रांची: आदिम जनजातियों और आदिवासियों के विकास के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन इनके उत्थान के लिए चलाए जा रहे इन योजनाओं का लाभ इन आदिवासियों को नहीं मिल पा रहा है. पूर्ण बहुमत के रघुवर सरकार ने भी इन जनजातीय समूह के साक्षरता दर में वृद्धि को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.
साक्षरता दर में वृद्धि नहीं
ऐसे में जनजातीय क्षेत्र में साक्षरता दर में वृद्धि के संकेत दूर-दूर तक नहीं दिखाई देते हैं. हांलाकि, कुछ क्षेत्रों में काम जरूर हुए हैं, लेकिन अभी भी काफी कुछ करना बाकी है. झारखंड आदिवासी बहुल इलाका है और विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर झारखंड के आदिवासियों और जनजातीय समूह की बात न हो ये बेमानी होगी. इस राज्य के आदिवासियों की उत्थान को लेकर केंद्र सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई भी जा रही है, लेकिन जनजातीय और आदिवासी समुदाय में साक्षरता दर की ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया.
औसत साक्षरता दर 30 प्रतिशत
राज्य के साक्षरता दर के आंकड़े को देखें तो जनजातीय समुदाय में साक्षरता दर सामान्य से 9.31 फीसदी कम है और आदिम जनजातियों की औसत साक्षरता दर 30 प्रतिशत के करीब है. आंकड़ों की बात करें तो राज्य के 6 जिलों में जनजातीय महिला साक्षरता दर काफी कम है.
महिला आदिवासी साक्षरता
जिले | साक्षरता (%) |
कोडरमा | 28.33 |
गोड्डा | 32.30 |
साहिबगंज | 31.20 |
पाकुड़ | 32.30 |
गिरिडीह | 33.30 |
देवघर | 34.40 |
राज्य में साक्षरता प्रतिशत
जनजातीय समाज के लगभग एक लाख 44 हजार 262 लोग ही केवल स्नातक है. हालिया जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में साक्षरता प्रतिशत 66.41 था. इसमें महिलाओं में साक्षरता दर 52.04 प्रतिशत, जबकि पुरुषों में साक्षरता दर 76.84 प्रतिशत थी, लेकिन वहीं अगर हम जनजातीय समाज की साक्षरता दर की बात करें तो वह काफी कम है.
आंकड़ों के अनुसार अनुसूचित जनजातियों की साक्षरता दर 57.1 प्रतिशत है. जो राज्य की कुल साक्षरता दर से 9.31 प्रतिशत कम है. अनुसूचित जनजाति के पुरुषों में साक्षरता दर 68.2 प्रतिशत है. जो झारखंड की साक्षरता दर से 8.6 प्रतिशत कम है. वहीं महिलाओं में साक्षरता दर को देखें तो अनुसूचित जनजाति की महिलाओं में साक्षरता दर 40.2 फीसदी है. जो कि राज्य की साक्षरता दर से काफी कम है.
ये भी पढ़ें: थाने के स्टाफ क्वार्टर में आरोपी ने की आत्महत्या, सोमवार रात हुआ था गिरफ्तार
शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार प्रयासरत
शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने कहा है कि आदिवासियों और अनुसूचित जनजातियों के शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने को लेकर राज्य सरकार प्रयासरत है, जबकि शिक्षाविदों का कहना है कि लगातार इस दिशा में काम करने की जरूरत है. तब जाकर आदिवासियों की शिक्षा व्यवस्था पटरी पर आ पाएगी. काम हो रही है, लेकिन उतनी तेजी से नहीं जितनी तेजी से होने की जरूरत है. इस और राज्य सरकार के शिक्षा विभाग को ध्यान देना होगा तब जाकर आदिवासियों की हालत सुधरेगी.