रांचीः रविवार को मोरहाबादी में फ्यूचर ऑफ आईवीएफ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और भविष्य में आईवीएफ के महत्व पर चर्चा की. विशेषज्ञों ने कहा कि बांझपन की समस्या से जूझ रहे दंपती के लिए आईवीएफ तकनीक उम्मीद की किरण है. उन्होंने कहा कि इन दिनों करिअर ओरिएंटेशन में प्रदूषण के साथ साथ महिलाओं में नशा की बढ़ती प्रवृत्ति से बांझपन की समस्या बढ़ी है.
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विशेषज्ञों ने कहा कि समय के साथ साथ तकनीक में बदलाव और कंप्यूटर की वजह से इलाज करना ज्यादा आसान हो गया है. अब आईवीएफ तकनीक से गर्भधारण ज्यादा महंगा भी नहीं है. रांची के आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ. जया भट्टाचार्य ने कहा की सर्वोत्तम स्थिति तो नॉर्मल तरीके से प्रेगनेंसी और डिलीवरी है. लेकिन जब कोई दंपती बांझपन की समस्या से जूझता है तो वे आईवीएफ तकनीक का सहारा ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि आईवीएफ तकनीक से जन्म लेने वाला शिशु भी सामान्य शिशुओं की तरह ही होता है.
रिम्स की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. अर्चना ने कहा कि जब एक महिला छोटी-मोटी वजह से मां नहीं बन पाती है तो कई तरह की मानसिक पीड़ा झेलती है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों के पास पैसे हैं, वह निजी संस्थान में इलाज करा कर आईवीएफ तकनीक का सहारा लेकर मां बन जाती हैं. लेकिन गरीब और निम्न मध्यमवर्ग की महिलाएं पैसे की वजह से आईवीएफ तकनीक की मदद नहीं ले पाती हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल में भी आईवीएफ तकनीक की व्यवस्था विकसित होना चाहिए, ताकि ताकि कोई महिला पैसे की वजह से मां बनने के सुख से वंचित नहीं हो सके.