रांचीः झारखंड राज्य वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने शिक्षक दिवस के दिन राज्य सरकार और शिक्षा विभाग के खिलाफ आंदोलन करने का फैसला लिया है. विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों ने भी राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन करने की रणनीति तय की है.
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वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा का आरोप है कि राज्य सरकार 1250 स्कूल कॉलेजों में कार्यरत दस हजार से ज्यादा शिक्षक और कर्मचारियों को कोरोना काल के दौरान एक रुपया का भी सहयोग नहीं किया है. 50 से ज्यादा शिक्षक और कर्मचारियों की मौत कोरोना के कारण हो गई है, अभी-भी कई कर्मचारियों का इलाज चल रहा है. इसके बावजूद राज्य सरकार का वित्त रहित शिक्षा और शिक्षक कर्मचारियों पर ध्यान नहीं है.
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ स्कूल की बात नहीं है बल्कि उच्च शिक्षा देने वाले कॉलेजों के साथ भी राज्य सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है. ऐसे में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस किस आधार पर यह शिक्षक मनाएंगे. इन शिक्षकों ने अपने-अपने संस्थान के बाहर शिक्षक दिवस के दिन धरना देने का मन बनाया है, वहीं उपवास भी करेंगे.
विधानसभा के बाहर सत्र के दौरान होगा प्रदर्शन
इसके अलावा मुख्यमंत्री को पूरे मामले से अवगत कराते हुए एक ज्ञापन भी सौंपा जाएगा. 7 सितंबर को मोर्चा के सदस्य विधानसभा के सामने महाधरना के जरिए अपनी बात रखेंगे. जिसमें राज्य के हजारों शिक्षक कर्मचारी भाग लेंगे, दूसरी ओर विधानसभा सत्र के दौरान रोजगार संबंधित मुद्दा उठाने की मांग को लेकर 5 सितंबर से राज्य के विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी आंदोलन करेंगे.
यह अभ्यर्थी झारखंड विधानसभा के बाहर रोजगार देने की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन करेंगे. इसी कड़ी में इन अभ्यर्थियों ने राजधानी रांची के मोराबादी मैदान के समीप गांधी प्रतिमा के समक्ष एक बैठक भी की और विधानसभा सत्र के दौरान आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई.