रांची: 1 दिसंबर को पूरा विश्व वर्ल्ड एड्स डे के रूप में मनाता है. इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि एचआईवी संक्रमण की वजह से होने वाली बीमारियों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देना है. इसी क्रम में लोगों को एचआईवी संक्रमण और ऐड्स के बारे में जागरूक करने के लिए विश्व एड्स दिवस मनाया जा रहा है.
एआरटी सेंटर का निर्माण
ऐड्स के मरीजों के इलाज के लिए बनाए गए सेंटरों की बात करें तो पूरे राज्य में 12 एआरटी(एंटी रेट्रो वायरल) सेंटर बनाये गये हैं. जिसमें रिम्स में एआरटी प्लस सेंटर हैं. तो वहीं अन्य जगहों पर एआरटी सेंटर बनाये गये हैं. जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल, धनबाद के पीएमसीएच अस्पताल, हजारीबाग, गिरिडीह, देवघर, दुमका, डाल्टनगंज, कोडरमा, साहिबगंज, बोकारो, चाईबासा के सदर अस्पताल में भी एड्स के मरीजों के इलाज के लिए एआरटी सेंटर का निर्माण किया गया है.
रांची एआरटी प्लस के नोडल अधिकारी डॉ संजय सिंह बताते हैं कि एड्स के मरीजों में आज भी जागरूकता और ज्ञान की कमी है. एड्स का नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं और सामाजिक भेदभाव करने लगते हैं. जबकि यह बीमारी भी ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और अन्य बीमारियों की तरह है. जिसमें जीवन भर दवा खाने की जरूरत पड़ती है. उन्होंने बताया कि अगर नियमित रूप से एड्स की दवा मरीजों लें तो उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होगी.
झारखंड के सभी सेंटर में दवा उपलब्ध
डॉ संजय बताते हैं कि झारखंड के सभी सेंटर और सब-सेंटर में इसकी दवा उपलब्ध है. एचआईवी के मरीजों का तीन तरह से इलाज होता है. पहला फर्स्ट लाइन इलाज दूसरा सेकंड लाइन इलाज और तीसरा थर्ड लाइन इलाज. वहीं उन्होंने जिसमें फर्स्ट लाइन और सैकेंड लाइन के इलाज की सुविधा झारखंड के सभी एआरटी सेंटर में उपलब्ध है लेकिन थर्ड लाइन इलाज के लिए मरीजो को कोलकता रेफर किया जाता है. डॉ संजय कुमार ने ऐड्स के मरीजों को जागरूक करने के लिए बताया कि एचआईवी संक्रमित मरीजों को खाने पीने पर विशेष ध्यान रखनी चाहिए. ऐसे मरीजों के लिए साफ सफाई का ज्यादा ध्यान रखा जाता है.
एड्स के मरीज कोरोना से रहें दूर
डॉ संजय बताते हैं कोरोना काल में एड्स के मरीजों को ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत है. अगर किसी एड्स के मरीजों को कोरोना हो जाता है तो हालात खराब हो सकते हैं. ऐसे में मरीज की मृत्यु भी हो सकती है इसीलिए जरूरी है कि एड्स के मरीज कोरोना वायरस से ज्यादा से ज्यादा बचने का प्रयास करें.
एहतियात बरतने की जरूरत
रांची के रिम्स में बना एआरटी प्लस सेंटर के मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर रेहान बताते हैं कि एचआईवी संक्रमण होने के बाद मरीज को तुरंत ही एहतियात बरतनी चाहिए. अगर एचआईवी का संक्रमण बढ़ जाता है तो फिर वह एड्स का रूप ले लेता है, जो कि खतरनाक हो सकता है. डॉ. रेहान ने बताया कि एचआईवी संक्रमण होने से मरीज को तुरंत एड्स नहीं होता. अगर वह सही समय पर इलाज करा लें लेकिन अगर एचआईवी संक्रमण होने के बाद 6 से 8 साल तक मरीज इलाज नहीं कराता है तो फिर एचआईवी का वायरस बढ़ता जाता है और वह एड्स में तब्दील हो जाता है, जो कि काफी खतरनाक है.
एड्स के मरीजों के लिए जागरूकता अभियान
एड्स के मरीजों के लिए काउंसलिंग का काम करने वाली पिंकी कुमारी बताती हैं कि आज भी जागरूकता के अभाव में ऐड्स के मरीजों के साथ भेदभाव किया जाता है. जबकि झारखंड के सभी जिलों में एड्स के मरीजों के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है और उन्हें बताया जाता है कि एड्स एक लाइलाज और छूआछूत की बीमारी नहीं है. इसके बावजूद भी लोग वैसे मरीजों के साथ भेदभाव करते हैं, जो कहीं ना कहीं ये दर्शाता है कि लोगों को एड्स के बारे में आज भी जानकारी प्राप्त करने की जरूरत है.
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रिम्स में सबसे बड़ा एआरटी सेंटर
राज्य का सबसे बड़ा एआरटी सेंटर रिम्स में बनाया गया है. जहां पर मरीजों के इलाज की समुचित व्यवस्था है लेकिन उसके बावजूद भी कई ऐसी कमियां हैं जिस कारण एड्स के मरीजों को कुछ दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है. सबसे बड़ा एआरटी सेंटर होने के बावजूद भी यहां पर स्टाफ को भी कई समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि एड्स जैसी खतरनाक बीमारी के मरीजों के इलाज करने वाले कर्मचारियों को समुचित सुविधा दी जाए ताकि वह अपना काम और भी मन और दिल लगाकर कर सकें.
इन वजहों से होता है एड्स
- संक्रमित खून चढ़ाने से
- HIV पॉजिटिव महिला के बच्चे में
- एक बार इस्तेमाल की जानी वाली सुई को दूसरी बार यूज करने से
- इन्फेक्टेड ब्लेड यूज करने से
- अनसेफ सेक्स से
एचआईवी के लक्षण?
- बुखार
- पसीना आना
- ठंड लगना
- थकान
- भूख कम लगना
- वजन घटा
- उल्टी आना
- गले में खराश रहना
- दस्त होना
- खांसी होना
- सांस लेने में समस्या
- शरीर पर चकत्ते होना
- स्किन प्रॉब्लम