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धरती पर मौजूद 100 लीटर पानी में डेढ़ चम्मच ही पीने लायक, झारखंड की स्थिति चिंताजनक

गर्मी के दस्तक देते ही एक बार फिर से लोगों को पानी की किल्लत का डर सताने लगा है. गर्मी के बढ़ते ही झारखंड के कुछ क्षेत्रों में कुओं का जलस्तर काफी नीचे चला गया है. यही नहीं चापाकल भी खराब हो जाते हैं. कई जगह जहां चापाकल चालू हालत में होते हैं वहां पानी भरने के लिए लोगों की कतार लग जाती है. झारखंड सरकार ने पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए भारी भरकम बजट का प्रावधान किया है. झारखंड सरकार अपनी तरफ से काफी कोशिश भी कर रही है, लेकिन ये लोगों को लिए नाकाफी साबित होती है.

water crisis in jharkhand
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Published : Mar 30, 2021, 5:18 PM IST

Updated : Mar 30, 2021, 5:35 PM IST

रांची: दुनिया में उपलब्ध कुल पानी में से महज 0.003 प्रतिश पानी ही पेयजल के लिए उपलब्ध है. यानी धरती पर उपलब्ध 100 लीटर पानी में से सिर्फ डेढ़ चम्मच पानी ही पेयजल के लायक है. शायद इसी वजह से कहा जाता है कि 'जल ही जीवन है'. लेकिन अब यह कहने की नौबत आ गई है कि 'जल नहीं तो कल नहीं '. शुद्ध पेयजल के मामले में झारखंड की स्थिति चिंताजनक है. यहां ग्रामीण क्षेत्र के 58.95 लाख घरों की तुलना में सिर्फ 6.93 लाख घरों तक ही नल से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति हो रही है. सरकार का दावा है कि ग्रामीण क्षेत्र की 99 प्रतिशत आबादी 4.04 नलकूप से आच्छादित है. फिर भी बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग चुआं, आहर और तालाब का पानी पीने को मजबूर क्यों हैं. इसकी वजह है कि गर्मी शुरू होते ही ज्यादातर चापाकल ठप हो जाते हैं. राजधानी रांची में तो मार्च में ही बोरिंग फेल होने लगे हैं. धुर्वा इलाके में बड़ी संख्या में बोरिंग फेल हो चुके हैं. पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है.

ये भी पढ़ें: वॉटर हार्वेस्टिंग को लेकर गंभीर नहीं रांची नगर निगम, अंडर ग्राउंड वॉटर लेवल की स्थिति चिंताजनक

क्या कर रही है झारखंड सरकार

झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मुताबिक साल 2020-21 में 178 वृहत और 2094 लघु ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं का निर्माण कार्य चल रहा है. 2020-21 में अबतक 20 वृहत और 12366 लघु ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं को पूरा किया जा चुका है. फिलहाल पूर्ण योजनाओं की बदौलत राज्य के कुल 6.93 लाख ग्रामीण घरों में नल से पेयजलापूर्ति की जा रही है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में ठप पड़े नककूपों के राजइजर पाइप को बदलने के लिए गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग से राशि नहीं ली जाएगी. इसके लिए राज्य योजना के तहकत 35.72 करोड़ राशि का बजट में अलग से प्रावधान किया गया है. विभाग का दावा है कि इस साल के अंत तक 16.16 लाख घरों में नल से जल पहुंचाया जाएगा.

ये भी पढ़ें: गिरिडीह के 51 स्कूलों में है पानी की समस्या, हलक की प्यास बुझाने के लिए भटकते हैं बच्चे

ग्रामीण इलाकों में नल से जल की हकीकत

2011 की जनगणना के मुताबिक रांची में सबसे ज्यादा 28.74 घरों में नल से जल पहुंच रहा है. दूसरे स्थान पर है रामगढ़. यहां 28.37 में नल से जल पहुंच रहा है. बोकारो में 19.69 प्रतिशत, सिमडेगा में 18.86 प्रतिशत, धनबाद में 18.52 प्रतिशत, गिरिडीह में 16.09 प्रतिशत, लोहरदगा में 16.8 प्रतिशत, पूर्वी सिंहभूम में 14.3 प्रतिशत, कोडरमा में 13.87 प्रतिशत और दुमका के 11.54 प्रतिशत ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंच रहा है. अब अन्य जिलों की हालत का अंदाजा लगा सकते हैं. विभाग भी मानता है कि सभी 24 जिलों की 2 करोड़ 73 लाख 32 हजार 753 की आबादी की तुलना में महज 11.76 घरों तक ही शुद्ध पेयजल पहुंच रहा है.

ये भी पढ़ें: गिरिडीहः गर्मी शुरू होते ही पानी का संकट, बगोदर में खराब पड़ा है जल मीनार और चापकल

झारखंड की स्थिति चिंताजनक

राज्य बनने के 20 साल बाद भी झारखंड की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. हालाकि जल जीवन मिशन के तहत 2024 तक ग्रामीण क्षेत्र के सभी घरों में नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. इस बीच झारखंड सरकार ने विधायकों की अनुशंसा पर सभी पंचायत में 5 हैंडपंप लगाने का फैसला लिया है. इसके लिए बजट में 180 करोड़ का प्रावधान भी किया गया है.

रांची: दुनिया में उपलब्ध कुल पानी में से महज 0.003 प्रतिश पानी ही पेयजल के लिए उपलब्ध है. यानी धरती पर उपलब्ध 100 लीटर पानी में से सिर्फ डेढ़ चम्मच पानी ही पेयजल के लायक है. शायद इसी वजह से कहा जाता है कि 'जल ही जीवन है'. लेकिन अब यह कहने की नौबत आ गई है कि 'जल नहीं तो कल नहीं '. शुद्ध पेयजल के मामले में झारखंड की स्थिति चिंताजनक है. यहां ग्रामीण क्षेत्र के 58.95 लाख घरों की तुलना में सिर्फ 6.93 लाख घरों तक ही नल से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति हो रही है. सरकार का दावा है कि ग्रामीण क्षेत्र की 99 प्रतिशत आबादी 4.04 नलकूप से आच्छादित है. फिर भी बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग चुआं, आहर और तालाब का पानी पीने को मजबूर क्यों हैं. इसकी वजह है कि गर्मी शुरू होते ही ज्यादातर चापाकल ठप हो जाते हैं. राजधानी रांची में तो मार्च में ही बोरिंग फेल होने लगे हैं. धुर्वा इलाके में बड़ी संख्या में बोरिंग फेल हो चुके हैं. पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है.

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क्या कर रही है झारखंड सरकार

झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मुताबिक साल 2020-21 में 178 वृहत और 2094 लघु ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं का निर्माण कार्य चल रहा है. 2020-21 में अबतक 20 वृहत और 12366 लघु ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं को पूरा किया जा चुका है. फिलहाल पूर्ण योजनाओं की बदौलत राज्य के कुल 6.93 लाख ग्रामीण घरों में नल से पेयजलापूर्ति की जा रही है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में ठप पड़े नककूपों के राजइजर पाइप को बदलने के लिए गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग से राशि नहीं ली जाएगी. इसके लिए राज्य योजना के तहकत 35.72 करोड़ राशि का बजट में अलग से प्रावधान किया गया है. विभाग का दावा है कि इस साल के अंत तक 16.16 लाख घरों में नल से जल पहुंचाया जाएगा.

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ग्रामीण इलाकों में नल से जल की हकीकत

2011 की जनगणना के मुताबिक रांची में सबसे ज्यादा 28.74 घरों में नल से जल पहुंच रहा है. दूसरे स्थान पर है रामगढ़. यहां 28.37 में नल से जल पहुंच रहा है. बोकारो में 19.69 प्रतिशत, सिमडेगा में 18.86 प्रतिशत, धनबाद में 18.52 प्रतिशत, गिरिडीह में 16.09 प्रतिशत, लोहरदगा में 16.8 प्रतिशत, पूर्वी सिंहभूम में 14.3 प्रतिशत, कोडरमा में 13.87 प्रतिशत और दुमका के 11.54 प्रतिशत ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंच रहा है. अब अन्य जिलों की हालत का अंदाजा लगा सकते हैं. विभाग भी मानता है कि सभी 24 जिलों की 2 करोड़ 73 लाख 32 हजार 753 की आबादी की तुलना में महज 11.76 घरों तक ही शुद्ध पेयजल पहुंच रहा है.

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झारखंड की स्थिति चिंताजनक

राज्य बनने के 20 साल बाद भी झारखंड की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. हालाकि जल जीवन मिशन के तहत 2024 तक ग्रामीण क्षेत्र के सभी घरों में नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. इस बीच झारखंड सरकार ने विधायकों की अनुशंसा पर सभी पंचायत में 5 हैंडपंप लगाने का फैसला लिया है. इसके लिए बजट में 180 करोड़ का प्रावधान भी किया गया है.

Last Updated : Mar 30, 2021, 5:35 PM IST
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