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बिहार के मुर्गी फार्म में बंधक बने चान्हो के मजदूर कराए गए मुक्त, वेतन के बदले मिल रही थी धमकी - hostage in bihar poultry farm

बिहार के एक मुर्गी फार्म में लगभग तीन महीने से बंधुआ मजदूरी करने वाले रांची चान्हो के मजदूरों को मुक्त कराया गया है. सभी मजदूर मुर्गी फार्म में काम कर रहे थे. वेतन नहीं मिलने पर इन मजदूरों ने मदद की गुहार लगाई थी.

Six laborers freed
6 मजदूर मुक्त
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Published : Sep 27, 2021, 2:07 PM IST

रांची: बिहार के एक मुर्गी फार्म में ढाई महीने से बंधुआ मजदूरी कर रहे चान्हो प्रखंड के मुरतो गांव के मजदूरों को मुक्त कराया गया है. पति-पत्नी समेत 10 मजदूरों से मुर्गी फार्म में जबरदस्ती काम कराया जा रहा था. बिना पैसे के काम कर रहे इन मजूदरों ने बाल कल्याण संघ से मदद की गुहार लगाई थी. जिसके बाद इनको मुर्गी फार्म से मुक्त कराया गया.

ये भी पढ़ें- HEC महिला समितिः कभी मसाला बनाकर महिलाओं का हाथ करती थीं मजबूत, आज छा गयी है मंदी

जबरदस्ती करा रहा था काम

ढाई महीने पहले मुरतो गांव के सहदेव उरांव, शनिचरवा उरांव अपनी पत्नी और 6 बच्चों और एक युवक छपरा के धनकडीह मुर्गी फार्म में काम करने बिहार गए थे. शुरुआत में पुरूषों को प्रतिमाह 8 हजार और महिलाओं को प्रतिमाह सात हजार रुपया देने की बात हुई थी. साथ ही खाना-पीना भी फार्म के द्वारा ही दिया जाना था. लेकिन ढाई माह बीत जाने के बाद भी इन लोगों को मुर्गी फार्म से वेतन नहीं मिला. मालिको से वेतन की मांग करने पर उलटे इन लोगों को धमकी दी जा रही थी. हाथ में पैसे नहीं होने और फार्म मालिकों की जबरदस्ती के कारण सभी लोग बंधक बन गए थे.

मदद के लिए लगाई गुहार

मालिकों से परेशान इन मजदूरों ने मुरतो गांव के एक व्यक्ति के माध्यम से बाल कल्याण संघ के एकीकृत संसाधन केंद्र के परियोजना समन्वयक सुनील गुप्ता से मदद की गुहार लगाई. सुनील गुप्ता ने रसूलपुर थाना प्रभारी से संपर्क कर इन मजदूरों की मदद करने का आग्रह किया. उनके इस प्रयास और थाना प्रभारी के दबाव पर मुर्गा फार्म मालिकों ने कुल मजदूरी 73 हजार रुपये के बदले 18 हजार 500 रुपये का भुगतान किया. पैसा मिलने के बाद सभी मजदूर ट्रेन का टिकट कटाकर एकमा रेलवे स्टेशन से रांची के लिए रवाना हो गए.

रांची: बिहार के एक मुर्गी फार्म में ढाई महीने से बंधुआ मजदूरी कर रहे चान्हो प्रखंड के मुरतो गांव के मजदूरों को मुक्त कराया गया है. पति-पत्नी समेत 10 मजदूरों से मुर्गी फार्म में जबरदस्ती काम कराया जा रहा था. बिना पैसे के काम कर रहे इन मजूदरों ने बाल कल्याण संघ से मदद की गुहार लगाई थी. जिसके बाद इनको मुर्गी फार्म से मुक्त कराया गया.

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जबरदस्ती करा रहा था काम

ढाई महीने पहले मुरतो गांव के सहदेव उरांव, शनिचरवा उरांव अपनी पत्नी और 6 बच्चों और एक युवक छपरा के धनकडीह मुर्गी फार्म में काम करने बिहार गए थे. शुरुआत में पुरूषों को प्रतिमाह 8 हजार और महिलाओं को प्रतिमाह सात हजार रुपया देने की बात हुई थी. साथ ही खाना-पीना भी फार्म के द्वारा ही दिया जाना था. लेकिन ढाई माह बीत जाने के बाद भी इन लोगों को मुर्गी फार्म से वेतन नहीं मिला. मालिको से वेतन की मांग करने पर उलटे इन लोगों को धमकी दी जा रही थी. हाथ में पैसे नहीं होने और फार्म मालिकों की जबरदस्ती के कारण सभी लोग बंधक बन गए थे.

मदद के लिए लगाई गुहार

मालिकों से परेशान इन मजदूरों ने मुरतो गांव के एक व्यक्ति के माध्यम से बाल कल्याण संघ के एकीकृत संसाधन केंद्र के परियोजना समन्वयक सुनील गुप्ता से मदद की गुहार लगाई. सुनील गुप्ता ने रसूलपुर थाना प्रभारी से संपर्क कर इन मजदूरों की मदद करने का आग्रह किया. उनके इस प्रयास और थाना प्रभारी के दबाव पर मुर्गा फार्म मालिकों ने कुल मजदूरी 73 हजार रुपये के बदले 18 हजार 500 रुपये का भुगतान किया. पैसा मिलने के बाद सभी मजदूर ट्रेन का टिकट कटाकर एकमा रेलवे स्टेशन से रांची के लिए रवाना हो गए.

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