रांचीः झारखंड में पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट नल नल योजना दम तोड़ रहा है. झारखंड सरकार की मदद से राज्य में चल रहे भारत सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना की रफ्तार काफी धीमी है. स्थिति यह है कि राज्य में लक्ष्य का सिर्फ 21 प्रतिशत काम पूरा किया गया है. जबकि साल 2024 तक राज्य के 61 लाख 20 हजार घरों में नल जल योजना पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
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साल 2024 तक लक्ष्य को पूरा करना राज्य सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य है. पेयजल संकट से जूझ रहे धुर्वा इलाके के उमेश प्रसाद सिन्हा कहते हैं कि पीएम मोदी का सपना लोगों के घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने की जरूर है. लेकिन जिन अधिकारियों को काम करना है, वह निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं. इसका खामियाजा लोग भुगत रहे हैं और समस्या जस की तस बनी हुई है.
केंद्र और राज्य के 50-50 फीसदी भागीदारी पर शुरू की गई इस योजना को समयबद्ध तरीके पूरा करना है. लेकिन झारखंड इस योजना को पूरा करने में पिछड़ रहा है. इसके पीछे मुख्य वजह राज्य का भौगोलिक कारण बताया जा रहा है. जलक्षेत्र के अभाव के कारण धनबाद, पलामू, पाकुड़ जैसे जिलों में विभाग को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है. इसके अलावा पठारी और पहाड़ी इलाकों में छोटे छोटे टोला में रह रहे लोगों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं है.
राज्य में जल नल योजना की धीमी रफ्तार को स्वीकारते हुए पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर कहते हैं कि शुरुआत में रफ्तार धीमी रही है. लेकिन अगले एक वर्ष में यहां तस्वीर अलग होगी. उन्होंने कहा कि अभी तक 21 प्रतिशत उपलब्धि है और लक्ष्य भी 59 लाख से बढ़कर करीब 61 लाख घर हो गये हैं. इस लक्ष्य को निर्धारित समय सीमा में विभागीय अधिकारियों और एजेंसियों की मदद से पूरा करेंगे.
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अभियंता प्रमुख रघुनंदन प्रसाद शर्मा ने कहा कि झारखंड की भौगोलिक और बसाव क्षेत्र के कारण हर घर तक नल जल पहुंचाना मुश्किल हो रहा है. यही वजह है कि योजना की रफ्तार धीमी है. बता दें कि जल जीवन मिशन के तहत दो प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसमें एकल ग्राम जलापूर्ति योजना, जो भूगर्भ जल पर आधारित होता है. दूसरा, वृहद या बहुग्राम जलापूर्ति योजना, जो सतही जल स्रोतों जैसे नदी और अन्य सुरक्षित जलाशयों पर आधारित होता है. नदी और जलाशयों के पानी को फिल्टर करके सप्लाई किया जाना है. इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के हर घर में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर जलापूर्ति करना है.