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जमीन घोटाले में स्पैरो की भूमिका की होगी जांच, सीआईडी कर रही है मामले की तफ्तीश

झारभूमि डॉट एनआईसी डॉट इन वेबसाइट में राजस्व अभिलेखों से छेड़छाड़ और उसी आधार पर सरकारी जमीनों का नेचर बदल कर बेचे जाने के मामले में गड़बड़ी की पुष्टि सीआईडी जांच में हुई है. जांच में यह तथ्य सामने आया है कि एनआईसी के साफ्टवेयर को स्पैरो साफ्टटेक के द्वारा ऑपरेट किया जाता है.

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Published : Mar 14, 2020, 11:35 PM IST

Sparrow role in land scam will be investigated in ranchi
सीआईडी

रांची: झारभूमि डॉट एनआईसी डॉट इन वेबसाइट में राजस्व अभिलेखों से छेड़छाड़ और उसी आधार पर सरकारी जमीनों का नेचर बदल कर बेचे जाने के मामले में गड़बड़ी की पुष्टि सीआईडी जांच में हुई है. सीआईडी की टीम अब स्पैरो कंपनी के अधिकारियों से पूछताछ की तैयारी में है.

जांच में मिला गड़बड़ी

जांच में यह तथ्य सामने आया है कि एनआईसी के सॉफ्टवेयर को स्पैरो सॉफ्टटेक के द्वारा ऑपरेट किया जाता है. सॉफ्टवेयर भी स्पैरो कंपनी में भी बने थे. सीआईडी अब पूरे मामले में स्पैरो कंपनी की भूमिका की जांच करेगी. एनआईसी के अधिकारियों ने सीआईडी को जानकारी दी है कि झारभूमि में सुधार संबंधी जो भी आदेश या इंट्री होती है, सारा काम स्पैरो के द्वारा किया जाता है. जल्द ही सीआईडी पूरे मामले में स्पैरो से जुड़े कर्मियों से पूछताछ करेगी. इसके साथ ही आईपी एड्रेस के जरिए ऑनलाइन छेडछाड़ करने वालों तक पहुंचने की तैयारी सीआईडी के द्वारा की जा रही है.

सचिव के आदेश पर रेस है सीआईडी

राजस्व निबंधन और भूमि सुधार विभाग के सचिव केके सोन के पत्र के आधार पर सीआईडी द्वारा मामले की जांच की जा रही है. जांच के लिए सीआईडी के एसपी ह्रदीप पी जनार्दनन के नेतृत्व में टीम गठित की गई थी. टीम ने पाया है कि एनआईसी के द्वारा कई अभिलेखों में सुधार नहीं किया गया. यह बात सामने आयी है कि अभिलेखों में छेड़छाड़ कर सर्वाधिक सरकारी जमीन नामकुम और बड़गाई अंचल में बेची गयी है. नामकुम के एक व्यक्ति को भी सीआईडी ने चिन्हित किया है, जिसके नाम पर जमीन का नेचर बदल कर उसकी रजिस्ट्री की गई है. सीआईडी उससे पूछताछ करेगी.

ये भी पढ़ें: हेमंत सरकार पर बाबूलाल मरांडी का हमला, कहा- कोरोना वायरस को लेकर गंभीर नहीं सरकार

क्या है मामला

केके सोन ने सीआईडी मुख्यालय को भेजे पत्र में लिखा था कि झारभूमि वेबसाइट का संचालन एनआईसी के द्वारा किया जाता है. कई जिलों ने बताया है कि वेबसाइट से संबंधित समस्याओं को समय-समय पर एनआईसी को समाधान के लिए भेजा जाता है, लेकिन एनआईसी के असहयोग के कारण अधिकांश समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता. संशोधन नहीं होने के कारण जमीन संबंधी मामलों के दुरूपयोग की संभावना बढ़ जाती है.

कई मामलों में शिकायत आयी है कि झारभूमि वेबसाइट पर बिना अंचल अधिकारी की रिपोर्ट के ही कई तरह के राजस्व अभिलेखों की स्वीकृति दर्ज कर दी गई. मामले में एनआईसी की भूमिका भी संदेहास्पद है. राजस्व विभाग ने रांची में जमीन के अभिलेखों में छेड़छाड़ का ऐसा ही एक मामला पाया था. जालसाजी कर 200 एकड़ गैरमजरूआ और बकाश्त जमीन का लगान निर्धारित किया गया.

रांची: झारभूमि डॉट एनआईसी डॉट इन वेबसाइट में राजस्व अभिलेखों से छेड़छाड़ और उसी आधार पर सरकारी जमीनों का नेचर बदल कर बेचे जाने के मामले में गड़बड़ी की पुष्टि सीआईडी जांच में हुई है. सीआईडी की टीम अब स्पैरो कंपनी के अधिकारियों से पूछताछ की तैयारी में है.

जांच में मिला गड़बड़ी

जांच में यह तथ्य सामने आया है कि एनआईसी के सॉफ्टवेयर को स्पैरो सॉफ्टटेक के द्वारा ऑपरेट किया जाता है. सॉफ्टवेयर भी स्पैरो कंपनी में भी बने थे. सीआईडी अब पूरे मामले में स्पैरो कंपनी की भूमिका की जांच करेगी. एनआईसी के अधिकारियों ने सीआईडी को जानकारी दी है कि झारभूमि में सुधार संबंधी जो भी आदेश या इंट्री होती है, सारा काम स्पैरो के द्वारा किया जाता है. जल्द ही सीआईडी पूरे मामले में स्पैरो से जुड़े कर्मियों से पूछताछ करेगी. इसके साथ ही आईपी एड्रेस के जरिए ऑनलाइन छेडछाड़ करने वालों तक पहुंचने की तैयारी सीआईडी के द्वारा की जा रही है.

सचिव के आदेश पर रेस है सीआईडी

राजस्व निबंधन और भूमि सुधार विभाग के सचिव केके सोन के पत्र के आधार पर सीआईडी द्वारा मामले की जांच की जा रही है. जांच के लिए सीआईडी के एसपी ह्रदीप पी जनार्दनन के नेतृत्व में टीम गठित की गई थी. टीम ने पाया है कि एनआईसी के द्वारा कई अभिलेखों में सुधार नहीं किया गया. यह बात सामने आयी है कि अभिलेखों में छेड़छाड़ कर सर्वाधिक सरकारी जमीन नामकुम और बड़गाई अंचल में बेची गयी है. नामकुम के एक व्यक्ति को भी सीआईडी ने चिन्हित किया है, जिसके नाम पर जमीन का नेचर बदल कर उसकी रजिस्ट्री की गई है. सीआईडी उससे पूछताछ करेगी.

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क्या है मामला

केके सोन ने सीआईडी मुख्यालय को भेजे पत्र में लिखा था कि झारभूमि वेबसाइट का संचालन एनआईसी के द्वारा किया जाता है. कई जिलों ने बताया है कि वेबसाइट से संबंधित समस्याओं को समय-समय पर एनआईसी को समाधान के लिए भेजा जाता है, लेकिन एनआईसी के असहयोग के कारण अधिकांश समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता. संशोधन नहीं होने के कारण जमीन संबंधी मामलों के दुरूपयोग की संभावना बढ़ जाती है.

कई मामलों में शिकायत आयी है कि झारभूमि वेबसाइट पर बिना अंचल अधिकारी की रिपोर्ट के ही कई तरह के राजस्व अभिलेखों की स्वीकृति दर्ज कर दी गई. मामले में एनआईसी की भूमिका भी संदेहास्पद है. राजस्व विभाग ने रांची में जमीन के अभिलेखों में छेड़छाड़ का ऐसा ही एक मामला पाया था. जालसाजी कर 200 एकड़ गैरमजरूआ और बकाश्त जमीन का लगान निर्धारित किया गया.

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