रांचीः झारखंड राज्य रविवार को अपने गठन के 20 साल पूरा कर रहा है. ऐसे में अतीत के पन्नों को पलटें तो विरासत में मिली नक्सलवाद की समस्या से निपटने में झारखंड काफी हद तक सफल रहा है पर इस छोटे राज्य में अपराध बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है, जिसके बिना तरक्की के रास्ते पर चलना आसान नहीं होगा. हालांकि 20 साल में उठाए गए कदमों के अब कुछ सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं.
झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव का कहना है प्रदेश पिछड़ा हुआ है. इसके कारण कई बार लोग गुमराह हो जाते हैं पर अब काफी हद तक इस समस्या पर नियंत्रण किया जा चुका है. फोर्स ने नक्सलवादियों की कमर तोड़ दी है. इस संबंध में आईजी ऑपरेशन साकेत कुमार सिंह का कहना है कि सीआरपीएफ, झारखंड जगुआर और पुलिस ने अब तक 12 हजार से अधिक अभियान चलाकर लाल कॉरिडोर की कारपेट को बूढ़ा पहाड़, पारसनाथ और कोल्हान क्षेत्र तक समेट दिया है. आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि झारखंड शांति के रास्ते पर है. 2013 में यहां 425 नक्सली घटनाएं हुईं थी, जो 2015 में घट कर 176 रह गईं. साल 2020 में तो यह संख्या मात्र 15 पर सिमट गई है.
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साल दर साल उग्रवादी अंजाम तक पहुंच रहे
साकेत कुमार सिंह का कहना है कि नक्सलवाद से निपटने में झारखंड की फोर्स का अहम योगदान है. हालांकि नक्सल प्रभावित इलाकों में बड़ी संख्या में सीआरपीएफ के कैंप बनाने से भी हालात सुधारने में मदद मिली है. नक्सल विरोधी बलों को प्रशिक्षित कर और फोर्स को सुविधाएं देकर उनका हौसला बढ़ाया गया है, जो लाल गलियारे को ध्वस्त करने में जुटे हैं. प्रदेश में 20 साल में 12 हजार से ज्यादा नक्सल विरोधी अभियान चलाए गए हैं, जिसमें 2014 में 16, 2015 में 18, 2016 में पंद्रह, 2017 में चार, 2018 में पैतालिस, 2019 में 54 और 2020 में अक्टूबर तक 10 उग्रवादी मारे गए. इस दौरान 1200 से अधिक नक्सली गिरफ्तार किए गए.
झारखंड पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार ने नक्सलवादियों के खिलाफ फोर्स की ट्रेनिंग बेहतर की है, अलग से इसके लिए फोर्स बनाई है. साथ ही जवानों के लिए बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई हैं, उनके परिवार की बेहतर व्यवस्थाएं की है, जिसका असर अभियानों में दिखा है. जवानों का मनोबल बढ़ा है तो उन्हें सफलताएं अधिक मिली है और वे निश्चिंत होकर ड्यूटी निभा पा रहे हैं.
महिला डेस्क स्थापित की जा रही
नक्सल अभियानों में भले ही झारखंड पुलिस को सफलता मिल रही है, अपराधों को रोकना अभी भी पुलिस के लिए चुनौती है. हालांकि अपराधियों की नकेल कसने के लिए पुलिस ने तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाया है. वहीं महिला अपराधों को रोकने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. डीजीपी एमवी राव का कहना है कि महिला अपराधों को रोकने के लिए तीन सौ थानों में वुमेन हेल्प डेस्क स्थापित की जा रही है. यहां महिलाएं लड़कियां किसी भी तरह की शिकायत कर सकेंगी और जांच महिला अधिकारी करेंगी.
नक्सलवादियों पर ऐसे कसी नकेल
साल 2014 में 16 नक्सली एनकाउंटर में मारे गए ,जबकि 267 गिरफ्तार किए गए और 2 नक्सलियों ने सरेंडर किया.
साल 2015 में 28 नक्सली एनकाउंटर में मारे गए जबकि 220 गिरफ्तार किए गए और 9 ने सरेंडर किया.
2016 में 15 नक्सली मारे गए, 184 गिरफ्तार किए गए और 27 ने सरेंडर किया.
2017 में चार नक्सली मारे गए 208 नक्सली गिरफ्तार किए गए जबकि 40 नक्सलियों ने पुलिस के सामने हथियार डाल दिए.
2018 में 45 नक्सली एनकाउंटर में मारे गए ,जबकि 170 गिरफ्तार किए गए हैं वही 16 ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है.
2019 में 54 नक्सली इनकाउंटर में मारे गये ,जबकि 270 गिरफ्तार हुए. 12 ने आत्मसमर्पण कर दिया.
2020 में अक्टूबर माह तक 10 नक्सली इनकाउंटर में मारे गए ,जबकि 15 नक्सली सरेंडर कर चुके है.- पीएलएफआई सक्रियता बढ़ाने की कोशिश में
राज्य में पीएलएफआई के नक्सलियों ने तीन सालों में अपनी सक्रियता बढ़ाने की कोशिश की है पर सुरक्षाकर्मी उनके मंसूबों पर पानी फेरने में जुटे हैं. वर्ष 2020 अक्टूबर माह के अंत तक पीएलएफआई के उग्रवादियों ने कुल 40 घटनाओं को अंजाम दिया. जबकि पीएलएफआई ने 2019 में जुलाई माह तक में 16 और 2018 जुलाई माह तक में सिर्फ 10 घटनाओं को अंजाम दिया था. नक्सलियों ने 2019 में 39 घटनाओं को अंजाम दिया था. जबकि अक्टूबर 2020 तक यह घटना 40 रही. राज्य में टीएसपीसी के नक्सलियो की भी सक्रियता में पिछले वर्ष की तुलना में कमी आई है. जहां 2019 तक टीएसपीसी के नक्सलियों ने 12 घटनाओं को अंजाम दिया था. वहीं दूसरी ओर अक्टूबर 2020 तक सिर्फ 10 घटनाओं को अंजाम दिया. जेपीसी के नक्सलियों के द्वारा घटनाओं को अंजाम दिए जाने में नियंत्रण लगा है. क्योंकि जहां 2018 में जेपीसी के उग्रवादियों ने 5 घटनाओं को अंजाम दिया था. वहीं दूसरी ओर 2019 में मात्र 3 घटना को अंजाम दिया. जबकि अक्टूबर 2020 तक इस संगठन के नक्सलियों द्वारा किसी घटना को अंजाम दिए जाने की बात सामने नहीं आई है. हालांकि जेजे एमपी के उग्रवादियों की सक्रियता में कोई कमी नहीं आई है. इस बात की पुष्टि संगठन द्वारा घटना को अंजाम दिए जाने को लेकर तैयार आंकड़ों से भी होती है. पीएलएफआई की सक्रियता के कारण पिछले वर्ष की अपेक्षा वर्ष 2020 में पीएलएफआई के नक्सली अधिक संख्या में गिरफ्तार भी किए गए. जहां वर्ष 2019 में पीएलएफआई के 60 नक्सली गिरफ्तार किए गए थे. वहीं अक्टूबर 2020 तक पीएलएफआई के 109 नक्सली गिरफ्तार किए जा चुके हैं.
3000 दारोगा , 3000 सिपाही की नियुक्ति
झारखंड पुलिस को मजबूत बनाने की दिशा में पहल भी हुई. 3000 दारोगा की बहाली हुई. 2019 में सिपाही में 5237, एससी/एसटी बटालियन में 956 बहाल किए जा चुके हैं. इसके अतिरिक्त आईआरबी में 2810, विशेष शाखा में 1112, वायरलेस में 892 आरक्षी बहाल हो चुके हैं. वर्ष 2014 तक पुलिस विभाग में जहां 357 नियुक्तियां हुईं थीं. वहीं, पिछले 1000 दिन के भीतर 9152 अधिकारी, जवान व कारा से जुड़े अधिकारी-कर्मी बहाल किए गए हैं.
13 फोकस एरिया पर जारी है अभियान, 18 कैंप लगे
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 13 एरिया को डेवलपमेंट एक्शन प्लान पर फोकस किया गया है, जिसमें 30 कैंप लगेंगे. इसमें 18 कैंप लगाए जा चुके हैं, दिसंबर तक छह और कैंप लगेंगे और शेष कैंप उसके बाद लगाए जाएंगे.
नक्सलवाद से लड़ने के लिए फोर्स तैयार
साल 2000 से लेकर 2016 तक झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में सीआरपीएफ की भूमिका बेहद अहम थी लेकिन अब पुलिस के पास भी अपनी नक्सल विशेषज्ञ फोर्स झारखंड जगुआर उपलब्ध है. झारखंड जगुआर लगातार नक्सलियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन चला रहा है और उसमें सफलताएं भी मिल रहीं हैं.
नोटबन्दी का असर
500 और 1000 के नोट वापस लेने के केंद्र सरकार के फैसले का सबसे ज्यादा असर झारखंड में नक्सल तंत्र पर पड़ा ,पैसे के कमी के कारण नक्सलियों की कमर टूट गई है. विभिन्न सरकारी जांच एजेंसियों के अनुमान के मुताबिक झारखंड के सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादियो को ही नोटबन्दी से 80 करोड़ का नुकसान हुआ, जबकि पीएलएफआई ,टीपीसी और जेजेएमपी जैसे संगठनों की तो हालत पस्त हो गई. इधर नक्सल उन्मूलन के लिए साल 2017- 18 में राज्य के 21 जिलों में 154.44 करोड़ रुपये खर्च किए गए. नक्सल प्रभावित राज्यों में चलने वाली सेक्यूरिटी रिलेटेड स्कीम(एसआरई) के तहत राज्य और केंद्र सरकार के तहत नक्सल उन्मूलन पर खर्च होने वाली राशि का पूरा खाका तैयार किया गया है.
कारगर है राज्य की सरेंडर पॉलिसी
नक्सलियों को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए सरकार ने सरेंडर पॉलिसी बनाई है. इसमें आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को इनाम की राशि दी जाती है. तीन लाख रुपये अलग से मुआवजा राशि देने का प्रावधान है. आचरण अच्छा रहा तो ओपन जेल में रखा जाता है. साथ ही सरकार अपनी इच्छा पर सरकारी नौकरी भी दे सकती है. पत्नी को कौशल विकास का प्रशिक्षण, दो बच्चों की शिक्षा, चिकित्सा का खर्च और मकान बनाने के लिए राज्य के किसी भी हिस्से में चार डिसमिल जमीन दिए जाने का प्रावधान है. केस लड़ने के लिए सरकारी वकील की सुविधा भी दी जाती है.
झारखंड में इन संगठनों पर भी है प्रतिबंध
एमसीसीआई, पीएफएफआइ, एमसीसीआई के अग्र संगठन क्रांतिकारी किसान कमेटी, नारी मुक्ति संघ, क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच, जेपीसी, टीपीसी, जेजेएमपी, एसजेएमएम, सशस्त्र पीपुल्स मोर्चा, संघर्ष जनमुक्ति मोर्चा, झारखंड टाइगर ग्रुप.
किस संगठन के कितने सदस्य
एमसीसीआई- 1468, पीएलएफआइ- 360, टीपीसी- 290, जेजेएमपी- 145, जेपीसी- 70, एसजेएमएम- 40, न्यू एसपीएम- 35
गरीबी नक्सलवाद की प्रमुख वजह
झारखंड में नक्सलवाद से भलीभांति परिचित राज्य के पूर्व एडीजी एवं वर्तमान में झारखंड सरकार के मंत्री रामेश्वर उराव के अनुसार गरीबी झारखंड में नक्सलवाद की प्रमुख वजह है उनकी सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है जिसका फल भविष्य में नजर आएगा.
झारखंड में रोजाना औसतन 10 हत्या, पांच दुष्कर्म
झारखंड पुलिस को नक्सल फ्रंट पर कामयाबी अनुमान से ज्यादा मिली लेकिन इस दौरान अपराध के आंकड़े बढ़ गए. झारखंड में अपराधी बेकाबू हो चुके हैं ,खासकर दुष्कर्म के बाद हत्या के कई वारदातों ने झारखंड पुलिस के इकबाल को ही चुनौती दे डाली है. झारखंड में हाल के दिनों में रांची ,दुमका, साहिबगंज, गुमला में दुष्कर्म के बाद हत्या के वारदात को अंजाम दिए गए हुए हैं. पुलिस विभाग से मिले आंकड़े यह बताते हैं कि लॉकडाउन लगे रहने के बावजूद साल 2020 के अगस्त महीने तक आपराधिक वारदातों में लगातार बढ़ोतरी हुई है.
क्या कहते है आंकड़े
राज्य पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों की मानें तो साल 2020 में अगस्त महीने तक रोजाना औसतन 10 हत्या जबकि दुष्कर्म की पांच वारदात हुईं हैं. हालांकि साल 2019 के अगस्त तक के आंकड़ों की बात करें तो आंकड़ों के लिहाज से आपराधिक घटनाओं में मामूली सी कमी आई है. गौरतलब है कि इस साल कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन लगाया गया था. ऐसे में अपराध के आंकड़ों में मामुली कमी की वजह लॉकडाउन भी मानी जा रही है, लेकिन लॉक डाउन के बावजूद आंकड़े बढ़े ये चिंता का विषय है. आंकड़ों के अनुसार झारखंड में 1 जनवरी से 31 अगस्त 2020 तक के यानी 244 दिनों में हत्या के 1261, दुष्कर्म के 1264, डकैती के 73, लूट के 426 और नक्सल वारदातों के 204 केस दर्ज हुए हैं. रांची में हत्या के सर्वाधिक 112 व दुष्कर्म के 150 मामले दर्ज हुए हैं। वहीं सर्वाधिक 50 नक्सल कांड चाईबासा जिला में दर्ज हुए हैं.
क्या कहते हैं 2019 के अगस्त तक के आंकड़े
साल 2019 के अगस्त महीने तक राज्य में हत्या के 1312, दुष्कर्म के 1216, डकैती के 85, लूट के 441 मामले दर्ज हुए थे. वहीं राज्य के अलग अलग हिस्सों में 213 नक्सल वारदातों को लेकर एफआईआर दर्ज की गई थी.
क्या कहते हैं पुलिसिया आंकड़े
अक्टूबर 2020 तक
हत्या- 1290
दुष्कर्म-1280
डकैती - 80
लूट- 490
चोरी- 700
कुल संज्ञेय अपराध-41159
सबसे ज्यादा हत्या और दुष्कर्म के मामले राजधानी में दर्ज हुए
रांची में सर्वाधिक 112 हत्या
चाईबासा में सर्वाधिक 50 नक्सल कांड
दुष्कर्म के सर्वाधिक 150 केस भी रांची में ही दर्ज हुए
महिला और बाल सुरक्षा को लेकर जारी किए गए व्हाट्सएप नम्बर
राज्य पुलिस मुख्यालय ने आपराधिक मामलों में जिलों के एसपी से लेकर थानेदारों तक की भूमिका तय की है. अब महिला और बच्चियों की संदेहास्पद मौत के मामले में जिले के एसपी को घटनास्थल पर जाकर जांच करनी होगी. डीजीपी एमवी राव के अनुसार अब एसपी ऐसे मामलों में स्वयं घटनास्थल पर जाएंगे. इसके बाद केस का सुपरविजन भी एसपी को ही करना होगा. केस में किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर जिम्मेदारी भी एसपी की होगी. डीजीपी ने कहा कि महिला एवं बच्चियों के साथ हुए बलात्कार के मामलों में संबंधित जिला के एसपी ही तत्काल संज्ञान लेकर स्वयं घटना की जांच करेंगे तथा स्वयं पूरी जांच कर अग्रतर कार्रवाई करना सुनिश्चित करेंगे. इससे थाना स्तर पर किसी प्रकार के लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी. इस संबंध में एक एसओपी भी बनाई जा रही है. वहीं हर जिले में महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध की जानकारी देने के लिए व्हाट्सएप नंबर भी जारी किए गए हैं.