रांचीः झारखंड में प्रथम छात्र संसद का समापन हो गया. देश और राज्य की संसदीय प्रणाली से युवा छात्र छात्राओं को रूबरू कराने के उद्देश्य से पहली बार आयोजित इस छात्र संसद में कार्यवाही के दौरान सार्थक बहस छात्र-छात्राओं ने की. यह प्रदर्शित किया कि बिना हो हंगामे के भी सदन की कार्यवाही चल सकती है. राज्य के 98 होनहार छात्रों में से अंतिम रुप से चयनित 24 छात्र छात्राएं प्रथम झारखंड छात्र संसद के हिस्सा थे. लेकिन आपको यह जान कर ताज्जुब होगा कि प्रथम छात्र संसद में मुख्यमंत्री की भूमिका निभाने वाली प्रीति विश्वकर्मा, नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने वाली नूपुर माला हो या फिर बेहद संजीदगी से स्पीकर की भूमिका निभाने वाली डेजी लकड़ा हो किसी की प्राथमिकता में नेता नहीं बनना नहीं है.
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किसी की चाहत आईएएस बनने की तो कोई बनना चाहती है शिक्षक
छात्र संसद के कुछ प्रतिभागियों से ईटीवी भारत ने यह जानने की कोशिश की कि उनमें से कोई भविष्य में सक्रिय राजनीति में आना या नेता बनना चाहता है या नहीं. यह जानकर आपको हैरानी होगी कि विधानसभा परिसर में छात्र संसद की कार्यवाही में भाग लेने और कुछ मिनट पहले तक सदन की कार्यवाही में जन सरोकार के मुद्दे पर बहस करते दिखे युवा नेता नहीं बल्कि नौकरशाह, शिक्षक, जनसेवक बनना चाहते हैं.
बेस्ट परफॉर्मेंस में दूसरा स्थान पाने वाली गिरिडीह की सभ्यता भूषण ने कहा कि चाहे आईएएस बनूं या विधायक लक्ष्य जनसेवा होगी तो मुख्यमंत्री की भूमिका निभाने वाली प्रीति विश्वकर्मा, नेता प्रतिपक्ष नूपुर माला ने कहा कि उन्हें आईएएस बनना है. वहीं तो स्पीकर की भूमिका निभाने वाली डेजी लकड़ा ने कहा कि उन्हें शिक्षक बनना है.
नेता-विधायक बनने की क्यों नहीं है चाहत ?
प्रथम झारखंड छात्र संसद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले युवा क्यों नहीं राजनीति में आना चाहते हैं, इस सवाल के जवाब में झारखंड के पूर्व मंत्री और विधायक सरयू राय कहते हैं कि विधायक- सांसद बनने या नेता बनने के लिए कोई अधिकतम उम्र नहीं होती, शायद इसलिए ये युवा सोचते होंगे कि नेता, नौकरशाह बनने के बाद भी बना जा सकता है. ऐसे में उनकी सोच होगी कि पहले अधिकारी बन जाते हैं फिर नेता बनेंगे क्योकि कई ऐसे उदाहरण भी हैं कि अधिकारी नेता बने हैं.