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कैदियों की रिहाई के मामले में एसपी नहीं दे रहे रिपोर्ट, जेल आईजी ने डीजीपी को लिखा पत्र

झारखंड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों की रिहाई में जिलों के एसपी रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं. गृह विभाग के जरिए कैदियों के संबंध में अनिवार्य जांच रिपोर्ट कारा के अधिकारियों को भेजना था. लेकिन जिलों के एसपी ने ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं लिया. इस संबंध में जेल आईजी ने डीजीपी को पत्र लिखा है.

झारखंड पुलिस
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Published : Oct 20, 2019, 8:10 AM IST

रांची: झारखंड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों की रिहाई में जिलों के एसपी बाधा बन रहे हैं. आजीवन सजा पाने वाले कैदियों की रिहाई के लिए राज्य सरकार पुनरीक्षण पर्षद की बैठक होनी है. गृह विभाग के जरिए कैदियों के संबंध में अनिवार्य जांच रिपोर्ट कारा के अधिकारियों को भेजना था. लेकिन जिलों के एसपी ने ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं लिया.

पूर्व में पर्षद की बैठकों के बावजूद कैदियों की रिहाई नहीं हो पाई
इसके कारण पूर्व में पर्षद की बैठकों के बावजूद कैदियों की रिहाई नहीं हो पाई. पूरे मामले में जेल आईजी ने राज्य के डीजीपी कमल नयन चौबे को पत्र लिखकर जिलों के एसपी की ओर से प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है. जिलों के एसपी से रिपोर्ट मिलने के बाद पर्षद की बैठक होगी, जिससे आजीवन कारावास काट रहे कैदियों की मुक्ति का रास्ता साफ होगा.

ये भी पढ़ें- हेमंत के चूहा बोले जाने पर मुख्यमंत्री का पलटवार, कहा- चूहा भगवान गणेश की सवारी कष्टों को करते हैं दूर

जिलों के एसपी को मंतव्य देना है जरूरी
जेल आईजी शशिरंजन ने डीजीपी को लिखा है कि कैदियों की कारा मुक्ति के लिए जांच प्रतिवेदन अविलंब उपलब्ध कराई जाए. बंदियों के संबंध में जांच रिपोर्ट के साथ जिलों के एसपी को अपना मंतव्य भी निश्चित रूप से देना होगा. एसपी का मंतव्य कैदियों की रिहाई के लिए अहम है. जूनियर पुलिस अफसरों के मंतव्य पर निर्णय नहीं लेने की बात जेल आईजी ने कही है.

ये भी पढ़ें- झारखंड में हुए तबादले पर पुलिस एसोसिएशन नाराज, सोमवार को DGP से करेंगे मुलाकात

किन कैदियों की रिहाई पर होनी है बैठक
राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की बैठक में 18 आजीवन कारावास सजा प्राप्त कैदियों की रिपोर्ट मांगी गई है. रांची के जगमोहन महतो, फागू महतो, चंद्रमोहन महतो, मदन मोहन सिंह गंझू, लालू मुंडा, सोमरा उरांव, जमशेदपुर के हरिशंकर देहरी, ललित चंद्र विश्वास उर्फ राजू सेन, मलय अधिकारी, गुमला के पात्रिक बाड़ा, तिजय तुरी, सरायकेला खरसांवा के लुसा पहाड़िया, चाईबासा के डाकुआ तिरिया, बिरसा दोराईबुरू, लातेहार के चामू उरांव, गढ़वा के चिरगू भुईंया, लखीसराय के पप्पू सिंह, साहिबगंज के शमशेर अली, पवन पासवान के रिहाई के मुद्दे पर रिपोर्ट की मांग की गई है.

रांची: झारखंड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों की रिहाई में जिलों के एसपी बाधा बन रहे हैं. आजीवन सजा पाने वाले कैदियों की रिहाई के लिए राज्य सरकार पुनरीक्षण पर्षद की बैठक होनी है. गृह विभाग के जरिए कैदियों के संबंध में अनिवार्य जांच रिपोर्ट कारा के अधिकारियों को भेजना था. लेकिन जिलों के एसपी ने ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं लिया.

पूर्व में पर्षद की बैठकों के बावजूद कैदियों की रिहाई नहीं हो पाई
इसके कारण पूर्व में पर्षद की बैठकों के बावजूद कैदियों की रिहाई नहीं हो पाई. पूरे मामले में जेल आईजी ने राज्य के डीजीपी कमल नयन चौबे को पत्र लिखकर जिलों के एसपी की ओर से प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है. जिलों के एसपी से रिपोर्ट मिलने के बाद पर्षद की बैठक होगी, जिससे आजीवन कारावास काट रहे कैदियों की मुक्ति का रास्ता साफ होगा.

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जिलों के एसपी को मंतव्य देना है जरूरी
जेल आईजी शशिरंजन ने डीजीपी को लिखा है कि कैदियों की कारा मुक्ति के लिए जांच प्रतिवेदन अविलंब उपलब्ध कराई जाए. बंदियों के संबंध में जांच रिपोर्ट के साथ जिलों के एसपी को अपना मंतव्य भी निश्चित रूप से देना होगा. एसपी का मंतव्य कैदियों की रिहाई के लिए अहम है. जूनियर पुलिस अफसरों के मंतव्य पर निर्णय नहीं लेने की बात जेल आईजी ने कही है.

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किन कैदियों की रिहाई पर होनी है बैठक
राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की बैठक में 18 आजीवन कारावास सजा प्राप्त कैदियों की रिपोर्ट मांगी गई है. रांची के जगमोहन महतो, फागू महतो, चंद्रमोहन महतो, मदन मोहन सिंह गंझू, लालू मुंडा, सोमरा उरांव, जमशेदपुर के हरिशंकर देहरी, ललित चंद्र विश्वास उर्फ राजू सेन, मलय अधिकारी, गुमला के पात्रिक बाड़ा, तिजय तुरी, सरायकेला खरसांवा के लुसा पहाड़िया, चाईबासा के डाकुआ तिरिया, बिरसा दोराईबुरू, लातेहार के चामू उरांव, गढ़वा के चिरगू भुईंया, लखीसराय के पप्पू सिंह, साहिबगंज के शमशेर अली, पवन पासवान के रिहाई के मुद्दे पर रिपोर्ट की मांग की गई है.

Intro:कैदियों की रिहाई के मामले में एसपी नहीं दे रहे रिपोर्ट ,कई कैदियो की रिहाई टली ,जेल आईजी ने डीजीपी को लिखा पत्र

रांची।
झारखंड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों की रिहाई में जिलों के एसपी बाधा बन रहे हैं। आजीवन सजा पाने वाले कैदियों की रिहाई के लिए राज्य सरकार पुनरीक्षण पर्षद की बैठक होनी है। ग़ृह विभाग के जरिए कैदियों के संबंध में अनिवार्य जांच रिपोर्ट कारा के अधिकारियों को भेजना था। लेकिन जिलों के एसपी ने ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं लिया। जिसके कारण पूर्व में पर्षद की बैठकों के बावजूद कैदियों की रिहाई नहीं हो पायी । पूरे मामले में जेल आईजी ने राज्य के डीजीपी कमलनयन चौबे को पत्र लिखकर जिलों के एसपी के द्वारा प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है। जिलों के एसपी से रिपोर्ट मिलने के बाद पर्षद की बैठक होगी, जिससे आजीवन कारावास काट रहे कैदियों की मुक्ति का रास्ता साफ होगा।

जिलों के एसपी को मंतव्य देना है जरूरी

जेल आईजी शशिरंजन ने डीजीपी को लिखा है कि कैदियों की कारा मुक्ति के लिए जांच प्रतिवेदन अविलंब उपलब्ध कराया जाए। बंदियों के संबंध में जांच रिपोर्ट के साथ जिलों के एसपी को अपना मंतव्य भी निश्चित रूप से देना होगा। एसपी का मंतव्य कैदियों की रिहाई के लिए अहम है। जूनियर पुलिस अफसरों के मंतव्य पर निर्णय नहीं लेने की बात जेल आईजी ने कही है।

किन कैदियों की रिहाई पर होनी है बैठक

राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की बैठक में 18 आजीवन कारावास सजा प्राप्त कैदियों की रिपोर्ट मांगी गई है। रांची के जगमोहन महतो, फागू महतो, चंद्रमोहन महतो, मदन मोहन सिंह गंझू, लालू मुंडा, सोमरा उरांव, जमशेदपुर के हरिशंकर देहरी, ललित चंद्र विश्वास उर्फ राजू सेन, मलय अधिकारी, गुमला के पात्रिक बाड़ा, तिजय तुरी, सरायकेला खरसांवा के लुसा पहाड़िया, चाइबासा के डाकुआ तिरिया, बिरसा दोराईबुरू, लातेहार के चामू उरांव, गढ़वा के चिरगू भूईंया, लखीसराय के पप्पू सिंह, साहेबगंज के शमशेर अली, पवन पासवान के रिहाई के मुद्दे पर रिपोर्ट की मांग की गई है।Body:1Conclusion:2
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