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खुशखबरीः बोकारो जिला ग्रीन जोन की राह पर, एक और कोरोना मरीज ठीक हुआ

बोकारो जिले में जल्द ही कोरोना का पूरी तरह से खात्मा हो सकता है. जिले में अब तक 7 मरीज उपचार के बाद पूरी तरह ठीक होकर घर लौट चुके हैं. यदि 11 मई तक कोई भी मरीज नहीं मिलता है तो बोकारो जिला ग्रीन जोन में आ जाएगा.

बोकारो जिला
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Published : May 2, 2020, 10:27 AM IST

Updated : May 2, 2020, 12:31 PM IST

बोकारोः जिले में कोरोना के प्रकोप से राहत मिलती दिख रही है. बोकारो जनरल अस्पताल से कोरोना का एक और पॉजिटिव मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौट गया है. बोकारो बीजीएच से अब तक 6 मरीज स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं. अब अस्पताल में गोमिया के दो और तेलो का एक मरीज इलाजरत है. उम्मीद है इन्हें भी 2 से 3 दिनों में अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी. बोकारो जिले में कोरोना के कुल 10 मरीज मिले थे. इनमें से एक की मौत हो गई जबकि 9 इलाज करा रहे थे.

9 में से 5 तेलो के और 4 गोमिया के संक्रमित मरीज थे. अब तक तेलों के चार और गोमिया के 2 मरीज स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके हैं.

इसके साथ ही सभी सरकारी क्वॉरेंटाइन सेंटर में भी अब कोई मरीज क्वॉरेंटाइन नहीं है. बोकारो के सिविल सर्जन डॉ अशोक कुमार पाठक ने बताया कि जिले में 20 अप्रैल के बाद से कोई भी कोरोना का संक्रमित मरीज नहीं मिला है.

इसलिए बोकारो को रेड जोन से बाहर करते हुए ऑरेंज जोन में डाल दिया गया है, यदि 11 मई तक कोई भी मरीज नहीं मिलता है तो बोकारो जिला ग्रीन जोन में आ जाएगा.

बता दें कि कोरोना को मात देने वाली महिला ने बताया कि वह बांग्लादेश के ढाका में तबलीगी जमात में भाग लेने गई थी, फिर निजामुद्दीन के तबलीगी मरकज में गई. 18 मार्च को वहां से आई इसके बाद वो कोरोना वायरस से संक्रमित हो गई. जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद 5 अप्रैल को इलाज के लिए बीजीएच में भर्ती कराया गया था.

अब वह स्वस्थ होकर घर लौट रही है, लेकिन इसके साथ ही उन्हें पछतावा भी है कि यदि वो तबलीगी मरकज में जाने की बात नहीं छुपाती, तो दो मासूम पोती को कोरोना नहीं होता.

यह भी पढ़ेंः जमशेदपुरः सब्जी विक्रेताओं को दिए दिए लॉकडाउन पास, नियमों का पालन करने की अपील

वो मानती हैं कि मरकज से लौटने के बाद उन्हें प्रशासन को सूचना देनी चाहिए थी और होम क्वॉरेंटाइन होना चाहिए था. इसके साथ ही महिला ने कहा कि नफरत और घृणा से नहीं दया और करुणा और दया से कोरोना को खत्म किया जा सकता है. महिला ने अस्पताल के डॉक्टरों का धन्यवाद करते हुए कहा की डॉक्टरों ने उन्हें और उनकी पोती को वेंटिलेटर लगाए बिना स्वस्थ कर दिया.

महिला ने बताया कि सिविल सर्जन के अलावा अस्पताल के सारे लोगों के प्यार भरे व्यवहार से उन्हें इस बीमारी से लड़ने में बल मिला. अस्पताल में पांच वक्त नमाज पढ़ने का इंतजाम कर कराया गया था.

उनकी देखभाल की गई और पौष्टिक आहार दिए गए. जिस तरह अस्पताल से विदाई के वक्त सम्मानित किया गया वह भावुक करने वाला पल था. महिला मानती है कि जागरूकता के अभाव और अज्ञानता के कारण उससे चूक हुई.

बोकारोः जिले में कोरोना के प्रकोप से राहत मिलती दिख रही है. बोकारो जनरल अस्पताल से कोरोना का एक और पॉजिटिव मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौट गया है. बोकारो बीजीएच से अब तक 6 मरीज स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं. अब अस्पताल में गोमिया के दो और तेलो का एक मरीज इलाजरत है. उम्मीद है इन्हें भी 2 से 3 दिनों में अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी. बोकारो जिले में कोरोना के कुल 10 मरीज मिले थे. इनमें से एक की मौत हो गई जबकि 9 इलाज करा रहे थे.

9 में से 5 तेलो के और 4 गोमिया के संक्रमित मरीज थे. अब तक तेलों के चार और गोमिया के 2 मरीज स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके हैं.

इसके साथ ही सभी सरकारी क्वॉरेंटाइन सेंटर में भी अब कोई मरीज क्वॉरेंटाइन नहीं है. बोकारो के सिविल सर्जन डॉ अशोक कुमार पाठक ने बताया कि जिले में 20 अप्रैल के बाद से कोई भी कोरोना का संक्रमित मरीज नहीं मिला है.

इसलिए बोकारो को रेड जोन से बाहर करते हुए ऑरेंज जोन में डाल दिया गया है, यदि 11 मई तक कोई भी मरीज नहीं मिलता है तो बोकारो जिला ग्रीन जोन में आ जाएगा.

बता दें कि कोरोना को मात देने वाली महिला ने बताया कि वह बांग्लादेश के ढाका में तबलीगी जमात में भाग लेने गई थी, फिर निजामुद्दीन के तबलीगी मरकज में गई. 18 मार्च को वहां से आई इसके बाद वो कोरोना वायरस से संक्रमित हो गई. जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद 5 अप्रैल को इलाज के लिए बीजीएच में भर्ती कराया गया था.

अब वह स्वस्थ होकर घर लौट रही है, लेकिन इसके साथ ही उन्हें पछतावा भी है कि यदि वो तबलीगी मरकज में जाने की बात नहीं छुपाती, तो दो मासूम पोती को कोरोना नहीं होता.

यह भी पढ़ेंः जमशेदपुरः सब्जी विक्रेताओं को दिए दिए लॉकडाउन पास, नियमों का पालन करने की अपील

वो मानती हैं कि मरकज से लौटने के बाद उन्हें प्रशासन को सूचना देनी चाहिए थी और होम क्वॉरेंटाइन होना चाहिए था. इसके साथ ही महिला ने कहा कि नफरत और घृणा से नहीं दया और करुणा और दया से कोरोना को खत्म किया जा सकता है. महिला ने अस्पताल के डॉक्टरों का धन्यवाद करते हुए कहा की डॉक्टरों ने उन्हें और उनकी पोती को वेंटिलेटर लगाए बिना स्वस्थ कर दिया.

महिला ने बताया कि सिविल सर्जन के अलावा अस्पताल के सारे लोगों के प्यार भरे व्यवहार से उन्हें इस बीमारी से लड़ने में बल मिला. अस्पताल में पांच वक्त नमाज पढ़ने का इंतजाम कर कराया गया था.

उनकी देखभाल की गई और पौष्टिक आहार दिए गए. जिस तरह अस्पताल से विदाई के वक्त सम्मानित किया गया वह भावुक करने वाला पल था. महिला मानती है कि जागरूकता के अभाव और अज्ञानता के कारण उससे चूक हुई.

Last Updated : May 2, 2020, 12:31 PM IST
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