रांची: आदिवासी समाज की सदियों पुरानी सरना धर्म कोड की मांग एक बार फिर जोर पकड़ती दिख रही है. अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के तत्वाधान में राजधानी की सड़कों पर विशाल मानव श्रृंखला बनाने का आवाहन किया है. इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए आदिवासी बहुल जिलों में जनसंपर्क अभियान चलाकर लोगों को जागरूक भी किया गया है. ताकि बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग सड़क पर उतरकर सरना धर्म कोड की मांग को बुलंद कर सकें. इसे लेकर सोमवार को अल्बर्ट एक्का चौक में प्रदर्शन भी किया गया.
ये भी पढ़ें- VBU में वित्त पदाधिकारी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई, अदालत ने JPSC से मांगा जवाब
आदिवासी नेता सह शिक्षाविद करमा उरांव ने कहा कि 20 अक्टूबर को राज्य मे सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आदिवासी समाज के लोग सड़कों पर मानव श्रृंखला बनाकर सरकार का ध्यान आकर्षित करने का काम करेंगे. क्योंकि आदिवासी समाज के लोग लंबे समय से अपना धर्म कोर्ट की मांग कर रहे हैं और यह लड़ाई इस बार आर-पार की होगी. क्योंकि 2021 में जनगणना होना है ऐसे में आदिवासियों का जनगणना में अलग कॉलम हो इसकी मांग की जा रही. इसके लिए सरकार से आग्रह है कि कैबिनेट या फिर विशेष सत्र बुलाकर सरना धर्म कोड की प्रस्ताव को पास कर केंद्र सरकार तक भेजा जाए. ताकि आदिवासियों की वर्षों पुरानी मांग पूरा हो सके, अगर ऐसा नहीं किया गया तो आदिवासी समाज के लोग आगामी विधानसभा सत्र को चलने नहीं देंगे.
आदिवासी अधिकार मंच ने सोमवार को सरना धर्म कोड की मांग को लेकर राजधानी रांची के मुख्य चौराहा अल्बर्ट एक्का चौक पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के माध्यम से आदिवासी जन अधिकार मंच ने सरकार से जनगणना प्रपत्र में हिंदू, इस्लाम, सिख, बौद्ध, जैन आदि धर्मों के जैसा ही सरना या आदिवासियों के परंपरागत धर्म का कोड देने की मांग की गई है. सरना धर्मकोड के अलावा झारखंड में अलग जनजातीय मंत्रालय और जनजाति आयोग का गठन करने साथ-साथ पांचवी अनुसूची को सख्ती से लागू करने पीएससी का पुनर्गठन करने की भी मांग की गई. वहीं राज्य में आदिवासी मुख्यमंत्री के बावजूद सरना धर्म कोड की मांग पूरी नहीं की जाने के सवाल पर आदिवासी अधिकार मंच के कोषाध्यक्ष सुखनाथ लोहरा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आस्था जताते हुए कहा कि उन्होंने आश्वासन दिया है कि अगले विधानसभा सत्र में सरना धर्म कोड लाया जाएगा और आगे की कार्रवाई की जाएगी.