रांची: कोल परियोजनाओं से विस्थापित कमेटी के नाम पर करोड़ों की कमाई करने वाले वाले नक्सली संगठन टीपीसी और उसके समर्थकों ने रांची और चतरा की अलग-अलग बैंकों में 44 खाते खोल रखे हैं. इन खातों में करोड़ों रूपये जमा हैं. इन खातों की जानकारी पुलिस को भी हासिल हुई है, जिसके बाद पुलिस ने सभी बैंक खातों से लेन-देने पर रोक लगा दी है. फिलहाल पुलिस बैंक खातों के संबंध में पूरी जानकारी जुटा रही है.
किन-किन बैंकों में टीपीसी समर्थकों का खाता
पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, रांची के बैंक ऑफ इंडिया के रातू, टांगर, खलारी और टंडवा ब्रांच, एक्सिस बैंक ऑफ इंडिया की फिरायालाल स्थित शंभू कांप्लेक्स स्थित शाखा, इंडियन ओवरसीज बैंक डकरा शाखा, एसबीआई की डकरा शाखा में कुल 44 बैंक खातों की जानकारी मिली है. बैंक खातों में कितने पैसे जमा हैं, इसकी जानकारी जुटाने के लिए बैंकों के खातों की पूरी डिटेल भेज कर रिपोर्ट मांगी गई है.
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एनआईए के रडार पर होने के बावजूद चल रहा लेवी का सिस्टम
चतरा की मगध-आम्रपाली परियोजना से लेवी वसूली के मामले में टीपीसी के टेरर फंडिंग की जांच एनआईए कर रही है. इस मामले में टीपीसी सुप्रीमो ब्रजेश गंझू, भीखन गंझू, आक्रामण गंझू को एनआईए स्थायी तौर पर फरार घोषित कर चार्जशीट दायर कर चुकी है. फरार रहने के बावजूद ये उग्रवादी पिपरवार, अशोका और पुरनाडीह कोल परियोजना के लिए लेवी ( रंगदारी) वसूली कर रहे हैं. सीसीएल के माइनिंग सरदार अनिल चौबे को चिन्हित किया गया है. चौबे के अच्छे संबंध टीपीसी कमांडर भीखन गंझू से रहे हैं. पुलिसिया रिपोर्ट के मुताबिक, बेंती, विजन, बरवाटोला, न्यू मारंगदाहा, सरैया ठेठांगी के कुछ लोग अशोका प्रोजेक्ट में, कल्याणपुर, बहेरा, राजधर के लोग पिपरवार जबकि पूरनाडीह, जामडीह, एकराडीहगड़ा, डेंबुआ, कठौन, सफीटोला के लोग पूरनाडीह प्रोजेक्ट में कमेटी बनाकर वसूली कर रहे हैं.
क्या है वसूली का तंत्र
चतरा पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि टीपीसी नक्सलियों के समर्थन में प्रतिटन 160 रुपये की वसूली हो रही थी, जबकि कोल परियोजनाओं में ट्रांसपोर्टिंग से जुड़े लोगों से प्रति ट्रक एक हजार रुपये लिए जाते हैं. बगैर पैसे दिए ट्रकों पर कोयला भी लोड होने नहीं दिया जाता. पैसे वसूली में टीपीसी के उग्रवादियों के साथ सीसीएल के सेल्स इंचार्ज दीपक कुमार, पिपरवार कोल परियोजना के सेल्स इंचार्ज एके सिंह समेत कई कांटाघर कर्मियों की भूमिका भी रही है.