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रांची में गोलगप्पे के कारोबार पर यूपी वालों का राज, खास स्वाद के दीवाने हैं रांची के लोग

रांची के गोलगप्पा व्यापार (फुचका व्यापार) पर यूपी वालों का दबदबा (UP people dominate in business of Golgappa in Ranchi) है. अपने खास स्वाद के लिए इनमें से कई ने अपनी अलग पहचान बना ली है. मामाजी गोलगप्पा वाले हों या राम दयाल मुंडा शोध संस्थान के पास गोलगप्पा स्टैंड वाले अंबालाल सभी यूपी के हैं और उनके गोलगप्पे की लिज्जत के रांची वाले दीवाने हैं.

UP connection of Golgappa shopkeepers of Ranchi
रांची में गोलगप्पे के कारोबार पर यूपी वालों का राज
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Published : Oct 12, 2021, 6:21 PM IST

Updated : Oct 13, 2021, 11:55 AM IST

रांची: झारखंड की राजधानी रांची में हर कुछ कदम पर गोलगप्पे के खोमचे दिख जाएंगे. आपको जानकर हैरानी होगी, इन सैकड़ों गोलगप्पे वालों में से सबसे पसंदीदा गोलगप्पे वाले अधिकतर यूपी के मूल निवासी हैं. जो वर्षों पहले रोजगार की तलाश में रांची आ गए और अपने साथ गोलगप्पे की खास लिज्जत लाए. जिसके स्वाद का रांची दीवाना हो गया. यूं तो यहां गोलगप्पे बेचने वाले और भी हैं, लेकिन यूपी वालों के गोलगप्पे का स्वाद अलग ही है. जिससे इनकी खास पहचान बन गई है. चाहे मामा जी गोलगप्पा वाला हो या कोई और.. शाम को रांची के लोग घरों से बाहर निकले नहीं कि यूपी वालों के खोमचे पर खिंचे चले आते हैं.

ये भी पढ़ें-कोरोना ने लोगों की कार्यशैली में लाया बदलाव, व्यापारियों को भी बदलना होगा व्यापार का स्वरूप

करीब चार दशक पहले मीरजापुर से कोलकाता होते हुए रांची पहुंचे 70 वर्षीय विजय शंकर गुप्ता चार दशक से यहां वर्षों से गोलगप्पे बेच रहे हैं. उनको लोग मामाजी गोलगप्पे वाले के नाम से ही जानते हैं. इसमें उनके परिवार के लोग भी साथ देते हैं और यहीं बस गए हैं. इस कारोबार ने यहां उनकी तरक्की के भी द्वार खोल दिए हैं, खाली हाथ रांची पहुंचे विजय के पास आज रांची में दो-दो मकान हैं. फेस्टिवल सीजन में तो इनके गोलगप्पे की मांग और भी बढ़ जाती है. तमाम लोगों का तो यह भी कहना है कि विजय ने ही कई दशक पहले यहां इस कारोबार को गति दी थी. इधर रांची में गोलगप्पा के कारोबार पर यूपी वालों का दबदबा (UP people dominate in business of Golgappa in Ranchi) बन गया है. इन दुकानदारों ने गोलगप्पे के खास स्वाद के लिए अलग पहचान बनाई है.

देखें स्पेशल खबर

घर में तैयार करते हैं मसाला

विजय ने बताया कि बचपन में अपने पिता को खोने के बाद घर छोड़कर कोलकाता पहुंचे. बाद में रांची चले आए और यहीं बस गए. विजय शंकर गुप्ता ने बताया कि वे अपने गोलगप्पे में प्याज, लहसुन का इस्तेमाल नहीं करते हैं और इसके मसाले खास तरीके से घर में ही तैयार करते हैं. साफ-सफाई का अधिक ध्यान रखते हैं ताकि व्रत में भी इसका इस्तेमाल किया जा सके. वे आटा, मैदा और सूजी के मिश्रण से मैदा तैयार करते हैं. विजय ने बताया वे दशकों से पुदीना पत्ता, हरी मिर्च, इमली आदि से खास तौर पर मसाला तैयार करते हैं. यही स्वाद में जान डालता है. पुराने दिनों को याद करते हुए विजय कहते हैं जब हम यहां आए तब राजधानी में भीड़-भाड़ कम थी. अब तो इलाहाबाद, वाराणसी समेत यूपी से सैकड़ों और लोग यहां आकर गोलगप्पे के कारोबार से जुड़ गए हैं.

UP people dominate in business of Golgappa in Ranchi
मीरजापुर के विजय शंकर गुप्ता रांची में पुचाक बेचते हुए

15 वर्षों से कर रहे काम

चर्च कॉम्प्लेक्स के सामने गोलगप्पे बेच रहे सुनील भी यूपी के प्रयागराज के रहनेवाले हैं. झारखंड बनने के समय ही वे यहां आ गए थे और अपना खोमचे में पानी-पूरी बेचना शुरू की थी. सुनील के तीन भाई आज रांची में गोलगप्पा बेचकर जीवनयापन कर रहे हैं. उनका कहना है कि हर दिन हजार से डेढ़ हजार तक की कमाई हो जाती है. वहीं गोलगप्पे बेचने वाले यूपी के सौरभ के गोलगप्पों के भी रांची के लोग दीवाने हैं. इनके हाथ से बना गोलगप्पा खाने के लिए भीड़ लगतीहै. सौरभ ने बताया कि अपने बहनोई के साथ 15 वर्षों तक उन्होंने काम किया फिर बाद में रांची में अपना कारोबार शुरू किया.

UP people dominate in business of Golgappa in Ranchi
ऐसे बनाते हैं गोलगप्पे

पुश्तैनी काम कर रहे कई लोग

रांची के राम दयाल मुंडा शोध संस्थान के पास गोलगप्पा स्टैंड भी राजधानी में मशहूर है. इस स्टैंड पर हर शाम लोगों की भीड़ लगती है. इसके मालिक अंबालाल गुप्ता बताते हैं कि वो इलाहाबाद के रहने वाले हैं. उनके पिता हरे कृष्णा गुप्ता कोलकाता में गोलगप्पा बेचते थे. उनका भी गोलगप्पा वहां बहुत लोकप्रिय था, लोग दूर-दूर से खाने के लिए आते थे.बाद में वे अम्बा लाल गुप्ता यहां आकर राम दयाल मुंडा शोध संस्थान के पास चंदवे रोड पर गोलगप्पा बेचने लगे. वे यहां 19 सालों से लोगों को गोलगप्पा खिला रहे हैं. उनके भाई राहुल लाल गुप्ता भी उनका इस काम में सहयोग करते हैं. उन्होंने बताया कि लोग इस स्टैंड पर इसलिए आते हैं क्योंकि यहां उनके स्वाद के अनुसार गोलगप्पा खिलाया जाता है. वे इस तरह से पुश्तैनी काम भी कर रहे हैं. हमारे गोलगप्पे में इलाहाबाद का स्वाद मिलता है जो यहां के लिए यूनिक है.

ये भी पढ़ें-यहां महज कुछ ही घंटों में बिक जाते हैं लाखों बकरे, करोड़ों का होता है कारोबार

कई नई वैराइटी तैयार की

गोलगप्पे वालों ने बताया कि गोलगप्पे का टेस्ट उसके मसाले से आता है. इसलिए यूपी के गोलगप्पा बेचनेवाले अधिकांश लोग मसाले का खास ख्याल रखते हैं. गोलगप्पे का मसाला वो घर पर ओखल में कूटकर तैयार करते हैं. उनके स्टैंड पर कई वैराइटी के गोलगप्पे उपलब्ध हैं.इसमें पारंपरिक स्वाद वाली पानी पूरी है तो स्पेशल गोलगप्पे और चुरमुरे भी तैयार करने लगे हैं. इसमें पापड़ी को तोड़कर और खट्टे मीठे पानी के साथ कई मसाले डालते हैं.

UP people dominate in business of Golgappa in Ranchi
रांची में गोलगप्पे बनाने वाले यूपी के लोग

क्या बोले ग्राहक

रांची में गोलगप्पे खाने आए हर्षित ने बताया कि यूपी वालों के गोलगप्पे का स्वाद अलग है. इसलिए तमाम लोग उन्हीं की दुकानों को खोजते हैं. यही कारण है तमाम दुकानदारों ने अपने रिश्तेदारों को भी बुलाकर इस व्यापार में लगा दिया है. गोलगप्पा खाने आई सलोनी ने भी इसको पसंदीदा आइटम बताया.

रांची: झारखंड की राजधानी रांची में हर कुछ कदम पर गोलगप्पे के खोमचे दिख जाएंगे. आपको जानकर हैरानी होगी, इन सैकड़ों गोलगप्पे वालों में से सबसे पसंदीदा गोलगप्पे वाले अधिकतर यूपी के मूल निवासी हैं. जो वर्षों पहले रोजगार की तलाश में रांची आ गए और अपने साथ गोलगप्पे की खास लिज्जत लाए. जिसके स्वाद का रांची दीवाना हो गया. यूं तो यहां गोलगप्पे बेचने वाले और भी हैं, लेकिन यूपी वालों के गोलगप्पे का स्वाद अलग ही है. जिससे इनकी खास पहचान बन गई है. चाहे मामा जी गोलगप्पा वाला हो या कोई और.. शाम को रांची के लोग घरों से बाहर निकले नहीं कि यूपी वालों के खोमचे पर खिंचे चले आते हैं.

ये भी पढ़ें-कोरोना ने लोगों की कार्यशैली में लाया बदलाव, व्यापारियों को भी बदलना होगा व्यापार का स्वरूप

करीब चार दशक पहले मीरजापुर से कोलकाता होते हुए रांची पहुंचे 70 वर्षीय विजय शंकर गुप्ता चार दशक से यहां वर्षों से गोलगप्पे बेच रहे हैं. उनको लोग मामाजी गोलगप्पे वाले के नाम से ही जानते हैं. इसमें उनके परिवार के लोग भी साथ देते हैं और यहीं बस गए हैं. इस कारोबार ने यहां उनकी तरक्की के भी द्वार खोल दिए हैं, खाली हाथ रांची पहुंचे विजय के पास आज रांची में दो-दो मकान हैं. फेस्टिवल सीजन में तो इनके गोलगप्पे की मांग और भी बढ़ जाती है. तमाम लोगों का तो यह भी कहना है कि विजय ने ही कई दशक पहले यहां इस कारोबार को गति दी थी. इधर रांची में गोलगप्पा के कारोबार पर यूपी वालों का दबदबा (UP people dominate in business of Golgappa in Ranchi) बन गया है. इन दुकानदारों ने गोलगप्पे के खास स्वाद के लिए अलग पहचान बनाई है.

देखें स्पेशल खबर

घर में तैयार करते हैं मसाला

विजय ने बताया कि बचपन में अपने पिता को खोने के बाद घर छोड़कर कोलकाता पहुंचे. बाद में रांची चले आए और यहीं बस गए. विजय शंकर गुप्ता ने बताया कि वे अपने गोलगप्पे में प्याज, लहसुन का इस्तेमाल नहीं करते हैं और इसके मसाले खास तरीके से घर में ही तैयार करते हैं. साफ-सफाई का अधिक ध्यान रखते हैं ताकि व्रत में भी इसका इस्तेमाल किया जा सके. वे आटा, मैदा और सूजी के मिश्रण से मैदा तैयार करते हैं. विजय ने बताया वे दशकों से पुदीना पत्ता, हरी मिर्च, इमली आदि से खास तौर पर मसाला तैयार करते हैं. यही स्वाद में जान डालता है. पुराने दिनों को याद करते हुए विजय कहते हैं जब हम यहां आए तब राजधानी में भीड़-भाड़ कम थी. अब तो इलाहाबाद, वाराणसी समेत यूपी से सैकड़ों और लोग यहां आकर गोलगप्पे के कारोबार से जुड़ गए हैं.

UP people dominate in business of Golgappa in Ranchi
मीरजापुर के विजय शंकर गुप्ता रांची में पुचाक बेचते हुए

15 वर्षों से कर रहे काम

चर्च कॉम्प्लेक्स के सामने गोलगप्पे बेच रहे सुनील भी यूपी के प्रयागराज के रहनेवाले हैं. झारखंड बनने के समय ही वे यहां आ गए थे और अपना खोमचे में पानी-पूरी बेचना शुरू की थी. सुनील के तीन भाई आज रांची में गोलगप्पा बेचकर जीवनयापन कर रहे हैं. उनका कहना है कि हर दिन हजार से डेढ़ हजार तक की कमाई हो जाती है. वहीं गोलगप्पे बेचने वाले यूपी के सौरभ के गोलगप्पों के भी रांची के लोग दीवाने हैं. इनके हाथ से बना गोलगप्पा खाने के लिए भीड़ लगतीहै. सौरभ ने बताया कि अपने बहनोई के साथ 15 वर्षों तक उन्होंने काम किया फिर बाद में रांची में अपना कारोबार शुरू किया.

UP people dominate in business of Golgappa in Ranchi
ऐसे बनाते हैं गोलगप्पे

पुश्तैनी काम कर रहे कई लोग

रांची के राम दयाल मुंडा शोध संस्थान के पास गोलगप्पा स्टैंड भी राजधानी में मशहूर है. इस स्टैंड पर हर शाम लोगों की भीड़ लगती है. इसके मालिक अंबालाल गुप्ता बताते हैं कि वो इलाहाबाद के रहने वाले हैं. उनके पिता हरे कृष्णा गुप्ता कोलकाता में गोलगप्पा बेचते थे. उनका भी गोलगप्पा वहां बहुत लोकप्रिय था, लोग दूर-दूर से खाने के लिए आते थे.बाद में वे अम्बा लाल गुप्ता यहां आकर राम दयाल मुंडा शोध संस्थान के पास चंदवे रोड पर गोलगप्पा बेचने लगे. वे यहां 19 सालों से लोगों को गोलगप्पा खिला रहे हैं. उनके भाई राहुल लाल गुप्ता भी उनका इस काम में सहयोग करते हैं. उन्होंने बताया कि लोग इस स्टैंड पर इसलिए आते हैं क्योंकि यहां उनके स्वाद के अनुसार गोलगप्पा खिलाया जाता है. वे इस तरह से पुश्तैनी काम भी कर रहे हैं. हमारे गोलगप्पे में इलाहाबाद का स्वाद मिलता है जो यहां के लिए यूनिक है.

ये भी पढ़ें-यहां महज कुछ ही घंटों में बिक जाते हैं लाखों बकरे, करोड़ों का होता है कारोबार

कई नई वैराइटी तैयार की

गोलगप्पे वालों ने बताया कि गोलगप्पे का टेस्ट उसके मसाले से आता है. इसलिए यूपी के गोलगप्पा बेचनेवाले अधिकांश लोग मसाले का खास ख्याल रखते हैं. गोलगप्पे का मसाला वो घर पर ओखल में कूटकर तैयार करते हैं. उनके स्टैंड पर कई वैराइटी के गोलगप्पे उपलब्ध हैं.इसमें पारंपरिक स्वाद वाली पानी पूरी है तो स्पेशल गोलगप्पे और चुरमुरे भी तैयार करने लगे हैं. इसमें पापड़ी को तोड़कर और खट्टे मीठे पानी के साथ कई मसाले डालते हैं.

UP people dominate in business of Golgappa in Ranchi
रांची में गोलगप्पे बनाने वाले यूपी के लोग

क्या बोले ग्राहक

रांची में गोलगप्पे खाने आए हर्षित ने बताया कि यूपी वालों के गोलगप्पे का स्वाद अलग है. इसलिए तमाम लोग उन्हीं की दुकानों को खोजते हैं. यही कारण है तमाम दुकानदारों ने अपने रिश्तेदारों को भी बुलाकर इस व्यापार में लगा दिया है. गोलगप्पा खाने आई सलोनी ने भी इसको पसंदीदा आइटम बताया.

Last Updated : Oct 13, 2021, 11:55 AM IST
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