रांची: झारखंड में कोरोना संक्रमण के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. अब तक 30 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं. रांची की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. जिलावार तुलना करें तो सबसे ज्यादा संक्रमण रांची में है. अब सवाल है कि रांची में यह वायरस क्यों पांव पसारता जा रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में ढिलाई और रिपोर्ट जारी करने में विलंब.
व्यवस्था पर सवाल
आलम यह हो चुका है कि किसी संक्रमित के संपर्क में आने के बाद लोग अपनी स्वेच्छा से जांच करा रहे हैं, लेकिन उनके पॉजिटिव आने के बाद भी प्रशासन की तरफ से यह नहीं पूछा जा रहा है कि आखिर संबंधित नए मरीज को होम आइसोलेशन में रहना है या अस्पताल ले जाना जरूरी है. रांची में इस तरह के मामले भरे पड़े हैं. दूसरी सबसे बड़ी दिक्कत टेस्ट रिपोर्ट को लेकर है. संक्रमण के लक्षण के बाद एक तो सैंपल देने में भारी परेशानी हो रही है. दूसरी तरफ रिपोर्ट के लिए कई दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है. इस कोताही को लेकर विपक्षी दलों के विधायक और सांसद लगातार सोशल मीडिया के जरिए व्यवस्था पर सवाल भी खड़े कर रहे हैं.
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सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ रही है धज्जियां
यह तो हुई प्रशासनिक चूक की बात. इसके लिए हर शहरी स्वास्थ्य महकमे को कोसता है. लेकिन सच यह है कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेवारी निभाने में रांची के लोग बेपरवाह बनते जा रहे हैं. इसका जीता जागता नमूना दिखा कोकर और लालपुर के बीच लगने वाले बाजार में. रविवार के दिन इस बाजार की तस्वीर दिल दहलाने वाली थी. मछली, चिकन और मटन लेने वालों का हुजूम था. सड़क के किनारे बेतरतीब सैकड़ों दोपहिया इसकी गवाही दे रहे थे. बेशक ज्यादातर लोगों के चेहरे पर मास्क थे, लेकिन खरीदारी करते वक्त वही मास्क ठुड्डी से चिपके हुए थे. पूरी सब्जी मार्केट में भारी भीड़ थी. तस्वीर देख कर कहीं से ऐसा नहीं लग रहा था कि इस शहर का कोरोना से कोई वास्ता भी पड़ा हो. आलम तो यह थी कि बाजार में हो रही लापरवाही को रोकने के लिए पुलिस का कोई नुमाइंदा नहीं था.