रांची: ग्रामीण क्षेत्र के ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को काम मुहैया कराने के लिए ग्रामीण विकास विभाग ने एक और फार्मूला निकाला है. यह जिम्मेदारी सोशल ऑडिट यूनिट को दी गई है. अब सोशल ऑडिट यूनिट मजदूरों का डिमांड कलेक्ट करेगी और उन्हें काम मुहैया कराएगी. इसको लेकर 16 अगस्त से अभियान शुरू किया जाएगा.
ग्रामीण विकास विभाग के सचिव आराधना पटनायक ने सभी जिलों के उपायुक्त और उप विकास आयुक्तों को इस बाबत निर्देश जारी किया है. सभी पंचायतों में जरूरत के हिसाब से सोशल ऑडिट टीम भेजने को कहा गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि काम मांगने वाले मजदूरों को समय पर काम मिल रहा है या नहीं. अब पंचायत स्तर पर हर सप्ताह वर्क एलॉटमेंट स्टेटस तैयार किया जाएगा.
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काम की मांग को प्रखंड के कार्यरत कर्मचारी को ई-मेल, व्हाट्सएप या हार्ड कॉपी के जरिए मुहैया कराया जायेगा. डिमांड प्राप्त होने के बाद मनरेगा अधिनियम के आलोक में प्रखंड कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी सभी इच्छुक मजदूरों को शीघ्र उनके गांव या टोला में ही योजना खोलकर या चालू योजना पर रोजगार उपलब्ध कराने की कार्रवाई करेंगे. विभागीय सचिव ने साफ तौर पर कहा है कि मजदूरों के पारिश्रमिक का ससमय भुगतान हो इसको हर हाल में सुनिश्चित करना है. बता दें कि मनरेगा की तरह झारखंड सरकार ने शहरी क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए 14 अगस्त को मुख्यमंत्री श्रमिक योजना का शुभारंभ किया है.