने ही उसे यह सेफ्टी कॉलिंग वॉच बनाने के लिए प्रेरित किया.

क्या कहते हैं स्कूल के प्रधानाचार्यः डीपीएस बोकारो के प्रधानाचार्य एएस गंगवार ने बताया कि उनके स्कूल की कक्षा नौ की छात्रा ने ऑटोमैटिक कॉलिंग वाच बनाया है. इस वाच में दो कॉलिंग बटन है, इनको पुश करते ही खतरे का अलर्ट पुलिस और घरवालों को मिल जाएगा. महिला को लोकेशन भी उन्हें मिल जाएगा. यह भविष्य में महिला सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम हो सकता है.

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