रांची: राज्य में शराब बिक्री निजी हाथों में सौंपे जाने के बाद से इस पर सवाल उठने लगे थे. विपक्षी दल भाजपा ने भी शराब को राज्य सरकार द्वारा सिंडिकेट के हाथों सौंपे जाने का आरोप लगाया है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि राज्य में उत्पाद विभाग उर्फ सिंडिकेट उर्फ तिवारी बंधुओं का अब एक ही नारा है, हुई महंगी बहुत शराब, थोड़ी-थोड़ी पिया करो.
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कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि राज्य में लगभग दो हजार करोड़ की मदिरा का थोक व्यवसाय चुने हुए निजी व्यवसायियों को सौंपने और पूरे मामले में हुई जालसाजी और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच केंद्र की स्वतंत्र एजेंसी से करायी जाय. उन्होंने कहा कि ओडिशा, बंगाल, राजस्थान समेत कई राज्यों ने स्टेट बिवेरेज कॉर्पोरेशन बनाया गया है, उसी तर्ज पर बने झारखंड स्टेट बिवेरेज लिमिटेड को निरर्थक बनाकर यहां भ्रष्टाचार एवं सिंडिकेट को स्थापित किया जा रहा है.
विभागीय वेबसाइट पर अब भी 2018-19 का ही रेट कार्ड है और किसी भी दुकान में रेट लिस्ट नहीं लगी है. इससे स्पष्ट है कि इसे विभागीय मौन सहमति है. एक्साइज पॉलिसी किसी भी तरह के एकाधिकार की अनुमति नहीं देती. क्योंकि राजस्व हानि के साथ-साथ व्यापारी कम गुणवत्ता वाले शराब की बिक्री भी कर सकते हैं. जो राज्य की जनता के स्वास्थ्य के लिए जानलेवा साबित हो सकता है.
गड़बड़ी को कोई देखने वाला नहीं
कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि राज्य सरकार ने झारखंड मदिरा भंडारण एवं थोक बिक्री नियमावली 2021 पेश किया है. लाइसेंसों के निपटान के लिए 11 जून को निकाले विज्ञापन में प्रत्येक जिले के लिए अलग-अलग नामों के माध्यम से एक आवेदन किया गया था. सिंडिकेट द्वारा दायर 24 आवेदनों के अलावा 9 अन्य आवेदन भी किए गए हैं, जो 25 लाख रुपये की भारी आवेदन राशि के नुकसान का जोखिम उठा सकते थे. कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि विभाग द्वारा की गयी अंतिम प्रक्रिया यह साबित करती है कि सिंडिकेट के सदस्यों के लाइसेंस बेहद जल्दबाजी में जारी किये गए हैं, अन्य सभी आवेदनों को खारिज कर दिया गया है. जिसके परिणामस्वरूप थोक व्यापार का पूरा कारोबार राज्य के नियंत्रण से गंभीर राजस्व नुकसान की कीमत पर मुठ्ठी भर व्यक्तियों को सौंप दिया गया है.
मनी लॉन्ड्रिंग का बेहतरीन उदाहरण
कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि लाइसेंस प्राप्त सभी सफल आवेदक द्वारा दिए गये बैंक के ज्यादातर विवरण पंजाब नेशनल बैंक जामताड़ा, भारतीय स्टेट बैंक मिहिजाम या पंजाब नेशनल बैंक दुमका के हैं. ज्यादातर सफल आवेदक गोड्डा, जामताड़ा या दुमका जिलों से हैं और उनमें से कुछ रांची और धनबाद के होने के बावजूद उनके बैंक अकाउंट जामताड़ा या दुमका के हैं. इससे स्पष्ट है कि आवेदक सिर्फ नाम के लिए अलग हैं लेकिन पूरा पैसा एक स्त्रोत के माध्यम से निवेश किया गया है. आवेदकों से संबंधित बैंकखातों के लेन-देन यह इंगित करते हैं कि एक आवेदक दूसरे से जुड़े हुए हैं और यह जानना मुश्किल है कि कैसे और किस स्त्रोत से वैध और प्रमाणिक या अवैध तरीके से राशियां जमा की गई और त्वरित परिणाम में वापस भी ले ली गई. ज्यादातर सफल लाइसेंसधारी जामताड़ा और दुमका से हैं भले ही उनका पता किसी अन्य जिले का हो. अगर इस मामले की जांच की जाए तो पूरी प्रक्रिया सुनियोजित मनी लॉन्ड्रिंग का बेहतरीन उदाहरण है. कुणाल षाड़ंगी ने इसके खिलाफ राज्यपाल से मिलकर केंद्र की किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच कराने का आग्रह करने की बात कही है.