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यूक्रेन पर UNSC में होगी 'खुली बैठक', भारत भी रखेगा अपना पक्ष

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (The UN Security Council) यूक्रेन में प्रतिदिन बदलते हालात पर चर्चा के लिए आज आपात बैठक बुलाई है (hold an emergency meeting today) . स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अमेरिका, सहयोगियों ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक का अनुरोध किया था. वहीं, यूएनएससी की बैठक अब एक 'खुली' बैठक होगी जिसमें भारत भी अपना पक्ष रखेगा.

The UN Security Council to hold an emergency meeting today on Ukraine-ANI
यूक्रेन पर आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक
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Published : Feb 22, 2022, 6:51 AM IST

Updated : Feb 22, 2022, 7:13 AM IST

न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यूक्रेन (The UN Security Council) में प्रतिदिन बदलते हालात पर चर्चा के लिए आज आपात बैठक बुलाई है (hold an emergency meeting today). स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अमेरिका, सहयोगियों ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक का अनुरोध किया था. वहीं, यूएनएससी की बैठक अब एक 'खुली' बैठक होगी जिसमें भारत भी अपना पक्ष रखेगा.

  • #UPDATE | The UNSC meet over Ukraine will now be an 'open' meeting. India will also make a statement.

    — ANI (@ANI) February 22, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बता दें, कि हालिया घटनाक्रम में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) ने पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थित अलगाववादी क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता दे दी है. पुतिन ने डोनेत्स्क और लुगंस्क (Donetsk and Lugansk ) को स्वतंत्रत राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी है. इस घोषणा के बाद यूक्रेन के अलग-अलग क्षेत्रों में रूसी सैनिकों को भेजने का आदेश दिया गया. रूस के इस फैसले से यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की पश्चिम देशों की आशंका के बीच तनाव और बढ़ गया है.

राष्ट्रपति की सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद पुतिन ने यह घोषणा की और इसी के साथ मॉस्को समर्थित विद्रोहियों और यूक्रेनी बलों के बीच संघर्ष के लिए रूस के खुलकर बल और हथियार भेजने का रास्ता साफ हो गया है.

गौरतलब है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थित अलगाववादी क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता दे दी है. रूस के इस फैसले से यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की पश्चिम देशों की आशंका के बीच तनाव और बढ़ेगा. राष्ट्रपति की सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद पुतिन ने यह घोषणा की और इसी के साथ मॉस्को समर्थित विद्रोहियों और यूक्रेनी बलों के बीच संघर्ष के लिए रूस के खुलकर बल और हथियार भेजने का रास्ता साफ हो गया है. पश्चिमी देशों को इस बात का डर है कि रूस किसी भी समय यूक्रेन पर हमला कर सकता है और वह पूर्वी यूक्रेन में झड़पों को हमला करने के लिए बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है.

इससे पहले, यूक्रेन के अलगाववादी नेताओं ने टेलीविजन पर प्रसारित एक बयान के जरिए रूस के राष्ट्रपति से अनुरोध किया था कि वे अलगाववादी क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता दें और मित्रता संधियों पर हस्ताक्षर करके उनके 'खिलाफ जारी यूक्रेनी सेना के हमलों से' उनकी रक्षा करने के लिए सैन्य सहायता भेजें. रूस के निचले सदन ने भी पिछले सप्ताह इसी प्रकार की अपील की थी.

ये भी पढ़ें- पुतिन ने यूक्रेन के अलगाववादी क्षेत्रों को मान्यता दी

पुतिन ने रूसी सांसदों से यूक्रेन के विद्रोही क्षेत्रों के साथ संधियों पर हस्ताक्षर करने का आग्रह किया, जिससे कि उन्हें मॉस्को का सैन्य समर्थन मिल सके. वहीं, यूरोपीय संघ ने यूक्रेन के अलगाववादी क्षेत्रों को मान्यता देने के रूस के कदम को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करार देते हुए कहा कि वह इसमें शामिल लोगों पर प्रतिबंध लगाएगा. इसने यूक्रेन की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपना समर्थन दोहराया.

ज्ञात हो कि रूस ने रविवार को यूक्रेन की उत्तरी सीमाओं के पास सैन्य अभ्यास बढ़ा दिया था. उसने यूक्रेन की उत्तरी सीमा से लगे बेलारूस में करीब 30,000 सैनिकों की तैनाती की है. साथ ही यूक्रेन की सीमाओं पर 1,50,000 सैनिकों, युद्धक विमानों और अन्य साजो-सामान की तैनाती कर रखी है. कीव की आबादी करीब 30 लाख है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

अमेरिका और रूस के बीच बैठक की संभावना

यूक्रेन पर रूस के संभावित हमले को टालने के अंतिम प्रयास के तहत अमेरिका और रूस के राष्ट्रपति के बीच बैठक होने की संभावना है. पूर्वी यूक्रेन में संघर्ष वाले क्षेत्र में सोमवार को जारी गोलाबारी के बीच यह संभावना बनी है. वहीं पश्चिमी शक्तियों को इस बात का डर सता रहा है कि इस गोलाबारी से व्यापक स्तर पर युद्ध शुरू हो सकता है.

हालांकि, अगर रूस, यूक्रेन पर आक्रमण करता है तो दोनों देशों के बीच यह बैठक रद्द कर दी जाएगी. इस संबंध में अमेरिका पहले से चेतावनी दे रहा है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला करने की ठान ली है. हमले की स्थिति बनने के बावजूद उम्मीद की जा रही है कि कूटनीति इस भीषण संघर्ष को टालने में कामयाब होगी, क्योंकि युद्ध हुआ तो बड़ी संख्या में लोग हताहत होंगे और बड़े पैमाने पर रूस से मिलने वाली ऊर्जा पर आधारित यूरोप की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचेगा.

रूस ने यूक्रेन की सीमाओं पर तीन ओर करीब 1,50,000 सैनिक एकत्र कर लिए हैं जो शीत युद्ध के बाद सबसे बड़ी तैनाती है. वहीं, पश्चिमी देशों के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन यूक्रेन पर हमले के लिए बस कारण तलाश रहे हैं, क्योंकि उसने (यूक्रेन) रूस के साथ आने से मना कर दिया है.

ये भी पढ़ें- पुतिन का रूसी सशस्त्र बलों को यूक्रेन के अलग-अलग क्षेत्रों में भेजने का आदेश

हालांकि, मास्को ने यूक्रेन पर हमले की योजना से इंकार किया है, लेकिन चाहता है कि पश्चिमी देश इसकी गारंटी दें कि नाटो यूक्रेन सहित पूर्व सोवियत संघ के अन्य देशों को संगठन में बतौर सदस्य शामिल नहीं करेगा. रूस ने यूक्रेन में नाटो द्वारा हथियारों की तैनाती रोकने और पूर्वी यूरोप में तैनात बलों को वापस बुलाने की मांग रखी है.

(इनपुट एजेंसी)

न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यूक्रेन (The UN Security Council) में प्रतिदिन बदलते हालात पर चर्चा के लिए आज आपात बैठक बुलाई है (hold an emergency meeting today). स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अमेरिका, सहयोगियों ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक का अनुरोध किया था. वहीं, यूएनएससी की बैठक अब एक 'खुली' बैठक होगी जिसमें भारत भी अपना पक्ष रखेगा.

  • #UPDATE | The UNSC meet over Ukraine will now be an 'open' meeting. India will also make a statement.

    — ANI (@ANI) February 22, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बता दें, कि हालिया घटनाक्रम में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) ने पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थित अलगाववादी क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता दे दी है. पुतिन ने डोनेत्स्क और लुगंस्क (Donetsk and Lugansk ) को स्वतंत्रत राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी है. इस घोषणा के बाद यूक्रेन के अलग-अलग क्षेत्रों में रूसी सैनिकों को भेजने का आदेश दिया गया. रूस के इस फैसले से यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की पश्चिम देशों की आशंका के बीच तनाव और बढ़ गया है.

राष्ट्रपति की सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद पुतिन ने यह घोषणा की और इसी के साथ मॉस्को समर्थित विद्रोहियों और यूक्रेनी बलों के बीच संघर्ष के लिए रूस के खुलकर बल और हथियार भेजने का रास्ता साफ हो गया है.

गौरतलब है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थित अलगाववादी क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता दे दी है. रूस के इस फैसले से यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की पश्चिम देशों की आशंका के बीच तनाव और बढ़ेगा. राष्ट्रपति की सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद पुतिन ने यह घोषणा की और इसी के साथ मॉस्को समर्थित विद्रोहियों और यूक्रेनी बलों के बीच संघर्ष के लिए रूस के खुलकर बल और हथियार भेजने का रास्ता साफ हो गया है. पश्चिमी देशों को इस बात का डर है कि रूस किसी भी समय यूक्रेन पर हमला कर सकता है और वह पूर्वी यूक्रेन में झड़पों को हमला करने के लिए बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है.

इससे पहले, यूक्रेन के अलगाववादी नेताओं ने टेलीविजन पर प्रसारित एक बयान के जरिए रूस के राष्ट्रपति से अनुरोध किया था कि वे अलगाववादी क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता दें और मित्रता संधियों पर हस्ताक्षर करके उनके 'खिलाफ जारी यूक्रेनी सेना के हमलों से' उनकी रक्षा करने के लिए सैन्य सहायता भेजें. रूस के निचले सदन ने भी पिछले सप्ताह इसी प्रकार की अपील की थी.

ये भी पढ़ें- पुतिन ने यूक्रेन के अलगाववादी क्षेत्रों को मान्यता दी

पुतिन ने रूसी सांसदों से यूक्रेन के विद्रोही क्षेत्रों के साथ संधियों पर हस्ताक्षर करने का आग्रह किया, जिससे कि उन्हें मॉस्को का सैन्य समर्थन मिल सके. वहीं, यूरोपीय संघ ने यूक्रेन के अलगाववादी क्षेत्रों को मान्यता देने के रूस के कदम को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करार देते हुए कहा कि वह इसमें शामिल लोगों पर प्रतिबंध लगाएगा. इसने यूक्रेन की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपना समर्थन दोहराया.

ज्ञात हो कि रूस ने रविवार को यूक्रेन की उत्तरी सीमाओं के पास सैन्य अभ्यास बढ़ा दिया था. उसने यूक्रेन की उत्तरी सीमा से लगे बेलारूस में करीब 30,000 सैनिकों की तैनाती की है. साथ ही यूक्रेन की सीमाओं पर 1,50,000 सैनिकों, युद्धक विमानों और अन्य साजो-सामान की तैनाती कर रखी है. कीव की आबादी करीब 30 लाख है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

अमेरिका और रूस के बीच बैठक की संभावना

यूक्रेन पर रूस के संभावित हमले को टालने के अंतिम प्रयास के तहत अमेरिका और रूस के राष्ट्रपति के बीच बैठक होने की संभावना है. पूर्वी यूक्रेन में संघर्ष वाले क्षेत्र में सोमवार को जारी गोलाबारी के बीच यह संभावना बनी है. वहीं पश्चिमी शक्तियों को इस बात का डर सता रहा है कि इस गोलाबारी से व्यापक स्तर पर युद्ध शुरू हो सकता है.

हालांकि, अगर रूस, यूक्रेन पर आक्रमण करता है तो दोनों देशों के बीच यह बैठक रद्द कर दी जाएगी. इस संबंध में अमेरिका पहले से चेतावनी दे रहा है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला करने की ठान ली है. हमले की स्थिति बनने के बावजूद उम्मीद की जा रही है कि कूटनीति इस भीषण संघर्ष को टालने में कामयाब होगी, क्योंकि युद्ध हुआ तो बड़ी संख्या में लोग हताहत होंगे और बड़े पैमाने पर रूस से मिलने वाली ऊर्जा पर आधारित यूरोप की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचेगा.

रूस ने यूक्रेन की सीमाओं पर तीन ओर करीब 1,50,000 सैनिक एकत्र कर लिए हैं जो शीत युद्ध के बाद सबसे बड़ी तैनाती है. वहीं, पश्चिमी देशों के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन यूक्रेन पर हमले के लिए बस कारण तलाश रहे हैं, क्योंकि उसने (यूक्रेन) रूस के साथ आने से मना कर दिया है.

ये भी पढ़ें- पुतिन का रूसी सशस्त्र बलों को यूक्रेन के अलग-अलग क्षेत्रों में भेजने का आदेश

हालांकि, मास्को ने यूक्रेन पर हमले की योजना से इंकार किया है, लेकिन चाहता है कि पश्चिमी देश इसकी गारंटी दें कि नाटो यूक्रेन सहित पूर्व सोवियत संघ के अन्य देशों को संगठन में बतौर सदस्य शामिल नहीं करेगा. रूस ने यूक्रेन में नाटो द्वारा हथियारों की तैनाती रोकने और पूर्वी यूरोप में तैनात बलों को वापस बुलाने की मांग रखी है.

(इनपुट एजेंसी)

Last Updated : Feb 22, 2022, 7:13 AM IST

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