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रिश्तों की दुहाई देकर बीजेपी मांगेगी वोट, कैंपेनिंग में दिखेगा बिहार-झारखंड में रिश्तेदारी का असर - रांची

पार्टियां चुनाव जीतने के लिए हर हथकंडे अपनाती हैं. जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रचार के तरीके, हर मुद्दे को भुनाया जाता है.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट
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Published : Apr 4, 2019, 3:25 PM IST

रांचीः लोकसभा चुनावों में राज्य की 14 पार्लियामेंट्री सीट पर जीत का परचम लहराने के लिए बीजेपी हर वह कदम उठाने के मूड में है जो पार्टी के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करा सके. एक तरफ जहां संगठन और सरकार समन्वय बनाकर चुनाव के कैंपेनिंग में लगे हैं. वहीं दूसरी तरफ अब पार्टी भावनात्मक लगाव के जरिए भी वोट मांगने के मूड में है.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट

एकीकृत बिहार से सन 2000 में अलग हुए झारखंड राज्य का अभी भी वहां से 'इमोशनल अटैचमेंट' बरकरार है. इसी इमोशनल अटैचमेंट को बीजेपी इस लोकसभा चुनाव में भुनाने के मूड में है.

पार्टी सूत्रों का यकीन करें तो अंतिम चार चरण में झारखंड के 14 संसदीय इलाकों में बिहार से अलग-अलग राजनेता आएंगे और चुनाव प्रचार करेंगे. चूंकि बिहार में भी सातों चरणों में चुनाव होने हैं इसलिए राजनेताओं की उपस्थिति फेज वाइज तय की जाएगी. उन राजनेताओं में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कईयों के नाम शामिल हैं.

रिश्तेदारी की किताब खोल कर देखें तो बिहार के कई मंत्री और प्रमुख राजनेता ऐसे हैं जिनका झारखंड कनेक्शन काफी मजबूत है. सूत्रों की माने तो बिहार के स्वास्थ्य मंत्री और झारखंड में लोकसभा चुनावों के प्रभारी बनाए गए मंगल पांडे के करीबी रिश्तेदार झारखंड के बोकारो जिले में रहते हैं. वहीं बिहार के पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव की बेटी राजधानी रांची में रहती है.

उसी तरह बिहार के प्रमुख राजनेताओं में शुमार प्रेम कुमार का भी झारखंड कनेक्शन है. वह भी अक्सर धनबाद के झरिया जिले में जातिगत समीकरण के तहत आते रहते हैं. यहां तक कि धनबाद के एमपी पशुपतिनाथ सिंह बिहार के पुनपुन के रहने वाले हैं. जबकि धनबाद के विधायक राज सिन्हा का जुड़ाव बक्सर से है.

बीजेपी के प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि राजनेताओं का आना जाना लगा रहेगा. कौन किस वक्त खाली होगा उसी के हिसाब से शेड्यूल तय किया जाएगा. जहां तक रिश्तेदारी का सवाल है वह तो स्वाभाविक है.

रांचीः लोकसभा चुनावों में राज्य की 14 पार्लियामेंट्री सीट पर जीत का परचम लहराने के लिए बीजेपी हर वह कदम उठाने के मूड में है जो पार्टी के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करा सके. एक तरफ जहां संगठन और सरकार समन्वय बनाकर चुनाव के कैंपेनिंग में लगे हैं. वहीं दूसरी तरफ अब पार्टी भावनात्मक लगाव के जरिए भी वोट मांगने के मूड में है.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट

एकीकृत बिहार से सन 2000 में अलग हुए झारखंड राज्य का अभी भी वहां से 'इमोशनल अटैचमेंट' बरकरार है. इसी इमोशनल अटैचमेंट को बीजेपी इस लोकसभा चुनाव में भुनाने के मूड में है.

पार्टी सूत्रों का यकीन करें तो अंतिम चार चरण में झारखंड के 14 संसदीय इलाकों में बिहार से अलग-अलग राजनेता आएंगे और चुनाव प्रचार करेंगे. चूंकि बिहार में भी सातों चरणों में चुनाव होने हैं इसलिए राजनेताओं की उपस्थिति फेज वाइज तय की जाएगी. उन राजनेताओं में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कईयों के नाम शामिल हैं.

रिश्तेदारी की किताब खोल कर देखें तो बिहार के कई मंत्री और प्रमुख राजनेता ऐसे हैं जिनका झारखंड कनेक्शन काफी मजबूत है. सूत्रों की माने तो बिहार के स्वास्थ्य मंत्री और झारखंड में लोकसभा चुनावों के प्रभारी बनाए गए मंगल पांडे के करीबी रिश्तेदार झारखंड के बोकारो जिले में रहते हैं. वहीं बिहार के पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव की बेटी राजधानी रांची में रहती है.

उसी तरह बिहार के प्रमुख राजनेताओं में शुमार प्रेम कुमार का भी झारखंड कनेक्शन है. वह भी अक्सर धनबाद के झरिया जिले में जातिगत समीकरण के तहत आते रहते हैं. यहां तक कि धनबाद के एमपी पशुपतिनाथ सिंह बिहार के पुनपुन के रहने वाले हैं. जबकि धनबाद के विधायक राज सिन्हा का जुड़ाव बक्सर से है.

बीजेपी के प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि राजनेताओं का आना जाना लगा रहेगा. कौन किस वक्त खाली होगा उसी के हिसाब से शेड्यूल तय किया जाएगा. जहां तक रिश्तेदारी का सवाल है वह तो स्वाभाविक है.

Intro:रांची। लोकसभा चुनावों में राज्य की 14 पार्लियामेंट्री सीट पर जीत का परचम लहराने के लिए बीजेपी हर वह कदम उठाने के मूड में है जो पार्टी के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करा सके। एक तरफ जहां संगठन और सरकार समन्वय बनाकर चुनाव के कैंपेनिंग में लगे हैं। वहीं दूसरी तरफ अब पार्टी भावनात्मक लगाव के जरिए भी वोट मांगने के मूड में है। एकीकृत बिहार से सन 2000 में अलग हुए झारखंड राज्य का अभी भी वहां से 'इमोशनल अटैचमेंट' बरकरार है। इसी इमोशनल अटैचमेंट को पार्टी इस लोकसभा चुनाव में भुनाने के मूड में है।


Body:पार्टी सूत्रों का यकीन करें तो अंतिम के चार चरण में झारखंड के 14 संसदीय इलाकों में बिहार से अलग-अलग राजनेता आएंगे और चुनाव प्रचार करेंगे। चूंकि बिहार में भी सातों चरणों में चुनाव होने हैं इसलिए राजनेताओं की उपस्थिति फेज़ वाइज तय की जाएगी। उन राजनेताओं में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीशश कुमार समेत कईयों के नाम शामिल हैं। रिश्तेदारी की किताब खोल कर देखें तो बिहार के कई मंत्री और प्रमुख राजनेता ऐसे हैं जिनका झारखंड कनेक्शन काफी मजबूत है। सूत्रों की माने तो बिहार के स्वास्थ्य मंत्री और झारखंड में लोकसभा चुनावों के प्रभारी बनाए गए मंगल पांडे के करीबी रिश्तेदार झारखंड के बोकारो जिले में रहते हैं। वहीं बिहार के पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव की बेटी राजधानी रांची में रहती है।


Conclusion:उसी तरह बिहार के प्रमुख राजनेताओं में शुमार प्रेम कुमार का भी झारखंड कनेक्शन है। वह भी अक्सर धनबाद के झरिया जिले में जातिगत समीकरण के तहत आते रहते रहते हैं। यहां तक कि धनबाद के एमपी पशुपतिनाथ सिंह बिहार के पुनपुन के रहने वाले हैं जबकि धनबाद के विधायक राज सिन्हा का जुड़ाव बक्सर से है।
बीजेपी के प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि राजनेताओं का आना जाना लगा रहेगा। कौन किस वक़्त खाली होगा उसी के हिसाब स शेड्यूल तय किया जाएगा। जहां तक रिश्तेदारी का सवाल है वह तो होम स्वाभाविक है चूंकि पहले सब एकीकृत बिहार में थे भले।ही अब उसका कुछ हिस्सा झारखण्ड हो गया है।
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