लंदन : डायना के बारे में कहा जाता है कि आम जीवन के साथ उनका जुड़ाव उन्हें शाही परिवार के सदस्यों से अलग करता है. आम जन-जीवन से डायना के संबंध को 15 जनवरी 1997 को सुरंग क्षेत्र के उनके दौरे से समझा जा सकता है. जिसकी तस्वीरें दुनियाभर में छा गई थीं.
इस दौरान उन्होंने बारूदी सुरंग पीड़ितों (landmine victims) के एक समूह से मुलाकात की थी. इनमें एक युवती भी शामिल थी, जिसने अपना बांया पैर खो दिया था. राजकुमारी से मुलाकात के दौरान वह उनकी गोद में आकर बैठ गई थी.
राजकुमारी बनने से पहले एक स्कूल में शिक्षिका थीं
डायना (Diana) के इस दौरे के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान बारूदी सुरंग में विस्फोट का दंश झेलने वाले लोगों की ओर गया था. इसके बाद बारूदी सुरंगों पर प्रतिबंध को लेकर एक संधि हुई, जिसपर आज 164 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं. डायना के आम जनजीवन के जुड़ाव का एक पहलू यह भी है कि वह राजकुमारी बनने से पहले एक स्कूल में शिक्षिका भी रह चुकी थीं. डायना को ब्रिटेन और दुनियाभर के लोग अपने अपने तरीके से याद करते हैं.
दूर की सोच रखती थीं डायना
सेवानिवृत मेजर जनरल और हैलो ट्रस्ट के सीईओ जेम्स कोवेन कहते हैं कि डायना के पास 'भावनात्मक बुद्धिमत्ता' थी जिसके चलते वह दूर की सोच रखती थीं, लेकिन साथ ही वह इसके जरिये अलग-अलग वर्ग के लोगों तक भी पहुंच रखती थीं. कोवेन कहते हैं, 'वह जानती थीं कि वह इस तरह उनके दिलों तक पहुंच सकती हैं, जो उन लोगों से उन्हें अलग दिखाता है, जो केवल अपने पद के जरिये लोगों को प्रभावित करते हैं.'
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डायना ने पेरिस में कार दुर्घटना से सात महीने पहले बारूदी सुरंग का दौरा किया था. उनका यह दौरा एक उदाहरण है कि उन्होंने किस तरह शाही परिवार तक पहुंच को और आसान बनाने की कोशिश की. ऐसा करके उन्होंने शाही परिवार के जनता से संबंधों को बदलने का काम किया.
(पीटीआई-भाषा)