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झारखंड में रोज 45+ के 50 हजार लोगों को कोरोना का टीका देने का लक्ष्य

झारखंड में 45+ लोगों के लिए वैक्सीनेशन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. जिसमें हर दिन राज्य में 45+ के 50 हजार लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया है. इसको लेकर सभी जिलों के डीसी को निर्देश दिया गया है.

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Published : May 25, 2021, 7:24 PM IST

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टीका लगाने का लक्ष्य

रांचीः झारखंड में अब 45 वर्ष से ऊपर वाले लोगों का कोरोना टीकाकरण में तेजी लाई जाएगी. राज्य के सभी जिलों के डीसी को 45 वर्ष से ऊपर वाले लोगों के टीकाकरण में तेजी लाने का टास्क दिया गया है. राज्य स्तर पर लक्ष्य हर दिन कम से कम 50 हजार लोगों के टीकाकरण का है. जिनकी उम्र 45 वर्ष से ज्यादा है.

इसे भी पढ़ें- वैक्सीन की कमी से जूझ रहा है झारखंड, 18+ वैक्सीनेशन पर लग सकता है ब्रेक!

सरकार को क्यों सभी जिलों के डीसी को देना पड़ा निर्देश
स्वास्थ्य विभाग की वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में IEC अधिकारी ने बताया कि राज्य में कोरोना वैक्सीन 45+ वालों के लिए भरपूर मात्रा में उपलब्ध है. स्वास्थ्य विभाग के IEC नोडल अधिकारी के अनुसार अभी 45 प्लस वालों के लिए 4 लाख 73 हजार 390 डोज उपलब्ध है. 31 मई को 5 लाख और वैक्सीन मिलेगा, यानि करीब 10 लाख वैक्सीन 45 प्लस वाले के लिए इस महीने के अंत तक उपलब्ध रहेगा. पर इस वर्ग के लोगों का हर दिन टीकाकरण काफी कम हो रहा है.

45+ के 72% लोगों ने नहीं लिया है वैक्सीन का पहला डोज
राज्य में 83 लाख 86 हजार 677 लोग 45+ के हैं, जिनको टीका लेना है. इनमें से महज 23 लाख 54 हजार 313 यानि 28% लोगों ने ही वैक्सीन लिया है. अभी हर दिन राज्य में औसतन 45+ वाले 6-7 हजार लोग ही वैक्सीन ले रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग ने इसी गैप को पाटने की कोशिश कर रही है.

18+ वालों के लिए ऑन द स्पॉट स्लॉट पर अभी फैसला नहीं
स्वास्थ्य विभाग के IEC ऑफिसर सिद्धार्थ त्रिपाठी ने बताया कि केंद्र की सरकार की ओर से राज्यों को 18+ वालों के लिए शर्तो के साथ ऑन स्पॉट रेजिस्ट्रेशन की अनुमति दी है. पर अभी राज्य में यह व्यवस्था लागू होने में वक्त लगेगा.

18+ वालों के लिए वैक्सीन की उपलब्धता बेहद कम
IEC ऑफिसर सिद्धार्थ त्रिपाठी ने बताया कि राज्य में 18+ वालों के लिए 1 लाख 76 हजार 40 डोज उपलब्ध है. राज्य में अभी औसतन 35 से 37 हजार 18 प्लस वाले लोग वैक्सीन ले रहे हैं. ऐसे में या तो हर दिन होने वाले वैक्सीनेशन की संख्या कम करनी होगी, नहीं तो महीने के अंत तक वैक्सीन कम पड़ सकता है.

ग्रामीण इलाकों में शुरू हुआ डोर-टू-डोर हेल्थ सर्वे
राज्य के ग्रामीण क्षेत्रो में घर-घर जाकर कोरोना के संभावित मरीजों की पहचान कर उनका RAT टेस्ट करने का अभियान विधिवत मंगलवार से शुरू हो गया है. यह अभियान 5 जून तक चलेगा और इस मेगा अभियान में 8600 टीम पंचायतों में लगाई गई हैं. करीब 12 दिन के इस अभियान में 50 लाख ग्रामीण परिवार तक स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका, झारखंड स्टेट लाइवलीहुड की दीदियां पहुचेंगी.

इसे भी पढ़ें- आज दुबई से झारखंड पहुंच जाएंगे पांच हजार ऑक्सीजन सिलेंडर, टाटा स्टील दे रही सहायता


राज्य में कोरोना की भयावकता कम हुई है: स्वास्थ्य विभाग
झारखंड में कोरोना की भयावह स्थिति कम होने की जानकारी देते हुए सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कहा कि राज्य में कोरोना का पॉजिटिविटी रेट 22 % से घटकर अब 3℅ से भी कम रह गया है. अब राज्य में चार ही ऐसे जिले बचे हैं, जहां हर दिन 100 से अधिक नए केस मिल रहे हैं, जिसमें पूर्वी सिंहभूम, रांची, हजारीबाग और धनबाद है.

कोरोना के सेकेंड वेब का असर

झारखंड में कोरोना के वेब में 97 हजार से ज्यादा लोग रहे होम आइसोलेशन में हैं. जबकि 19 लोगों की मौत की होम आइसोलेशन में ही हो गई. राज्य में अब तक होम आइसोलेशन में 86486 को मुख्यमंत्री कोरोना किट दिया गया. वहीं 1 मार्च से अबतक 97 हजार 359 संक्रमित होम आइसोलेशन में रहें. जिसमें से तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल जाने से पहले ही 19 लोगों की मौत हो गई.


राज्य में 2 लाख से ज्यादा लोगों ने फोन पर ली चिकित्सीय सलाह
कोरोना काल में 104 नंबर पर फोन कर 1 लाख 91 हजार 577 लोगों ने ऑडियो कॉल के जरिए डॉक्टरी सलाह ली है. वहीं 24 हजार 474 लोगों ने वीडियो कॉल कर अपनी समस्याएं बताकर चिकित्सीय सलाह ली हैं.

ब्लैक फंगस की दवाएं उपलब्ध, NHM अपने स्तर उपलब्ध करा रहा दवा
राज्य में अभी ब्लैक फंगस यानि म्युकर माइकोसिस के 27 केस हैं. आज सभी जिलों को 1007 वायल ब्लैक फंगस का इंजेक्शन जिलों को भेजा गया है. वहीं 21 मई को 100 वायल और 24 मई को 60 वायल लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी (liposomal amphotericin-B) राज्य को केंद्र से मिला है.

इसे भी पढ़ें- यास का असर: झारखंड के कई जिलों में तेज हवा के साथ बारिश, 72 घंटों के लिए अलर्ट जारी


राज्य में 24 ऑक्सीजन रिफिलिंग स्टेशन
IEC अधिकारी ने बताया कि राज्य में वर्तमान में ऑक्सीजन सिलेंडर की डिमांड घटी है. बावजूद इसके 6203 D टाइप और 1132 B टाइप सिलेंडर की रिफिलिंग की गई.

राजधानी में ही MIS-C के कई मामले, स्वास्थ्य विभाग अनजान
राज्य में पोस्ट कोविड नई बीमारी मल्टी ऑर्गन इन्फ्लामेट्री सिंड्रोम इन चाइल्ड से बच्चे ग्रस्त हो रहे हैं. ऐसे बच्चों के माता पिता महंगे इलाज के लिए मजबूर हैं. इस पर स्वास्थ्य विभाग की नजर में अभी तक एक भी केस इस बीमारी का नहीं है.

रांचीः झारखंड में अब 45 वर्ष से ऊपर वाले लोगों का कोरोना टीकाकरण में तेजी लाई जाएगी. राज्य के सभी जिलों के डीसी को 45 वर्ष से ऊपर वाले लोगों के टीकाकरण में तेजी लाने का टास्क दिया गया है. राज्य स्तर पर लक्ष्य हर दिन कम से कम 50 हजार लोगों के टीकाकरण का है. जिनकी उम्र 45 वर्ष से ज्यादा है.

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सरकार को क्यों सभी जिलों के डीसी को देना पड़ा निर्देश
स्वास्थ्य विभाग की वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में IEC अधिकारी ने बताया कि राज्य में कोरोना वैक्सीन 45+ वालों के लिए भरपूर मात्रा में उपलब्ध है. स्वास्थ्य विभाग के IEC नोडल अधिकारी के अनुसार अभी 45 प्लस वालों के लिए 4 लाख 73 हजार 390 डोज उपलब्ध है. 31 मई को 5 लाख और वैक्सीन मिलेगा, यानि करीब 10 लाख वैक्सीन 45 प्लस वाले के लिए इस महीने के अंत तक उपलब्ध रहेगा. पर इस वर्ग के लोगों का हर दिन टीकाकरण काफी कम हो रहा है.

45+ के 72% लोगों ने नहीं लिया है वैक्सीन का पहला डोज
राज्य में 83 लाख 86 हजार 677 लोग 45+ के हैं, जिनको टीका लेना है. इनमें से महज 23 लाख 54 हजार 313 यानि 28% लोगों ने ही वैक्सीन लिया है. अभी हर दिन राज्य में औसतन 45+ वाले 6-7 हजार लोग ही वैक्सीन ले रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग ने इसी गैप को पाटने की कोशिश कर रही है.

18+ वालों के लिए ऑन द स्पॉट स्लॉट पर अभी फैसला नहीं
स्वास्थ्य विभाग के IEC ऑफिसर सिद्धार्थ त्रिपाठी ने बताया कि केंद्र की सरकार की ओर से राज्यों को 18+ वालों के लिए शर्तो के साथ ऑन स्पॉट रेजिस्ट्रेशन की अनुमति दी है. पर अभी राज्य में यह व्यवस्था लागू होने में वक्त लगेगा.

18+ वालों के लिए वैक्सीन की उपलब्धता बेहद कम
IEC ऑफिसर सिद्धार्थ त्रिपाठी ने बताया कि राज्य में 18+ वालों के लिए 1 लाख 76 हजार 40 डोज उपलब्ध है. राज्य में अभी औसतन 35 से 37 हजार 18 प्लस वाले लोग वैक्सीन ले रहे हैं. ऐसे में या तो हर दिन होने वाले वैक्सीनेशन की संख्या कम करनी होगी, नहीं तो महीने के अंत तक वैक्सीन कम पड़ सकता है.

ग्रामीण इलाकों में शुरू हुआ डोर-टू-डोर हेल्थ सर्वे
राज्य के ग्रामीण क्षेत्रो में घर-घर जाकर कोरोना के संभावित मरीजों की पहचान कर उनका RAT टेस्ट करने का अभियान विधिवत मंगलवार से शुरू हो गया है. यह अभियान 5 जून तक चलेगा और इस मेगा अभियान में 8600 टीम पंचायतों में लगाई गई हैं. करीब 12 दिन के इस अभियान में 50 लाख ग्रामीण परिवार तक स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका, झारखंड स्टेट लाइवलीहुड की दीदियां पहुचेंगी.

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राज्य में कोरोना की भयावकता कम हुई है: स्वास्थ्य विभाग
झारखंड में कोरोना की भयावह स्थिति कम होने की जानकारी देते हुए सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कहा कि राज्य में कोरोना का पॉजिटिविटी रेट 22 % से घटकर अब 3℅ से भी कम रह गया है. अब राज्य में चार ही ऐसे जिले बचे हैं, जहां हर दिन 100 से अधिक नए केस मिल रहे हैं, जिसमें पूर्वी सिंहभूम, रांची, हजारीबाग और धनबाद है.

कोरोना के सेकेंड वेब का असर

झारखंड में कोरोना के वेब में 97 हजार से ज्यादा लोग रहे होम आइसोलेशन में हैं. जबकि 19 लोगों की मौत की होम आइसोलेशन में ही हो गई. राज्य में अब तक होम आइसोलेशन में 86486 को मुख्यमंत्री कोरोना किट दिया गया. वहीं 1 मार्च से अबतक 97 हजार 359 संक्रमित होम आइसोलेशन में रहें. जिसमें से तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल जाने से पहले ही 19 लोगों की मौत हो गई.


राज्य में 2 लाख से ज्यादा लोगों ने फोन पर ली चिकित्सीय सलाह
कोरोना काल में 104 नंबर पर फोन कर 1 लाख 91 हजार 577 लोगों ने ऑडियो कॉल के जरिए डॉक्टरी सलाह ली है. वहीं 24 हजार 474 लोगों ने वीडियो कॉल कर अपनी समस्याएं बताकर चिकित्सीय सलाह ली हैं.

ब्लैक फंगस की दवाएं उपलब्ध, NHM अपने स्तर उपलब्ध करा रहा दवा
राज्य में अभी ब्लैक फंगस यानि म्युकर माइकोसिस के 27 केस हैं. आज सभी जिलों को 1007 वायल ब्लैक फंगस का इंजेक्शन जिलों को भेजा गया है. वहीं 21 मई को 100 वायल और 24 मई को 60 वायल लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी (liposomal amphotericin-B) राज्य को केंद्र से मिला है.

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राज्य में 24 ऑक्सीजन रिफिलिंग स्टेशन
IEC अधिकारी ने बताया कि राज्य में वर्तमान में ऑक्सीजन सिलेंडर की डिमांड घटी है. बावजूद इसके 6203 D टाइप और 1132 B टाइप सिलेंडर की रिफिलिंग की गई.

राजधानी में ही MIS-C के कई मामले, स्वास्थ्य विभाग अनजान
राज्य में पोस्ट कोविड नई बीमारी मल्टी ऑर्गन इन्फ्लामेट्री सिंड्रोम इन चाइल्ड से बच्चे ग्रस्त हो रहे हैं. ऐसे बच्चों के माता पिता महंगे इलाज के लिए मजबूर हैं. इस पर स्वास्थ्य विभाग की नजर में अभी तक एक भी केस इस बीमारी का नहीं है.

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