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खेल में बड़ा 'खेल' सरकार ने खिलाड़ियों से वापस मांगे 46 लाख रुपये

34वें राष्ट्रीय खेल समापन समारोह के दौरान प्रशिक्षकों को दिए गए पुरस्कार राशि सरकार ने पत्र के माध्यम से प्रशिक्षकों को लौटाने को कहा है. हालांकि इस पत्र के बाद सरकार और प्रशिक्षकों के बीच विवाद गहरा गया है, तो वहीं 17 खिलाड़ियों को भी अतिरिक्त भुगतान पर नोटिस जारी किया गया है.

34वें राष्ट्रीय खेल
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Published : Feb 11, 2019, 10:06 AM IST

रांची: राष्ट्रीय खेल घोटाले मामले में राज्य की छवि धूमिल हुई थी, एक बार फिर इस स्कैम की नई परतें खुलती नजर आ रही है. वहीं नियमों को ताक पर रखकर तत्कालीन सरकार द्वारा लुटाई गई राशि की अब हिसाब मांगी जा रही है. दरअसल, राष्ट्रीय खेल समापन समारोह के दौरान प्रशिक्षकों को दिए गए पुरस्कार राशि. सरकार ने पत्र के माध्यम से प्रशिक्षकों को लौटाने को कहा है. हालांकि इस पत्र के बाद सरकार और प्रशिक्षकों के बीच विवाद गहरा गया है, तो वहीं 17 खिलाड़ियों को भी अतिरिक्त भुगतान पर नोटिस जारी किया गया है.

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खिलाड़ियों के प्रशिक्षकों को भी सम्मान राशि दी गई थी
34वें राष्ट्रीय खेल में खिलाड़ियों के प्रत्येक मेडल पर सरकार ने पुरस्कार दिए थे. इन खिलाड़ियों के प्रशिक्षकों को भी सम्मान राशि दी गई थी. खिलाड़ियों के एक से अधिक मेडल जीतने पर राशि में गुणात्मक योग्य कर दी गई थी. लेकिन कुछ को एकल पदक पर ही पुरस्कार दिए जाने का निर्णय हुआ था.

नियम विरूद्ध
खिलाड़ियों को एक स्वर्ण पर सात लाख, एक रजत पर पांच और एक कांस्य पर तीन लाख रुपये दिए गए थे. वहीं प्रशिक्षकों को दो लाख, एक लाख और 50 हजार रुपये सम्मान राशि दिए गए थे, लेकिन इससे अलग विभिन्न खेल संघ और झारखंड ओलंपिक संघ ने सरकार को जो खिलाड़ी और कोच को दिए जाने वाले पुरस्कारों की सूची सौंपी थी, वो नियम विरूद्ध था. जिसमें 12 प्रशिक्षकों को नियम विरुद्ध राशि जारी किया गया था और अब रुपये वापस मांगे जा रहे हैं.

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अतिरिक्त राशि दिए गए थे
प्रशिक्षकों में कुश्ती के प्रशिक्षक भोला नाथ सिंह, लॉन बॉल के मधुकांत पाठक, ताइक्वांडो के संजय कुमार शर्मा और सुनील कुमार शर्मा, वूशु के एल प्रदीप कुमार और शैलेंद्र कुमार दुबे, डाइविंग के संजय, अजीत कुमार सिंह, बीके जेना और डीजी मूर्ति को पत्र के माध्यम से अतिरिक्त राशि दिए गए थे.

'सम्मान देकर अब अपमान'
वहीं, अब सरकार के खेल निदेशालय द्वारा इन प्रशिक्षकों से पत्र के माध्यम से अतिरिक्त राशि वापस करने को कहा गया है. खेल निदेशालय ने एक समय के तहत राशि लौटाने की जिक्र पत्र में की है. वहीं समय पर राशि नहीं लौटाने पर कानूनी कार्रवाई करने का मन भी बना लिया है. हालांकि इस मामले को लेकर प्रशिक्षकों में काफी रोष है. उन्होंने कहा है कि सम्मान देकर असम्मान करना यह न्याय संगत नहीं है, सरकार को जवाब देना होगा.

46.74 लाख रुपये का भुगतान
इधर, इसी राष्ट्रीय खेल में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के सम्मान में पुरस्कार वितरण किए गए थे, जिन्हें कैश अवार्ड दिया गया था. नियम विरुद्ध जाकर कुल 17 पदक विजेताओं को गलत जानकारी दिए जाने से अतिरिक्त 46.74 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया था.

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अतिरिक्त राशि वसूलने के लिए नोटिस जारी
तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कैश अवार्ड की घोषणा की थी और इसके बाद ही मंत्रिमंडल ने पदक जीतने वाले खिलाड़ियों और उनके प्रशिक्षकों को पुरस्कृत करने को मंजूरी दी और एक संकल्प जारी किया गया. लेकिन संकल्प के नियम विरुद्ध खेल पदाधिकारियों और विभागीय पदाधिकारियों की मिलीभगत के कारण खेल विभाग ने खिलाड़ियों को अतिरिक्त राशि भुगतान कर दिया और अब कुल 17 पदक विजेताओं से भी सरकार 46. 74 लाख का अतिरिक्त राशि वसूलने के लिए नोटिस जारी किया है.

ये भी पढ़ें- वारंटियों की गिरफ्तारी को लेकर लापरवाह है झारखंड पुलिस, एसपी नहीं लेते हैं रुचि

प्रशिक्षकों और खेल निदेशालय के बीच गहराता विवाद
मामले को लेकर प्रशिक्षकों और राज्य सरकार के खेल निदेशालय के बीच विवाद गहराता जा रहा है. एक तरफ जहां प्रशिक्षकों ने कहा है कि सरकार उनके इज्जत के साथ खिलवाड़ कर रही है, तो वहीं राज्य सरकार के खेल निदेशालय ने तर्क दिया है कि उस दौरान गलत जानकारी दी गई थी, जिसे सुधारा जा रहा है.

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रांची: राष्ट्रीय खेल घोटाले मामले में राज्य की छवि धूमिल हुई थी, एक बार फिर इस स्कैम की नई परतें खुलती नजर आ रही है. वहीं नियमों को ताक पर रखकर तत्कालीन सरकार द्वारा लुटाई गई राशि की अब हिसाब मांगी जा रही है. दरअसल, राष्ट्रीय खेल समापन समारोह के दौरान प्रशिक्षकों को दिए गए पुरस्कार राशि. सरकार ने पत्र के माध्यम से प्रशिक्षकों को लौटाने को कहा है. हालांकि इस पत्र के बाद सरकार और प्रशिक्षकों के बीच विवाद गहरा गया है, तो वहीं 17 खिलाड़ियों को भी अतिरिक्त भुगतान पर नोटिस जारी किया गया है.

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खिलाड़ियों के प्रशिक्षकों को भी सम्मान राशि दी गई थी
34वें राष्ट्रीय खेल में खिलाड़ियों के प्रत्येक मेडल पर सरकार ने पुरस्कार दिए थे. इन खिलाड़ियों के प्रशिक्षकों को भी सम्मान राशि दी गई थी. खिलाड़ियों के एक से अधिक मेडल जीतने पर राशि में गुणात्मक योग्य कर दी गई थी. लेकिन कुछ को एकल पदक पर ही पुरस्कार दिए जाने का निर्णय हुआ था.

नियम विरूद्ध
खिलाड़ियों को एक स्वर्ण पर सात लाख, एक रजत पर पांच और एक कांस्य पर तीन लाख रुपये दिए गए थे. वहीं प्रशिक्षकों को दो लाख, एक लाख और 50 हजार रुपये सम्मान राशि दिए गए थे, लेकिन इससे अलग विभिन्न खेल संघ और झारखंड ओलंपिक संघ ने सरकार को जो खिलाड़ी और कोच को दिए जाने वाले पुरस्कारों की सूची सौंपी थी, वो नियम विरूद्ध था. जिसमें 12 प्रशिक्षकों को नियम विरुद्ध राशि जारी किया गया था और अब रुपये वापस मांगे जा रहे हैं.

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अतिरिक्त राशि दिए गए थे
प्रशिक्षकों में कुश्ती के प्रशिक्षक भोला नाथ सिंह, लॉन बॉल के मधुकांत पाठक, ताइक्वांडो के संजय कुमार शर्मा और सुनील कुमार शर्मा, वूशु के एल प्रदीप कुमार और शैलेंद्र कुमार दुबे, डाइविंग के संजय, अजीत कुमार सिंह, बीके जेना और डीजी मूर्ति को पत्र के माध्यम से अतिरिक्त राशि दिए गए थे.

'सम्मान देकर अब अपमान'
वहीं, अब सरकार के खेल निदेशालय द्वारा इन प्रशिक्षकों से पत्र के माध्यम से अतिरिक्त राशि वापस करने को कहा गया है. खेल निदेशालय ने एक समय के तहत राशि लौटाने की जिक्र पत्र में की है. वहीं समय पर राशि नहीं लौटाने पर कानूनी कार्रवाई करने का मन भी बना लिया है. हालांकि इस मामले को लेकर प्रशिक्षकों में काफी रोष है. उन्होंने कहा है कि सम्मान देकर असम्मान करना यह न्याय संगत नहीं है, सरकार को जवाब देना होगा.

46.74 लाख रुपये का भुगतान
इधर, इसी राष्ट्रीय खेल में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के सम्मान में पुरस्कार वितरण किए गए थे, जिन्हें कैश अवार्ड दिया गया था. नियम विरुद्ध जाकर कुल 17 पदक विजेताओं को गलत जानकारी दिए जाने से अतिरिक्त 46.74 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया था.

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अतिरिक्त राशि वसूलने के लिए नोटिस जारी
तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कैश अवार्ड की घोषणा की थी और इसके बाद ही मंत्रिमंडल ने पदक जीतने वाले खिलाड़ियों और उनके प्रशिक्षकों को पुरस्कृत करने को मंजूरी दी और एक संकल्प जारी किया गया. लेकिन संकल्प के नियम विरुद्ध खेल पदाधिकारियों और विभागीय पदाधिकारियों की मिलीभगत के कारण खेल विभाग ने खिलाड़ियों को अतिरिक्त राशि भुगतान कर दिया और अब कुल 17 पदक विजेताओं से भी सरकार 46. 74 लाख का अतिरिक्त राशि वसूलने के लिए नोटिस जारी किया है.

ये भी पढ़ें- वारंटियों की गिरफ्तारी को लेकर लापरवाह है झारखंड पुलिस, एसपी नहीं लेते हैं रुचि

प्रशिक्षकों और खेल निदेशालय के बीच गहराता विवाद
मामले को लेकर प्रशिक्षकों और राज्य सरकार के खेल निदेशालय के बीच विवाद गहराता जा रहा है. एक तरफ जहां प्रशिक्षकों ने कहा है कि सरकार उनके इज्जत के साथ खिलवाड़ कर रही है, तो वहीं राज्य सरकार के खेल निदेशालय ने तर्क दिया है कि उस दौरान गलत जानकारी दी गई थी, जिसे सुधारा जा रहा है.

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Intro:राष्ट्रीय खेल घोटाले मामले में राज्य की छवि धूमिल हुई थी, एक बार फिर इस स्केम की नई परतें खुलती नजर आ रही है ,वहीं नियमों को ताक पर रखकर तत्कालीन सरकार द्वारा लुटाई गई राशि की अब हिसाब मांगी जा रही है. दरअसल राष्ट्रीय खेल समापन समारोह के दौरान प्रशिक्षकों को दिए गए पुरस्कार राशि. सरकार ने पत्र के माध्यम से प्रशिक्षकों को लौटाने को कहा है. हालांकि इस पत्र के बाद सरकार और प्रशिक्षकों के बीच विवाद गहरा गया है.तो वहीं 17 खिलाड़ियों को भी अतिरिक्त भुगतान पर नोटिस जारी किया गया है।


Body:34 वें राष्ट्रीय खेल में खिलाड़ियों के प्रत्येक मेडल पर सरकार ने पुरस्कार दिए थे .इन खिलाड़ियों के प्रशिक्षकों को भी सम्मान राशि दी गई थी. खिलाड़ियों के एक से अधिक मेडल जीतने पर राशि में गुणात्मक योग्य कर दी गई थी. लेकिन कुछ को एकल पदक पर ही पुरस्कार दिए जाने का निर्णय हुआ था. खिलाड़ियों को एक स्वर्ण पर 7 लाख एक रजत पर 5 और एक कांस्य पर 3 लाख रुपये दिए गए थे .वहीं प्रशिक्षकों को दो लाख एक लाख और 50 हज़ार रुपये सम्मान राशि दिए गए थे, लेकिन इससे अलग विभिन्न खेल संघ और झारखंड ओलंपिक संघ ने सरकार को जो खिलाड़ी और कोच को दिए जाने वाले पुरस्कारों की सूची सौंपी थी .जो नियम विरूद्ध था, जिसमें एक दर्जन प्रशिक्षकों को नियम विरुद्ध राशी जारी किया गया था. और अब रुपए वापस मांगे जा रहे हैं.

बाइट-वेद मोहन ,अपर सचिव,खेल विभाग।

प्रशिक्षकों में कुश्ती के प्रशिक्षक भोला नाथ सिंह ,लॉन बॉल के मधुकांत पाठक ,ताइक्वांडो के संजय कुमार शर्मा और सुनील कुमार शर्मा, वूशु के एल प्रदीप कुमार और शैलेंद्र कुमार दुबे, डाइविंग के संजय ,अजीत कुमार सिंह, बीके जेना और डीजी मूर्ति को पत्र के माध्यम से अतिरिक्त राशि दिए गए थे .वहीं अब सरकार के खेल निदेशालय द्वारा इन प्रशिक्षकों से पत्र के माध्यम से अतिरिक्त राशि वापस करने को कहा गया है. खेल निदेशालय ने एक समय के तहत राशि लौटाने की जिक्र पत्र में की है वहीं समय पर राशि नहीं लौटाने पर कानूनी कार्रवाई करने का मन भी बना लिया है. हालांकि इस मामले को लेकर प्रशिक्षकों में काफी रोष है उन्होंने कहां है कि सम्मान देकर असम्मान करना यह न्याय संगत नहीं है, सरकार को जवाब देना होगा.

बाइट-भोला सिंह,अध्यक्ष, हॉकी झारखंड।

इधर इसी राष्ट्रीय खेल में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के सम्मान में पुरस्कार वितरण किए गए थे जिन्हें कैश अवार्ड दिया गया था नियम विरुद्ध जाकर कुल 17 पदक विजेताओं को गलत जानकारी दिए जाने से अतिरिक्त 46.7 4 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया था . तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कैश अवार्ड की घोषणा की थी और इसके बाद ही मंत्रिमंडल ने पदक जीतने वाले खिलाड़ियों और उनके प्रशिक्षकों को पुरस्कृत करने को मंजूरी दी और एक संकल्प जारी किया गया लेकिन संकल्प के नियम विरुद्ध खेल पदाधिकारियों और विभागीय पदाधिकारियों की मिलीभगत के कारण खेल विभाग ने खिलाड़ियों को अतिरिक्त राशि भुगतान कर दिया और अब कुल 17 पदक विजेताओं से भी सरकार 46. 74 लाख का अतिरिक्त राशि वसूलने के लिए नोटिस जारी किया है.




Conclusion:मामले को लेकर प्रशिक्षकों और राज्य सरकार के खेल निदेशालय के बीच विवाद गहराता जा रहा है. एक तरफ जहां प्रशिक्षकों ने कहा है कि सरकार उनके इज्जत के साथ खिलवाड़ कर रही है ,तो इधर राज्य सरकार के खेल निदेशालय ने तर्क दिया है कि उस दौरान गलत जानकारी दी गई थी ,जिसे भूल सुधार किया जा रहा है. हो सकता है निदेशालय और प्रशिक्षकों के बीच का रार कोर्ट तक पहुंचेगी.क्योंकि मामले को लेकर दोनों पक्ष आमने सामने है.
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