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झारखंड: यूपीएससी ने फिर लौटायी डीजीपी पैनल की फाइल, राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्देश - झारखंड सरकार के पैनल को यूपीएससी का इंकार

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने झारखंड के पुलिस महानिदेशक पद के लिए राज्य सरकार के भेजे गए पैनल को मानने से इंकार कर दिया है. आयोग ने साफ कहा है कि इस संबंध में सरकार सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन का पालन करे.

यूपीएससी
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Published : Aug 29, 2020, 12:22 AM IST

Updated : Aug 29, 2020, 5:03 AM IST

रांचीः राज्य में नियमित डीजीपी की नियुक्ति का मामला एक फिर फंस गया है. यूपीएससी ने डीजीपी की नियुक्ति के लिए तीन आईपीएस अधिकारियों का पैनल भेजने से इंकार कर दिया है. यूपीएससी ने इस मामले में राज्य सरकार के मुख्य सचिव को पत्र भेज दिया है. यूपीएससी ने राज्य सरकार द्वारा डीजीपी रहे केएन चौबे को 2 साल के पहले हटाने के मामले में भेजे गए जवाब पर संतुष्टि नहीं जताई है. यूपीएससी ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएं.

प्रभारी डीजीपी नहीं बना सकती राज्य सरकार

डीजीपी के पद पर प्रभारी के तौर पर अधिकारी की नियुक्ति नहीं कर सकते. यूपीएससी ने इस बारे में राज्य सरकार के द्वारा प्रभारी डीजीपी बनाने के फैसले पर आपत्ति जतायी है. गौरतलब है कि यूपीएससी को राज्य सरकार ने पांच आईपीएस अधिकारियों के नाम का पैनल भेजा था.

यह भी पढ़ेंः नीट और जेईई की परीक्षा को लेकर केंद्र सरकार दिखा रही हठधर्मिता, राज्य सरकार से लेनी चाहिए थी राय: हेमंत सोरेन

यूपीएससी ने पहली बार केएन चौबे को हटाने की वजह पूछते हुए पैनल को वापस भेजा था. प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति को चुनौती देने संबंधी याचिका खारिज हुई थी. इससे पहले झारखंड के प्रभारी डीजीपी एमवी राव की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष प्रह्लाद नारायण सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने जनहित याचिका को मेंटेनेबल नहीं मानते हुए खारिज कर दिया था. कोर्ट ने पूरे मामले को सर्विस मैटर से जुड़ा माना था.

डीजीपी ने 6 अगस्त को भी यूपीएससी ने राज्य सरकार द्वारा भेजे गए पैनल को वापस कर दिया था. उस समय यूपीएससी ने केएन चौबे को डीजीपी पद से हटाए जाने पर राज्य सरकार से कुछ सवाल पूछे थे. राज्य सरकार ने सवालों का जवाब देते हुए यूपीएससी को पत्र भी भेजा था.

रांचीः राज्य में नियमित डीजीपी की नियुक्ति का मामला एक फिर फंस गया है. यूपीएससी ने डीजीपी की नियुक्ति के लिए तीन आईपीएस अधिकारियों का पैनल भेजने से इंकार कर दिया है. यूपीएससी ने इस मामले में राज्य सरकार के मुख्य सचिव को पत्र भेज दिया है. यूपीएससी ने राज्य सरकार द्वारा डीजीपी रहे केएन चौबे को 2 साल के पहले हटाने के मामले में भेजे गए जवाब पर संतुष्टि नहीं जताई है. यूपीएससी ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएं.

प्रभारी डीजीपी नहीं बना सकती राज्य सरकार

डीजीपी के पद पर प्रभारी के तौर पर अधिकारी की नियुक्ति नहीं कर सकते. यूपीएससी ने इस बारे में राज्य सरकार के द्वारा प्रभारी डीजीपी बनाने के फैसले पर आपत्ति जतायी है. गौरतलब है कि यूपीएससी को राज्य सरकार ने पांच आईपीएस अधिकारियों के नाम का पैनल भेजा था.

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यूपीएससी ने पहली बार केएन चौबे को हटाने की वजह पूछते हुए पैनल को वापस भेजा था. प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति को चुनौती देने संबंधी याचिका खारिज हुई थी. इससे पहले झारखंड के प्रभारी डीजीपी एमवी राव की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष प्रह्लाद नारायण सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने जनहित याचिका को मेंटेनेबल नहीं मानते हुए खारिज कर दिया था. कोर्ट ने पूरे मामले को सर्विस मैटर से जुड़ा माना था.

डीजीपी ने 6 अगस्त को भी यूपीएससी ने राज्य सरकार द्वारा भेजे गए पैनल को वापस कर दिया था. उस समय यूपीएससी ने केएन चौबे को डीजीपी पद से हटाए जाने पर राज्य सरकार से कुछ सवाल पूछे थे. राज्य सरकार ने सवालों का जवाब देते हुए यूपीएससी को पत्र भी भेजा था.

Last Updated : Aug 29, 2020, 5:03 AM IST
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