वॉशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ ऑनलाइन सेंसरशिप को रोकने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के लिए मुकदमा दायर किया गया है. ट्रंप का यह कदम सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर व्यक्तियों के भाषण की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता प्रतीत होता है.
सेंटर फॉर डेमोक्रेसी एंड टेक्नोलॉजी (सीडीटी) ने मंगलवार को ट्रंप के कार्यकारी आदेश के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. इस आदेश पर 28 मई, 2020 को हस्ताक्षर किए गए थे. इस मुकदमे में तर्क दिया गया है कि यह कार्यकारी आदेश ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और व्यक्तियों के संवैधानिक रूप से संरक्षित भाषण में काट-छांट और रोक के द्वारा प्रथम संशोधन का उल्लंघन करता है।
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गौरतलब है कि सीडीटी ने गुरुवार को मुकदमा दायर किया क्योंकि राष्ट्रपति की कार्रवाई प्रथम संशोधन द्वारा संरक्षित भाषण की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है. इस आदेश को अवरुद्ध करना स्वतंत्रता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. सीडीटी अध्यक्ष और सीईओ एलेक्जेंड्रा गिवेंस ने कहा, '2020 के चुनाव की अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण काम जारी है.'
डिजिटल अधिकार समूह ने कहा कि कार्यकारी आदेश सोशल मीडिया सेवाओं को गलत सूचना, मतदाता दमन और उनके प्लेटफार्मों पर हिंसा से उकसाने से रोकने के लिए बनाया गया है.
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गिवेंस ने कहा, 'मतदान प्रक्रिया और हमारे चुनाव के बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के बारे में सटीक जानकारी तक पहुंच हमारे लोकतंत्र की जान है. राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया है कि उनका लक्ष्य मध्यस्थों के प्रतिशोध और भविष्य के विनियमन के खतरों का उपयोग करना है ताकि वे मध्यम सामग्री को बदल सकें. अनिवार्य रूप से यह सुनिश्चित करना कि मतदाता दमन और विघटन के खतरे एक चुनावी वर्ष में अनियंत्रित हो जाएंगे.'
बता दें कि मेयर ब्राउन की कानूनी फर्म इस कार्रवाई में सीडीटी का प्रतिनिधित्व कर रही है.