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कृषि सुधार विधेयक के खिलाफ राज्यभर में व्यापक विरोध, तैयारी में जुटा प्रदेश कांग्रेस - Agricultural reform bill

रांची में कांग्रेस भवन में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ पदाधिकारियों की एक बैठक आयोजित की गई. बैठक में कृषि सुधार बिल को लेकर चर्चा की गई. कांग्रेसियों ने कहा जिस प्रकार भूमि अधिकरण कानून का विरोध किया गया था वैसे ही इस कानून का भी विरोध किया जाएगा.

State Congress Committee meeting in Ranchi
रांची में प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक
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Published : Sep 21, 2020, 4:38 PM IST

रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य विधेयक, कृषि आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक कानून का व्यापक विरोध करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि यह बिल हिंदुस्तान के इतिहास में काली स्याही से लिखा जाएगा. किसानों और राज्यों के खिलाफ इस कानून का कांग्रेस कार्यकर्ता पूरे राज्य में व्यापक विरोध करेंगे.

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ पदाधिकारियों की एक बैठक सोमवार को कांग्रेस भवन में आहूत की गई, जिसमें कहा गया कि इस बिल को लेकर पूरे देश के किसानों को डर है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य आधारित खरीद प्रणाली का अंत होगा और निजी कंपनियों की तरफ से शोषण बढ़ेगा. इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस मानसून सत्र के बाद राज्यव्यापी कार्यक्रमों की रणनीति तय करेगा. इस बिल का उसी प्रकार विरोध होगा जिस तरह भूमि अधिग्रहण कानून के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश पर की गई थी.

ये भी पढ़ें-बॉलीवुड पर भड़कीं भाजपा सांसद रूपा गांगुली, धरने पर बैठीं

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि भारतीय खाद्य और कृषि व्यवसाय पर हावी होने की इच्छा रखने वाले बड़े उद्योगपतियों के अनुरूप इस कानून को बनाया गया है, जो किसानों की मोलतोल करने की शक्ति को कमजोर करेगा. इसके अलावा बड़ी निजी कंपनियों, निर्यातकों, थोक विक्रेताओं और प्रोसेसर को इससे कृषि क्षेत्र में बढ़ सकती है. किसानों के विरुद्ध विधेयक से नाराज इनके कैबिनेट के मंत्री शिरोमणि अकाली दल की नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा तक दे दिया है. उन्होंने कहा कि यह काला कानून संविधान के स्पिरिट पर प्रहार किया गया है, क्योंकि जो स्टेट सब्जेक्ट था, ट्रेडिंग के नाम पर सेंट्रल गवर्नमेंट ने कानून पास करने की कोशिश की है.

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा पहले भी केंद्र सरकार ने एक्वीजिशन एक्ट लाया था, जिस पर काफी हंगामा हुआ और किसान भी काफी नाराज थे. इस विरोध को देखते हुए कानून वापस लेना पड़ा. केंद्र की सरकार कॉरपोरेट सेक्टर को जमीन देने की कोशिश में जब विफल हुई तो फिर से कृषि संशोधन विधेयक के माध्यम से केंद्र सरकार पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाना चाहती है, जिसका व्यापक विरोध होगा.

वहीं, प्रवक्ता राजेश गुप्ता छोटू ने भारत के प्रधानमंत्री से पूछा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य कहां से देंगे और कैसे देंगे, क्योंकि मंडियां तो खत्म हो जाएंगी. मंडियों में जब किसान की उपज आएगी ही नहीं तो क्या फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया 62 करोड़ किसानों के खेत में एमएसपी देने के लिए जाएगी. उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री किसान विरोधी हैं, खेत मजदूर विरोधी हैं खेत-खलिहान पर आक्रमण कर रहे हैं, खेती पर अतिक्रमण कर रहे हैं.

रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य विधेयक, कृषि आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक कानून का व्यापक विरोध करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि यह बिल हिंदुस्तान के इतिहास में काली स्याही से लिखा जाएगा. किसानों और राज्यों के खिलाफ इस कानून का कांग्रेस कार्यकर्ता पूरे राज्य में व्यापक विरोध करेंगे.

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ पदाधिकारियों की एक बैठक सोमवार को कांग्रेस भवन में आहूत की गई, जिसमें कहा गया कि इस बिल को लेकर पूरे देश के किसानों को डर है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य आधारित खरीद प्रणाली का अंत होगा और निजी कंपनियों की तरफ से शोषण बढ़ेगा. इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस मानसून सत्र के बाद राज्यव्यापी कार्यक्रमों की रणनीति तय करेगा. इस बिल का उसी प्रकार विरोध होगा जिस तरह भूमि अधिग्रहण कानून के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश पर की गई थी.

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प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि भारतीय खाद्य और कृषि व्यवसाय पर हावी होने की इच्छा रखने वाले बड़े उद्योगपतियों के अनुरूप इस कानून को बनाया गया है, जो किसानों की मोलतोल करने की शक्ति को कमजोर करेगा. इसके अलावा बड़ी निजी कंपनियों, निर्यातकों, थोक विक्रेताओं और प्रोसेसर को इससे कृषि क्षेत्र में बढ़ सकती है. किसानों के विरुद्ध विधेयक से नाराज इनके कैबिनेट के मंत्री शिरोमणि अकाली दल की नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा तक दे दिया है. उन्होंने कहा कि यह काला कानून संविधान के स्पिरिट पर प्रहार किया गया है, क्योंकि जो स्टेट सब्जेक्ट था, ट्रेडिंग के नाम पर सेंट्रल गवर्नमेंट ने कानून पास करने की कोशिश की है.

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा पहले भी केंद्र सरकार ने एक्वीजिशन एक्ट लाया था, जिस पर काफी हंगामा हुआ और किसान भी काफी नाराज थे. इस विरोध को देखते हुए कानून वापस लेना पड़ा. केंद्र की सरकार कॉरपोरेट सेक्टर को जमीन देने की कोशिश में जब विफल हुई तो फिर से कृषि संशोधन विधेयक के माध्यम से केंद्र सरकार पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाना चाहती है, जिसका व्यापक विरोध होगा.

वहीं, प्रवक्ता राजेश गुप्ता छोटू ने भारत के प्रधानमंत्री से पूछा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य कहां से देंगे और कैसे देंगे, क्योंकि मंडियां तो खत्म हो जाएंगी. मंडियों में जब किसान की उपज आएगी ही नहीं तो क्या फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया 62 करोड़ किसानों के खेत में एमएसपी देने के लिए जाएगी. उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री किसान विरोधी हैं, खेत मजदूर विरोधी हैं खेत-खलिहान पर आक्रमण कर रहे हैं, खेती पर अतिक्रमण कर रहे हैं.

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