हैदराबाद : भारतीय टीम के क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की है. एमएस धोनी ने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच इंग्लैंड में हुए 2019 विश्वकप सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला था. जिसके बाद उन्होंने क्रिकेट से ब्रेक ले लिया था. गैर पारंपरिक शैली में कप्तानी और मैच को अंजाम तक ले जाने की कला के साथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास के कई सुनहरे अध्याय लिखने वाले 39 वर्ष के धोनी के इस फैसले के साथ ही क्रिकेट के एक युग का भी अंत हो गया.
महेंद्र सिंह धोनी ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, ''प्यार और समर्थन के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया. 1929 घंटे, मुझे रिटायर्ड माना जाए. इससे पहले भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी और चेन्नई सुपरकिंग्स के टीम के उनके साथी खिलाड़ी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के लिए यूएई रवाना होने से पहले अभ्यास शिविर में भाग लेने के लिए शुक्रवार को पहुंचे थे. एम ए चिदंबरम स्टेडियम में शनिवार से शुरू होने वाले एक सप्ताह के शिविर के लिए धोनी के अलावा सुरेश रैना, दीपक चाहर, पीयूष चावला और केदार जाधव भी पहुंचे चुके हैं.
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7 जुलाई 1981 को जन्मे धोनी ने स्कूल के दिनों में ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. मात्र 18 साल की उम्र में उन्हें बिहार की रणजी टीम में जगह मिल गई. इसके बाद धोनी रेलवे के लिए भी खेले. साल 2003 में जिम्बाब्वे और केन्या के दौरे पर माही को टीम इंडिया ए में जगह मिली थी. इस मौका का धोनी ने भरपूर फायदा उठाया. खेले गए सात मैचों में धोनी ने 362 रन बनाए और साथ ही अपने विकेट कीपिंग का भी अदभुत नमुना पेश किया. इस दौरान उन्होंने सात कैच लपके और चार स्टंपिंग की. धोनी के इस प्रदर्शन ने पिछले छह साल से विकेट कीपर की तालाश में जुटे भारतीय टीम के सिलेक्टरर्स का ध्यान खींचा. इस तरह 2004 में धोनी का टीम इंडिया के साथ सफर शुरू हो गया. वैसे ये शुरुआत कहीं ना कहीं तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली की देन थी. उन्होंने ही धोनी को पहला मौका दिया था. बस फिर क्या था. यहां के बाद धोनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
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एमएस धोनी ने भारत के लिए अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच इंग्लैंड में हुए 2019 विश्वकप सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला था. जिसके बाद उन्होंने क्रिकेट से ब्रेक ले लिया था. विकेटों के बीच बेहतरीन दौड़ के लिये मशहूर धोनी उस तनावपूर्ण मैच में 50 रन बनाकर रन आउट हो गए थे. उस मैच के बाद वह लंबे ब्रेक पर चले गए थे और पिछले एक साल से उनके संन्यास को लेकर लग रही अटकलों पर कोई जवाब नहीं दिया. 'रांची का यह राजकुमार' हालांकि क्रिकेट के इतिहास में महानतम खिलाड़ियों में अपना नाम दर्ज करा गया है. भारत के लिये उन्होंने 350 वनडे, 90 टेस्ट और 98 टी20 मैच खेले. करियर के आखिरी चरण में वह खराब फार्म से जूझते रहे जिससे उनके भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जाती रही.
उन्होंने वनडे क्रिकेट में पांचवें से सातवें नंबर के बीच में बल्लेबाजी के बावजूद 50 से अधिक की औसत से 10773 रन बनाये. टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 38 . 09 की औसत से 4876 रन बनाये और भारत को 27 से ज्यादा जीत दिलाई. आंकड़ों से हालांकि धोनी के कैरियर ग्राफ को नहीं आंका जा सकता. धोनी की कप्तानी, मैच के हालात को भांपने की क्षमता और विकेट के पीछे जबर्दस्त चुस्ती ने पूरी दुनिया के क्रिकेटप्रेमियों को दीवाना बना दिया था.
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वह कभी जोखिम लेने से पीछे नहीं हटे । इसलिये 2007 टी20 विश्व कप का आखिरी ओवर जोगिंदर शर्मा जैसे नये गेंदबाज को दिया जो 2011 वनडे विश्व कप के फाइनल में फार्म में चल रहे युवराज सिंह से पहले बल्लेबाजी के लिये आये.
दोनों बार भारत ने खिताब जीता और धोनी देशवासियों के नूरे नजर बन गए. आईपीएल में तीन बार चेन्नई को जिताकर वह ‘थाला’ कहलाये. चेन्नई टीम के सीईओ काशी विश्वनाथ ने हाल ही में कहा था कि वह कम से कम 2022 तक टीम के लिये खेलते रहेंगे. पिछले साल धोनी ने प्रादेशिक सेना में अपनी यूनिट को सेवायें दी जिसमें वह मानद लेफ्टिनेंट कर्नल है. इसके साथ ही रांची में जैविक खेती भी की और कुछ मौकों पर नेट पर अभ्यास करते भी नजर आये.