रांचीः लॉकडाउन पार्ट 2 के 38वें दिन सुबह 5 बजे हैदराबाद के लिंगमपल्ली से चली विशेष ट्रेन रात 11 बचकर 16 मिनट पर जब हटिया रेलवे स्टेशन पहुंची तो यहां का नजारा देखने लायक था. हटिया रेलवे स्टेशन के बाहर करीब 60 बसें तैनात की गई थी. ट्रेन रुकने के 10 मिनट बाद एक एक करके मजदूरों को स्टेशन से बाहर भेजा गया. इससे पहले प्लेटफॉर्म पर सभी मजदूरों को गुलाब का फूल देकर स्वागत किया गया. मजदूरों को खाने के पैकेट और पानी की बोतल भी दी गई.
इन सभी मजदूरों के चेहरे पर मास्क लगा हुआ था. एक एक करके करीब 12 सौ मजदूरों को जिलावार बसों में बैठाया गया. सभी बसों के सामने पुलिस के जवान तैनात थे. जिला स्तर पर तय किए गए नोडल पदाधिकारी मजदूरों के नाम और पते नोट कर रहे थे. जब मजदूर प्लेटफॉर्म से बाहर निकल रहे थे, तब मास्क से ढके चेहरे को पढ़ना मुश्किल था लेकिन उनकी आंखों में घर लौटने की चमक साफ दिख रही थी.
ईटीवी भारत को बताई सफर की दास्तां
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कुछ मजदूरों ने कहा कि उन्हें हटिया पहुंचने तक किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई. यह पूछे जाने पर कि घर लौटने की बेचैनी क्यों थी? इसके जवाब में रामगढ़ के एक मजदूर ने कहा कि हैदराबाद में कोई खास दिक्कत नहीं थी लेकिन जिस तरीके से लॉकडाउन की नियत बढ़ रही थी, इसकी वजह से मन घबरा रहा था.
झारखंड वापसी पर स्वागत
मजदूरों के स्वागत के लिए हटिया रेलवे स्टेशन के ठीक सामने एक बड़ा होर्डिंग लगाया गया, जिस पर जोहार लिखा हुआ था. इसके अलावा सभी बसों के सामने बैनर लगाया गया, जिस पर लिखा था सम्मान रथ - झारखंड सरकार द्वारा श्रमिक मजदूरों के लिए सम्मान रथ. इन बैनरों पर मुख्यमंत्री की तस्वीर भी लगी हुई थी.
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डीसी ने बताई कार्ययोजना
मजदूरों के आने पर रांची के डीसी राय महिमापत रे ने आगे की तैयारियों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सभी मजदूरों को उनके जिलों में भेजा जा रहा है, जहां स्क्रीनिंग करने के बाद होम क्वॉरेंटाइन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि शनिवार शाम 7 बजे राजस्थान के कोटा से रवाना हुई ट्रेन भी पहुंचेगी जिसमें सिर्फ छात्र होंगे. छात्रों के स्टेशन पहुंचने के बाद उन सभी को बसों से उनके गृह जिला भेजा जाएगा.
मजदूरों के स्वागत के लिए कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक दुबे भी पहुंचे हुए थे. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान इस लम्हे को अविश्वसनीय बताया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की पहल और केंद्र सरकार के सहयोग से यह संभव हो पाया कि झारखंड के मजदूर अपने घर लौटने लगे हैं.