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सोशल मीडिया से संबंधित एक आदेश को लेकर ट्रंप के खिलाफ मुकदमा

ऑनलाइन सेंसरशिप को रोकने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है. कार्यकारी आदेश मूल से अधिक राजनीतिक था. कई विशेषज्ञों ने सवाल किया कि क्या यह संवैधानिक था. राष्ट्रपति ने ट्विटर पर अपने दो ट्वीट्स पर तथ्य जांचने के बाद अपने समर्थकों को रैली करने का लक्ष्य दिया. ट्रंप ने बिना सबूतों के लंबे समय से टेक कंपनियों पर परंपरावादियों के खिलाफ पक्षपात करने का आरोप लगाया है.

Lawsuit filed against Trump
ट्रंप के खिलाफ मुकदमा दर्ज
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Published : Jun 4, 2020, 1:25 PM IST

Updated : Jun 4, 2020, 1:31 PM IST

वॉशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ ऑनलाइन सेंसरशिप को रोकने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के लिए मुकदमा दायर किया गया है. ट्रंप का यह कदम सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर व्यक्तियों के भाषण की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता प्रतीत होता है.

सेंटर फॉर डेमोक्रेसी एंड टेक्नोलॉजी (सीडीटी) ने मंगलवार को ट्रंप के कार्यकारी आदेश के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. इस आदेश पर 28 मई, 2020 को हस्ताक्षर किए गए थे. इस मुकदमे में तर्क दिया गया है कि यह कार्यकारी आदेश ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और व्यक्तियों के संवैधानिक रूप से संरक्षित भाषण में काट-छांट और रोक के द्वारा प्रथम संशोधन का उल्लंघन करता है।

पढ़े: कांग्रेस ने CDS का किया समर्थन, अधीर रंजन और मनीष तिवारी के बयान से झाड़ा पल्ला

गौरतलब है कि सीडीटी ने गुरुवार को मुकदमा दायर किया क्योंकि राष्ट्रपति की कार्रवाई प्रथम संशोधन द्वारा संरक्षित भाषण की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है. इस आदेश को अवरुद्ध करना स्वतंत्रता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. सीडीटी अध्यक्ष और सीईओ एलेक्जेंड्रा गिवेंस ने कहा, '2020 के चुनाव की अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण काम जारी है.'

डिजिटल अधिकार समूह ने कहा कि कार्यकारी आदेश सोशल मीडिया सेवाओं को गलत सूचना, मतदाता दमन और उनके प्लेटफार्मों पर हिंसा से उकसाने से रोकने के लिए बनाया गया है.

पढ़े: इंडिया का नाम 'भारत' करने की याचिका को केन्द्र प्रतिवेदन के रूप में ले : सुप्रीम कोर्ट

गिवेंस ने कहा, 'मतदान प्रक्रिया और हमारे चुनाव के बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के बारे में सटीक जानकारी तक पहुंच हमारे लोकतंत्र की जान है. राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया है कि उनका लक्ष्य मध्यस्थों के प्रतिशोध और भविष्य के विनियमन के खतरों का उपयोग करना है ताकि वे मध्यम सामग्री को बदल सकें. अनिवार्य रूप से यह सुनिश्चित करना कि मतदाता दमन और विघटन के खतरे एक चुनावी वर्ष में अनियंत्रित हो जाएंगे.'

बता दें कि मेयर ब्राउन की कानूनी फर्म इस कार्रवाई में सीडीटी का प्रतिनिधित्व कर रही है.

वॉशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ ऑनलाइन सेंसरशिप को रोकने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के लिए मुकदमा दायर किया गया है. ट्रंप का यह कदम सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर व्यक्तियों के भाषण की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता प्रतीत होता है.

सेंटर फॉर डेमोक्रेसी एंड टेक्नोलॉजी (सीडीटी) ने मंगलवार को ट्रंप के कार्यकारी आदेश के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. इस आदेश पर 28 मई, 2020 को हस्ताक्षर किए गए थे. इस मुकदमे में तर्क दिया गया है कि यह कार्यकारी आदेश ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और व्यक्तियों के संवैधानिक रूप से संरक्षित भाषण में काट-छांट और रोक के द्वारा प्रथम संशोधन का उल्लंघन करता है।

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गौरतलब है कि सीडीटी ने गुरुवार को मुकदमा दायर किया क्योंकि राष्ट्रपति की कार्रवाई प्रथम संशोधन द्वारा संरक्षित भाषण की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है. इस आदेश को अवरुद्ध करना स्वतंत्रता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. सीडीटी अध्यक्ष और सीईओ एलेक्जेंड्रा गिवेंस ने कहा, '2020 के चुनाव की अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण काम जारी है.'

डिजिटल अधिकार समूह ने कहा कि कार्यकारी आदेश सोशल मीडिया सेवाओं को गलत सूचना, मतदाता दमन और उनके प्लेटफार्मों पर हिंसा से उकसाने से रोकने के लिए बनाया गया है.

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गिवेंस ने कहा, 'मतदान प्रक्रिया और हमारे चुनाव के बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के बारे में सटीक जानकारी तक पहुंच हमारे लोकतंत्र की जान है. राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया है कि उनका लक्ष्य मध्यस्थों के प्रतिशोध और भविष्य के विनियमन के खतरों का उपयोग करना है ताकि वे मध्यम सामग्री को बदल सकें. अनिवार्य रूप से यह सुनिश्चित करना कि मतदाता दमन और विघटन के खतरे एक चुनावी वर्ष में अनियंत्रित हो जाएंगे.'

बता दें कि मेयर ब्राउन की कानूनी फर्म इस कार्रवाई में सीडीटी का प्रतिनिधित्व कर रही है.

Last Updated : Jun 4, 2020, 1:31 PM IST
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