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मुख्यमंत्री की आंखों में धूल झोंक रहा है वन विभाग, अपने हाथों लगे पौधे को देख दंग रह जाएंगे सीएम

झारखंड में एक ओर सरकार नदी महोत्सव और वृहद वृक्षारोपण अभियान के जरिए हरियाली बढ़ाने की कोशिश में जुटी है, तो दूसरी ओर जिम्मेदार कर्मचारियों-अधिकारियों की अनदेखी से इन कोशिशों को झटका लग रहा है. हद तो ये है कि राजधानी रांची में ही मुख्यमंत्री रघुवर दास के लगाए पौधे सूख चुके हैं.

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Published : Jul 11, 2019, 8:37 PM IST

रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसी महीने 7 तारीख को जुमार नदी के तट पर नदी महोत्सव सह वृहद वृक्षारोपण अभियान का शुभारंभ किया है. इस अभियान के तहत एक माह के भीतर 24 जिलों के 44 नदी तट, 64 स्थान और 244 किलोमीटर क्षेत्र में 8 लाख 25 हजार पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया है. उम्मीद की जा रही है कि इस अभियान का सार्थक फल भी सामने आए. लेकिन सवाल है कि क्या पौधरोपण के बाद अभियान के तहत लगाए गए पौधों को बचाने की कोई कोशिश होती है? इसकी पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत के वरिष्ठ सहयोगी राजेश सिंह पहुंचे लाल खटंगा स्थित बायोडायवर्सिटी पार्क में.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

बायोडायवर्सिटी पार्क की देखरेख की जिम्मेदारी वन विभाग की है. यहां एक रेंजर के अधीन कई फॉरेस्ट गार्ड कार्यरत हैं. खूबसूरत तरीके से संवारे गए बायोडायवर्सिटी पार्क में इसी साल नव वर्ष के मौके पर 2 जनवरी को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सीताफल का एक पौधा लगाया था. उस पौधे के स्टेटस को जानने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम वहां पहुंची तब सभी दंग रह गए. बांस की चचरी से गिरा पौधा मुरझाया हुआ था. बांस की चचरी में दीमक डेरा जमा चुके थे. उस पौधे के आसपास घास उगे हुए थे.

सूख गया सीएम का पौधा
ईटीवी भारत की टीम को देखते ही एक कर्मचारी सीएम प्लांट को संवारने में जुट गया. हमारी टीम ने वहां मौजूद फॉरेस्ट गार्ड नेमहंती खाखा से उस स्पेशल पौधे को लेकर कई सवाल किए लेकिन जवाब के दौरान उनके चेहरे की मुस्कुराहट साफ बयां कर रही थी कि सीएम के हाथों लगाए गए पौधे की स्थिति कैसी है. सूखे पौधे की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि ये तो अभी जिंदा है बस पत्ते झड़ गए हैं.

वन क्षेत्र में 0.29% की वृद्धि
आश्चर्य की बात है कि बायोडायवर्सिटी पार्क की व्यवस्था से प्रभावित होकर 13 जनवरी को मुख्यमंत्री ने यहां कैबिनेट की बैठक भी की थी. अब सवाल है कि 542 एकड़ में फैले बायोडायवर्सिटी पार्क में सुरक्षा घेरा के बावजूद सीएम के हाथों लगाए गए पौधे की जब ऐसी स्थिति है तो फिर खुले में किए जा रहे वृक्षारोपण का हाल क्या होगा. यह अलग बात है कि 28 जून को वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की समीक्षा के दौरान वन विभाग की ओर से सीएम को बताया गया था कि 2014 के बाद यानी मुख्यमंत्री के कार्यकाल के बाद झारखंड के वन क्षेत्र में 0.29% की वृद्धि हुई है. यानी 2014 के पहले और राज्य गठन के बाद तक झारखंड के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल में 32.02% वन क्षेत्र था जो अब बढ़कर 33.21% हो गया है.

फिलहाल, सीएम रघुवर दास के हाथों लगाए गए पौधे की स्थिति पर वन विभाग के अधिकारियों से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई लेकिन कोई भी सामने आने को तैयार नहीं है. वृहद वृक्षारोपण से छोड़कर हमने एक स्पेशल प्लांट का उदाहरण आपके सामने पेश किया. आगे हम आपके लिए वृक्षारोपण के नाम पर साल 2013 में की गई लाखों की बर्बादी से जुड़ी खबर जल्द लेकर आएंगे.

रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसी महीने 7 तारीख को जुमार नदी के तट पर नदी महोत्सव सह वृहद वृक्षारोपण अभियान का शुभारंभ किया है. इस अभियान के तहत एक माह के भीतर 24 जिलों के 44 नदी तट, 64 स्थान और 244 किलोमीटर क्षेत्र में 8 लाख 25 हजार पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया है. उम्मीद की जा रही है कि इस अभियान का सार्थक फल भी सामने आए. लेकिन सवाल है कि क्या पौधरोपण के बाद अभियान के तहत लगाए गए पौधों को बचाने की कोई कोशिश होती है? इसकी पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत के वरिष्ठ सहयोगी राजेश सिंह पहुंचे लाल खटंगा स्थित बायोडायवर्सिटी पार्क में.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

बायोडायवर्सिटी पार्क की देखरेख की जिम्मेदारी वन विभाग की है. यहां एक रेंजर के अधीन कई फॉरेस्ट गार्ड कार्यरत हैं. खूबसूरत तरीके से संवारे गए बायोडायवर्सिटी पार्क में इसी साल नव वर्ष के मौके पर 2 जनवरी को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सीताफल का एक पौधा लगाया था. उस पौधे के स्टेटस को जानने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम वहां पहुंची तब सभी दंग रह गए. बांस की चचरी से गिरा पौधा मुरझाया हुआ था. बांस की चचरी में दीमक डेरा जमा चुके थे. उस पौधे के आसपास घास उगे हुए थे.

सूख गया सीएम का पौधा
ईटीवी भारत की टीम को देखते ही एक कर्मचारी सीएम प्लांट को संवारने में जुट गया. हमारी टीम ने वहां मौजूद फॉरेस्ट गार्ड नेमहंती खाखा से उस स्पेशल पौधे को लेकर कई सवाल किए लेकिन जवाब के दौरान उनके चेहरे की मुस्कुराहट साफ बयां कर रही थी कि सीएम के हाथों लगाए गए पौधे की स्थिति कैसी है. सूखे पौधे की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि ये तो अभी जिंदा है बस पत्ते झड़ गए हैं.

वन क्षेत्र में 0.29% की वृद्धि
आश्चर्य की बात है कि बायोडायवर्सिटी पार्क की व्यवस्था से प्रभावित होकर 13 जनवरी को मुख्यमंत्री ने यहां कैबिनेट की बैठक भी की थी. अब सवाल है कि 542 एकड़ में फैले बायोडायवर्सिटी पार्क में सुरक्षा घेरा के बावजूद सीएम के हाथों लगाए गए पौधे की जब ऐसी स्थिति है तो फिर खुले में किए जा रहे वृक्षारोपण का हाल क्या होगा. यह अलग बात है कि 28 जून को वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की समीक्षा के दौरान वन विभाग की ओर से सीएम को बताया गया था कि 2014 के बाद यानी मुख्यमंत्री के कार्यकाल के बाद झारखंड के वन क्षेत्र में 0.29% की वृद्धि हुई है. यानी 2014 के पहले और राज्य गठन के बाद तक झारखंड के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल में 32.02% वन क्षेत्र था जो अब बढ़कर 33.21% हो गया है.

फिलहाल, सीएम रघुवर दास के हाथों लगाए गए पौधे की स्थिति पर वन विभाग के अधिकारियों से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई लेकिन कोई भी सामने आने को तैयार नहीं है. वृहद वृक्षारोपण से छोड़कर हमने एक स्पेशल प्लांट का उदाहरण आपके सामने पेश किया. आगे हम आपके लिए वृक्षारोपण के नाम पर साल 2013 में की गई लाखों की बर्बादी से जुड़ी खबर जल्द लेकर आएंगे.

Intro:Note - CM PLANT SLUG से पूरी सिडको लाइव के जरिए भेजा गया है। इसमें वॉक थ्रू, फॉरेस्ट गार्ड की बाइट और रॉ विजुअल भी है।

मुख्यमंत्री की आंखों में धूल झोंक रहा है वन विभाग, अपने हाथों लगे पौधे को देख दंग रह जाएंगे सीएम


रांची

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 7 जुलाई 2019 को रांची के जुमार नदी के तट पर नदी महोत्सव सह वृहद वृक्षारोपण अभियान का शुभारंभ किया था। इस अभियान के तहत एक माह के भीतर 24 जिलों के 44 नदी तट, 64 स्थान और 244 किलोमीटर क्षेत्र क्षेत्र में 8 लाख 25 हजार पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया है। उम्मीद की जा रही है कि इस अभियान का सार्थक रिजल्ट भी सामने आए। लेकिन सवाल है कि क्या पौधरोपण के बाद अभियान के तहत लगाए गए पौधों को बचाने की कोई कोशिश होती है ? इसकी पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत की टीम पहुंची राजधानी रांची के लाल खटंगा स्थित बायोडायवर्सिटी पार्क में। इस पार्क की देखरेख की जिम्मेदारी वन विभाग की है। यहां एक रेंजर के अधीन कई फॉरेस्ट गार्ड कार्यरत हैं। खूबसूरत तरीके से संवारे गए बायोडायवर्सिटी पार्क में इसी साल नव वर्ष के मौके पर 2 जनवरी को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सीताफल का एक पौधा लगाया था। उस पौधे के स्टेटस को जानने के लिए जब हमारी टीम वहां पहुंची तब हम दंग रह गए। बांस की चचरी से गिरा पौधा मुरझाया हुआ था। बांस की चचरी में दीमक डेरा जमा चुके थे। उस पौधे के आसपास घास उगे हुए थे। ईटीवी भारत की टीम को देखते ही एक कर्मचारी सीएम प्लांट को संवारने में जुट गया। हमारी टीम ने वहां मौजूद फॉरेस्ट गार्ड नेमहंती खाखा से उस स्पेशल पौधे को लेकर कई सवाल किए। लेकिन जवाब के दौरान उनके चेहरे की मुस्कुराहट साफ बयां कर रही थी कि सीएम के हाथों लगाए गए पौधे की स्थिति कैसी है। आश्चर्य की बात है कि इसी साल 2 जनवरी को बायोडायवर्सिटी पार्क की व्यवस्था से प्रभावित होकर 13 जनवरी 2019 को मुख्यमंत्री ने इसी पार्क में कैबिनेट की बैठक भी की थी। अब सवाल है कि 542 एकड़ में फैले बायोडायवर्सिटी पार्क में सुरक्षा घेरा के बावजूद सीएम के हाथों लगाए गए पौधे की जब ऐसी स्थिति है तो फिर खुले में किए जा रहे वृक्षारोपण का हाल क्या होगा। यह अलग बात है कि 28 जून को वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की समीक्षा के दौरान वन विभाग की ओर से सीएम को बताया गया था कि 2014 के बाद यानी मुख्यमंत्री के कार्यकाल के बाद झारखंड के वन क्षेत्र में .29% की वृद्धि हुई है। यानी 2014 के पहले और राज्य गठन के बाद तक झारखंड के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल में 32.02% वन क्षेत्र था जो अब बढ़कर 33.21% हो गया है। सीएम के हाथों लगाए गए पौधे की स्थिति पर वन विभाग के अधिकारियों से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई लेकिन कोई भी सामने आने को तैयार नहीं है। वृहद वृक्षारोपण से छोड़कर हमने एक स्पेशल प्लांट का उदाहरण आपके सामने पेश किया। आगे हम आपके लिए वृक्षारोपण के नाम पर साल 2013 में की गई लाखों की बर्बादी से जुड़ी खबर जल्द लेकर आएंगे।

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